हाईवे प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन छोड़ चुके किसानों को नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिक मुआवजा मिलेगा, बशर्ते कि उन्हें पुराने कानून के तहत मुआवजा दिया जाना बाकी हो. इस कदम से करीब 2,000 मामलों में फंसी करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने में मदद मिलेगी. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की है, कि सरकार किसानों को अधिक मुआवजा देने पर विचार कर रही है और साथ ही उन्हें हिस्सेदारी देने पर भी विचार कर रही है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, मंत्रालय ने एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल और अन्य को ऐसे मामलों में जहां मुआवजे पुराने कानून के तहत निर्धारित किए गए, लेकिन भूमि मालिकों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है, नए कानून के तहत मुआवजा बढ़ाने का निर्देश दिया है. यह व्यवस्था उचित मुआवजा का अधिकार एवं भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्भुगतान कानून, 2013 के प्रावधानों के तहत की गई है.

उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन किसानों पर भी लागू होगा जिनके मुआवजे एक जनवरी, 2015 से पूर्व निर्धारित किए गए थे, किंतु अधिग्रहित भूमि का कब्जा नहीं लिया गया है. मंत्रालय ने भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद से इस पर कानूनी राय मांगी है.

सरकार ने रेट्रोस्पेक्टिव क्लॉज के तहत मुआवजे की परिभाषा को भी बदल दिया है. पुराने बिल के मुताबिक अगर संबंधित व्यक्ति को मिलने वाला मुआवजा उसके खाते में नहीं भी गया है और सरकार ने अदालत में या सरकारी खाते में मुआवजा जमा करा दिया है तो उसे मुआवजा ही माना जाएगा.

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