शेयर बाजार में बजट 2013-14 के एक सप्ताह बाद जबरदस्त उथलपुथल का माहौल रहा. पहले तो बाजार में एकाएक तेजी आई और सूचकांक 19 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया. बाद में अचानक बाजार में सुस्ती का माहौल बन गया. बिकवाली के दबाव व रिजर्व बैंक की ब्याज दरों को ले कर जारी अटकलों के कारण बाजार में गिरावट का महौल बन गया.

हालात ऐसे थे कि 15 मार्च को समाप्त सप्ताह के पहले 3 कारोबारी दिनों में बाजार में लगातार गिरावट का रुख रहा और 13 मार्च को बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई का सूचकांक 202 अंक गिर गया. 1 माह में यह 1 दिन की सूचकांक की सब से बड़ी गिरावट थी. नैशनल स्टौक ऐक्सचेंज यानी निफ्टी में भी ऐसे ही हालात रहे और सूचकांक 63 अंक गिर कर 5851 अंक पर बंद हुआ. बुधवार को भी बाजार पहले दिनोंकी तरह ही गिरावट पर बंद हुआ लेकिन गुरुवार को अचानक दोबारा माहौल बदला और सूचकांक 208 अंक बढ़ कर बंद हुआ. बाजार में दिनभर उथलपुथल रही. सप्ताह के आखिरी दिन बाजार फिर गया और सूचकांक 142 अंक नीचे आ गया.

जानकारों का कहना है कि काले धन पर सरकार की सख्त नीति, तेल के दाम में बढ़ोतरी व ऋण की ब्याज दर में असमंजस की स्थिति का बाजार पर नकारात्मक असर रहा. उस के अलावा विदेशी बाजारों में जारी गिरावट का भी बाजार पर दबाव देखा गया. चालू बचत खाता घाटा कम करने के लिए विदेशी निवेश पर सरकार की सक्रियता नहीं बढ़ने के कारण भी बाजार में कमजोरी का रुख रहा. विकास दर अच्छी रहने की उम्मीद में बाजार में जल्द तेजी की आशा है.

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