पिछले 2 दिनों में नोटबंदी की वजह से बैंकों में पहुंचने वाले लोगों की लाइन देश के कई इलाकों में छोटी हुई है, लेकिन सीनियर बैंकरों को डर है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में कैश की मारामारी फिर से बढ़ सकती है. बैंकों का मानना है कि जब महीने की शुरुआत में लोगों को अपने बिल चुकाने होंगे तब उन्हें ज्यादा कैश की जरूरत होगी.

बैंककर्मियों को दिसंबर के आखिरी हफ्ते में भीड़ कम होने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद वाले हफ्ते में फिर से कैश की मारामारी मच सकती है. एटीएम नेटवर्क की पूरी कपैसिटी के साथ काम करना जरूरी है. अगर देश के सभी 2.5 लाख एटीएम पूरी कपैसिटी से काम करते हैं तो भीड़ से बच सकते हैं.

नोटबंदी के बाद पहले तीन दिनों में 30,000 करोड़ रुपये सिस्टम में डाले गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि आरबीआई के डेटा के मुताबिक लोगों के पास 28 अक्टूबर तक 17,01,380 करोड़ रुपये की करेंसी थी. इसके एक हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी.

सरकार के 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट वापस लेने के ऐलान के बाद से बैंकों पर काफी दबाव है. देश भर में बैंक एंप्लॉयी दिन भर काम कर रहे हैं. बैंकों ने अपने सेंट्रल ऑफिस के स्टाफ को भी ब्रांचों के सामने जुटने वाली भीड़ को मैनेज करने में लगाया हुआ है. दूरदराज के इलाकों में बैंक प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये या उससे कम कैश भी दे रहे हैं, जबकि सरकार ने नोट एक्सचेंज की लिमिट बढ़ाकर 4,500 रुपये कर दी है. गौरतलब है कि सरकार दूरदराज के इलाकों में करेंसी नोट भेजने के लिए हेलिकॉप्टर्स की मदद ले रही है. इसके बावजूद नोटों की मांग इसकी सप्लाई की तुलना में कम पड़ रही है.

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