सरकार ने अप्रैल में नया कंपनी अधिनियम बनाया है. इस कानून के तहत कंपनियों को सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन आवश्यक रूप से करना है. उस कानून के दायरे में आने वाली कंपनियों को अपनी कुल कमाई का 2 फीसदी खर्च सामाजिक जिम्मेदारियों पर करना पड़ेगा. नए कानून के तहत जिन कंपनियों का कुल लाभ 5 करोड़ रुपए अथवा कुल कारोबार 1 हजार करोड़ रुपए है उन्हें आवश्यक रूप से 2 फीसदी पैसा अपने कुल लाभ का सामाजिक विकास के लिए खर्च करना होगा. कंपनियों को यह पैसा शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला तथा बाल कल्याण जैसी योजनाओं पर खर्च करना होगा.

यदि सरकार के इस नियम का सख्ती से पालन होता है तो इन संगठनों के लिए कंपनियों को आज के हिसाब से एक अनुमान के अनुसार 22000 करोड़ रुपए इस क्षेत्र में लगाने होंगे. यह निधि यदि सामाजिक विकास के लिए सही तरीके से खर्च होती है तो अगले 6 साल में इस क्षेत्र में 1 लाख से अधिक युवकों के लिए नौकरी के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे. नए नियम के तहत 16 हजार से अधिक कंपनियां आ रही हैं. इस कानून का ज्यादा फायदा दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों को मिलेगा. इसलिए रोजगार के ज्यादा अवसर भी उन्हीं शहरों में उपलब्ध होंगे. जाहिर है इस क्षेत्र में भी प्रोफैशनलों को ही महत्त्व दिया जाएगा. उस में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन, कौशल विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के प्रोफैशनलों के लिए ही नौकरी के अवसर होंगे. मतलब, जिन युवकों के पास उन क्षेत्रों में अच्छी काबिलियत होगी, विशेषज्ञता हासिल होगी उन्हें 3 से 6 लाख रुपए तक की सालाना सैलरी आसानी से इस क्षेत्र में मिल जाएगी. यह खुलासा ईवाई (अर्नस्ट ऐंड यंग) के अध्ययन में हुआ है. यह एक सलाहकार कंपनी है.

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