मकान, वाहन और दूसरे कार्यों के लिये कर्ज लेने वालों को रिजर्व बैंक ने दिवाली का तोहफा दिया है. रिजर्व बैंक के नये गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में हुई पहली मौद्रिक समीक्षा में कर्ज सस्ता करने की दिशा में पहल की गई.
केन्द्रीय बैंक ने मुख्य नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की है. इस कटौती से रेपो दर पिछले छह साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई. गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व में यह पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा है जिसमें स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार गठित छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने ब्याज दरों के बारे में विचार विमर्श कर निर्णय लिया है.
समिति में तीन सदस्य सरकार की तरफ से नामित किये गये हैं जबकि बाकी तीन सदस्य रिजर्व बैंक से हैं. एमपीसी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया. रेपो दर में ताजा कटौती से बैंकों को कर्ज सस्ता करने में मदद मिलेगी और मकान, वाहन तथा कंपनियों के लिये कर्ज सस्ता होगा.
नीतिगत दर में कटौती से उत्साहित वित्त मंत्रालय ने कहा कि इससे सकल घरेलू उत्पाद में आठ प्रतिशत वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी. मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि बैंक इस कटौती का लाभ प्रभावी ढंग से ग्राहकों तक पहुंचायेंगे.
बैंकों ने भी मौद्रिक नीति के कदमों का लाभ आगे पहुंचाने का वादा किया. बैंक यदि ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो उसका लाभ उसके मौजूदा और संभावित कर्ज लेनदारों को उपलब्ध होगा.
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद रेपो दर में यह पहली कटौती है. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के जाने के बाद दरों में नरमी की काफी उम्मीद की जा रही थी, उसी उम्मीद के बीच रेपो दर में यह कटौती हुई है.