अकसर देशभर में किसानों को मिलने वाली तमाम तरह की राहत की रकम में होने वाली हेराफेरी की शिकायतें सुनाई पड़ती रहती हैं. मगर इस बार उत्तर प्रदेश में प्रशासन के निकम्मेपन की वजह से हेराफेरी का नया रिकार्ड बना है. नए मामले में साल 2014-2015 की ओलावृष्टि से बरबाद हुई फसलों के करोड़ों रुपए की राहतराशि चुपके से सरकारी अफसरों, शातिरों और बैंक वालों की तिकड़ी द्वारा किसानों के बजाय व्यापारियों के पास पहुंचा दी गई है. मजे की बात तो यह है कि बड़े अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े की भनक तक नहीं लग सकी. कलई तो तब खुली जब किसानों ने राहत रकम के चैक न मिलने पर आंदोलन छेड़ दिया.

यह पूरा फर्जीवाड़ा करीब 2 करोड़ रुपए का है, जिसे 273 एकाउंट पेई चैकों द्वारा कई खातों में भेजा गया है. लेख लिखे जाने तक पूरे मामले को 1 महीने से भी ज्यादा समय बीत चुका है, मगर जांच पूरी न होने की वजह से दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है.

क्या है मामला : साल 2014-2015 में ओलावृष्टि से बरबाद हुई फसलों की भरपाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से राहत की रकम आई थी. यह काम प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग के सहयोग से होना था. संभल जिले के उघैती थाना क्षेत्र के गगरौली गांव निवासी किशन यादव और उस के सहयोगी उरमान और अजय ने संभल समेत दूसरे जिलों के राजस्व कर्मचारियों और बैंक मैनेजरों से सांठगांठ कर 273 एकाउंट पेई चैकों का भुगतान कई व्यापारियों के खातों में करा दिया.

दरअसल, इस धांधली का मास्टरमाइंड किशन यादव बदायूं के बिल्सी कसबे में सुगंध वाटिका के नाम से एक ढाबा चलाता है.  किशन यादव स्थानीय व्यापारियों से उधार सामान लेने की वजह से भयंकर तरीके से कर्जे में फंस चुका था.

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