भारत को मौजूदा वित्त वर्ष में चीनी के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर रहना होगा. लगातार कई सालों से जारी सूखे के चलते सिंचाई की व्यवस्था कमजोर हो गई है और गन्ने की पैदावार पर खासा असर पड़ा है.

चीनी के उत्पादन में 40 फीसदी तक की कमी की संभावना है. बीते चार सालों में यह पहला मौका है, जब भारत को शत-प्रतिशत चीनी का आयात करना होगा. इस साल चीनी की वैश्विक कीमतें पहले से अधिक हैं, ऐसे में भारत की ओर से मांग बढ़ने पर दाम बढ़ सकते हैं.

यह पाकिस्तान, थाइलैंड और ब्राजील जैसे प्रतिद्वंदी देशों के लिए भी अपने निर्यात में इजाफा कर कमाई करने का मौका होगा. बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक जैन ने कहा, ‘उत्पादन में गिरावट के चलते भारत को अगले साल चीनी का आयात करने की आवश्यकता होगी.’

जैन ने कहा कि सूखे ने महाराष्ट्र के लगभग सभी इलाकों में गन्ने के उत्पादन को प्रभावित किया है. सरकार को निर्यात रोकना चाहिए ताकी अगले सीजन में आयात की जरूरतों को कम किया जा सके.

अल-नीनो के प्रभाव से सूखे की स्थिति पैदा होने के चलते ज्यादातर किसान गन्ने की बुवाई नहीं कर सके हैं.सात साल में यह पहला मौका होगा, जब देश में चीनी का उत्पादन उपभोग की जरूरतों से भी कम होगा.

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