आयकर कानूनों में इतने पेच हैं कि किसी के लिए भी उन्हें समझना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है, जबकि उचित कर नियोजन के द्वारा व्यक्ति न केवल करों की देनदारियों को कम कर सकता है, बल्कि अपने जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में निर्धारित लक्ष्यों के लिए भी बचत कर सकता है.

टैक्स प्लानिंग क्या है और क्यों जरूरी है, आइए जानते हैं:

टैक्स किसे कहते हैं

हर वित्तवर्ष की शुरुआत में हर नौकरीपेशा शख्स अपने ऐंप्लायर को उस रकम की जानकारी देता है, जो वह इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम, बीमा पौलिसी प्रीमियम, मकान किराया, होम लोन, ऐजुकेशन लोन या बच्चों की ट्यूशन फीस पर खर्च करने वाला है. इसी घोषणा के आधार पर तय होता है कि नौकरी करने वाले शख्स की ऐनुअल टैक्स लायबिलिटी यानी वार्षिक कर देनदारी कितनी होगी और आप के वेतन से कितना टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती या टैक्स डिडक्टिड ऐट सोर्स) कटेगा.

टैक्स प्लानिंग टैक्स चोरी नहीं. इस में आप गंभीरता से अपनी आय के स्रोत और निवेश के विकल्पों की प्लानिंग करते हैं. टैक्स प्लानिंग का मतलब यह भी नहीं है कि आप आंख मूंद कर के धारा 80 सी के विकल्पों में पैसा लगा दें. टैक्स प्लानिंग मुश्किल नहीं बल्कि काफी आसान है.

टैक्स प्लानिंग की जरूरत क्यों

एक ऐफिशिएंट टैक्स प्लानिंग टैक्स देनदारी कम करने में आप की मदद करती है. उदाहरण के तौर पर हो सकता है कि आप शादी करने वाले हों या फिर आप को घर की जरूरत हो, इस स्थिति में आप को खुद पर आश्रित जीवनसाथी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए इंश्योरैंस की जरूरत पड़ेगी, साथ ही आप को होम लोन का भी खयाल रखना होगा.

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