गंदा है पर धंधा है. और धंधे के लिए बनिए का दिमाग और हिन्दीचीनी भाई की डेयरिंग लेकर चीन आज अमेरिका को धूल चटा रहा है. हालांकि इस पूरे खेल में चीन भारतीय कंधे का इस्तेमाल कर रहा है. कैसे? आइये जानते हैं.

मोबाइल शिपमेंट में अमेरिका को खदेड़ा

दीवाली सीजन है और इंडिया में इलेक्ट्रानिक बाजार, खासकर स्मार्टफोन्स सेगमेंट पर चीन की धमक इस कदर बढ़ती जा रही है कि चौथे क्वार्टर में ही मोबाइल शिपमेंट में अमेरिका को बुरी तरह से पटकनी दे दी गयी है. कहने को यह पटकनी भारत ने दी है लेकिन चूंकि मोबाइल शिपमेंट में टौप पर चीनी ब्रैंड शियोमी बरक़रार है तो समझा जा सकता है कि इंडियन मार्केट का इस्तेमाल चीन ने अमेरिका के खिलाफ कितना स्मार्टली किया है. रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के स्मार्टफोन मार्केट में सैमसंग को पीछे छोड़कर चीन की कंपनी शियोमी ने फिर नंबर 1 पोजिशन हासिल कर ली है. मामला है की जब फेस्टिव सीजन से पहले भारत का स्मार्टफोन शिपमेंट 24 फीसदी बढ़ा है तो जाहिर है दीवाली तक यह और बूस्ट करेगा. ये आंकड़े मार्केट मौनिटर सर्विस काउंटरप्वाइंट के शोध पर बेस्ड हैं.

आंकड़ों में फिसड्डी इंडियन ब्रैंड्स

कहने को भारत के मोबाइल शिपमेंट ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. लेकिन यह जीत चीन की इसलिए भी है क्योंकि स्मार्टफोन का शिपमेंट में 24% की बढोतरी के पीछे स्मार्टफोन मार्केट में टॉप 5 ब्रांड्स की हिस्सेदारी (77 फीसदी) का अहम् रोल है. आंकड़ों की बात कर्रें तो सैमसंग की बाजार हिस्सेदारी 23 फीसदी रही तो वहीँ शियोमी की 5 फीसदी से बढ़कर 27 फीसदी पहुंच गई. वहीँ वीवो तीसरे नंबर पर रही. इन टौप 3 ब्रेड्स में किसी भी भारतीय ब्रैंड्स का न होना शर्मनाक है.

अमेरिका का ‘रोटन’ एप्पल

बात यही नहीं ख़त्म हुई. अमेरिकी दिग्गज कम्पनी आईफोन के हाल भी बहुत अच्छे नहीं है. अगर पिछले 4 सालों की बात करें तो आईफोन की सेल में जबरदस्त गिरावट आई है और इस गिरावट के पीछे कोई और नहीं बल्कि चीन के सस्ते मगर टिकाऊ गिरावट दर्ज की गई है. हांगकांग आधारित काउंटरप्वाइंट रिसर्च के मुताबिक़ भारत में 1 साल पहले जहां एप्पल की सेल 1 मिलियन थी तो वहीं अब ये आंकड़ा गिरकर सिर्फ 700,8000 से लेकर 800,000 यूनिट्स तक पहुंच गया है. साल 2018 की बात करें तो एप्पल का प्लान इस साल 2 मिलियन यूनिट्स को बेचने का था, जो जाहिर है फ्लॉप हो चुका है.

अमेरिका का यह चहेते एप्पल के सड़ने (रोटन) के पीछे असली वजह चीन की वही बन्दूक है जो भारतीय कन्धों से ताबड़तोड़ फायर कर रही है.

दरअसल एपल डिवाइस की महंगी कीमत, ट्रेड ट्रॉफिक और गिरते रुपये के कारण इसकी बिक्री का यह आंकड़ा दिन ब दिन गिरता जा रहा है, दूसरी और चीन की ज्यादातर मोबाइल कम्पनियां अपने स्मार्टफोन्स एपल के सिमिलर फीचर्स, इंडियन कंज्यूमर्स के लिहाज से सहज डिवाइस और अपेक्षाकृत कम कीमतों में भारतीय उपभोक्ताओं को मुहैया करा रही हैं. इसके अलावा एंड्रौइड बेस तेजी से बढ़ रहा है लेकिन एप्पल को अपने साथ नए कस्टमर्स जोड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चीन में एप्पल की सेल्स ठंडी पड़ी है ऐसे में कंपनी को भारत में काफी संभावनाएं दिखाई दे रही है, लेकिन कंपनी को उसकी उम्मीद के मुताबिक अभी तक भारत में सफलता नहीं मिली है. गौरतलब है कि एप्पल का भारत में मार्केट शेयर 1% के करीब है.

चीनी शादी में हम हैं अब्दुल्ले

प्रचारित यह किया जा रहा है कि भारत का मोबाइल शिपमेंट मार्केट जबरदस्त ग्रो कर रहा है. लेकिन इसमें भारत को क्या फायदा हो रहा है? दिहाड़ी मजदूरी पर भारीभरकम डिलीवरी बैग्स कंधे पर लटकाए युवा मजदूर सामान यहाँ से वहां भले ही डिलीवर कर, खुद को रोजगारी समझ रहे हैं लेकिन 8-10 हजार रूपये में काम करने वाले इन युवाओं को मशीनों की तरह इस्तेमाल किया. कोई उत्पादकता नहीं है.

दूसरी तरफ अमेरिका भारत में स्मार्टफोन मार्केट डबल डिजिट में ग्रोथ कर रहा है. इसके बावजूद एक भी भारतीय ब्रैंड घरेलू बाजार में अपनी जगह नहीं बना पा रहा है. माइक्रोमैक्स जैसे इक्का दुक्का ब्रैंड जो चल रहे हैं वे सब चीन से तकनीक आयात कर रहे हैं. अपना कुछ भी सृजित नहीं कर पा रहे.

हमें सब पका पकाया खाने की आदत हो गयी है. सब स्मार्टफोन से और्डर कर सकते हैं लेकिन खुद का इंटरनेशनल लेवल का प्रोडक्ट तैयार करना नहीं आता. अकर्मण्यता के चलते आज चीन मेड इन इंडिया के लेबल की आड़ में अपनी जेबें भर रहा है औऱ हम बेगानी शादी में दीवाने अब्दुल्ला की तरह आंख बंद कर नाचने में मशरूफ हैं.

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