गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद बौंबे स्टौक ऐक्सचेंज यानी बीएसई को जैसे पंख लग गए. गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम वाले दिन 18 दिसंबर को सूचकांक सुबह 1,200 अंक की गिरावट के बाद संभला और मजबूती पर बंद हुआ. राज्य में विजय रूपाणी ने जब

26 दिसंबर को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो सूचकांक नए शिखर पर पहुंच गया. मतगणना वाले दिन सुबह पहले रुझान कांग्रेस के पक्ष में थे तो बाजार ढह गया लेकिन बाद में भाजपा की बढ़त के बाद बाजार में तेजी देखी गई.

इस से साफ है कि बाजार का उत्साह भाजपा की नीति पर निर्भर रहा है, दिसंबर के आखिरी सप्ताह से पहले के 5 सत्रों में 3 दिन सूचकांक तेजी पर रहा और साल के आखिरी सप्ताह 34,010 अंक के रिकौर्ड स्तर पर पहुंच गया. 2 माह में सूचकांक ने

1 हजार अंक की बढ़त दर्ज की. पिछले साल 1 फरवरी को बाजार ने 28,000 अंक को पार किया था और फिर 6 मार्च को 29,000 तथा 26 अप्रैल को 30,000 का आंकड़ा पार किया. उस के बाद 26 मई को 31,000, 13 जुलाई को 32,000, 25 अक्तूबर को 33,000 और 26 दिसंबर को 34,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया. इस तरह पिछले साल सूचकांक करीब 7,500 अंक चढ़ा. नैशनल स्टौक ऐक्सचेंज यानी निफ्टी में भी यही तेजी रही और निफ्टी का सूचकांक 26 नवंबर को 10,500 के रिकौर्ड तक पहुंचा.

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