वेब सीरीजः रसभरी

रेटिंग: ढाई स्टार

निर्देशकः निखिल नागेश भट्ट

कहानीः शांतनु श्रीवास्तव

संगीतकारः चिरंतन भट्ट

कलाकार: स्वरा भास्कर, आयुष्मान सक्सेना, प्रदुम्न सिंह, अक्षय युरी

अवधिः 8 एपीसोड- कुल समय तीन घंटे 5 मिनट

पुरूष प्रधान समाज में औरतों की स्थिति के साथ साथ किशोरवय में लड़के व लड़कियों की सेक्स को लेकर रसीली बातें, सेक्स के प्रति उनके आकर्षण, कौमार्य भंग की कल्पना और दमित इच्छाओं को उन्हीं की भाषा में फिल्मकार निखिल नागेश भट्ट बोल्ड वेब सीरीज ‘‘रसभरी’’ लेकर आए हैं, जो कि ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म अमैजॉन प्राइम वीडियो पर प्रसारित हो रही है.

कहानीः

वेब सीरीज की कहानी उत्तरप्रदेश के मेरठ शहर में घूमती है. कहानी का केंद्र अंग्रेजी की टीचर शानू बंसल (स्वरा भास्कर) और किशोरवय छात्र नंद (आयुष्मान सक्सेना) है. एक दिन नंद किशोर त्यागी उर्फ नंद अपने दोस्तों को अपनी ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई की मजेदार कहानी सुनाता है. ग्यारहवीं कक्षा के यह सभी लड़के व लड़कियां सेक्स क्रेजी हैं, सभी ‘अफेयर’ आदि की ही बातें करते रहते हैं. महिला वस्त्रों के व्यापारी त्यागी के बेटे नंद के स्कूल के दोस्तों में विपुल (अक्षय युरी), रूपाली (सुनाक्षी ग्रोवर), प्रियंका(रश्मि अगड़ेकर) वगैरह हैं. नंद, प्रियंका को पहले बहन मानता था, अब उसे अच्छा दोस्त बना लिया है. प्रियंका मन ही मन नंद के प्रति आकर्षित है, इसलिए एक दिन वह कक्षा के ब्लैक बोर्ड पर ‘नंद लव प्रियंका’ लिख देती है. इस तरह नंद व प्रियंका के बीच प्रेम की शुरूआत होती है. किशोरवय के नंद को अपने कौमार्य को खोने की कल्पना परेशान कर रही हैं. एक दिन कौमार्य खोने की कल्पना को साकार करने के लिए स्कूल के एक चपरासी की सलाह पर नंद एक महिला के घर पहुंचता है, उसे मुंहमांगे पैसे देता है, पर फिर उसे लगता है कि वह ‘गे’ के पास पहुंच गया है, तो वहां से भागता है.

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इसी बीच स्कूल में उन्हे अंग्रेजी पढ़ाने के लिए शानू बंसल (स्वरा भास्कर) नामक नई शिक्षक का आगमन होता है, जिसके पति नवीन(प्रद्युम्न सिंह) दुकान दुकान जाकर मोबाइल बेचते हैं. स्कूल के सभी लड़के शानू की खूबसूरती व उनके आधुनिक पहनावे पर लट्टू हो जाते हैं. नंद भी शिक्षक शानू बंसल की ओर आकर्षित होकर स्कूटर से उसका पीछा करने का फैसला करता है. तो वहीं पूरे इलाके में शानू बंसल के ही चर्चे होने लगते हैं कि वह हर पुरूष को अपनी तरफ खींच रही है. चर्चा होती है कि पप्पू केबल वाले से लेकर पुलिस अफसर तक उसके घर जाकर वापस आने पर रसभरी बातें करते हैं. इन पुरूषों के लिए उसका नाम रसभरी है. नंद एक पुरानी घर काम करने वाली वीरा बाई को कुछ रकम देकर उसे शानू बंसल के घर पर काम करने और उस पर नजर रखकर जानकारी देने के लिए कहता कि कब कौन शानू बंसल के घर आता है. पर वीरा की नजर में शानू गलत नही है. पर व्यक्तिगत रूप से एकांत में शानू का संग पाने का समय न मिलने से नंद की हताशा कोई सीमा नहीं रहती. इतना ही नहीं शिक्षक शानू के चक्कर में नंद, प्रियंका को भी नजरंदाज करने लगता है.

शानू का जीवन शहर के हर इंसान के जीवन का केंद्र बिंदु बन चुका है. पुरूष उसके बारे में सोचना बंद नहीं करते, जबकि उनकी पत्नियां भी शानू की ही चर्चा करती रहती हैं. पर नंद अपने माता पिता को मनाकर शानू बंसल के पास अंग्रेजी का ट्यूशन पढ़ने जाने लगता है. शानू के बारे में चर्चाएं सुनकर शानू बंसल के साथ अपना कौमार्य भंग करने की कल्पना से ओतप्रोत नंद एक दिन अपनी शिक्षक शानू का चुंबन ले लेता है. इस पर शानू बंसल उसे थप्पड़ जड़ते हुए अपने घर से भगा देती है. नंद की माफी भी वह कबूल नही करती. तब शआनू की जिंदगी बर्बाद करने के लिए नंद, शानू के पति नवीन से मिलकर शानू के खिलाफ बहुत कुछ बकता है. पर जब नवीन उसे अपनी पत्नी शानू का अतीत बताते हुए रसभरी की कथा बताता है, तो नंद खुद को एक दोषी मानने के साथ ही अजीब सी स्थिति मे पाता है.व ह पुनः माफी मांग कर शानू से उनके घर अंग्रेजी पढ़ने जाने लगता है. शानू ट्यूशन लेते हुए जिंदगी की बहुत बड़ी शिक्षा नंद को मिलती है. वह अपनी मां सहित शहर की औरतों को समझा भले न पाए, मगर शानू बंसल के लिए रक्षक जरुर बनता है.

लेखनः

लेखक शांतनु श्रीवास्तव ने विषय एकदम सटीक उठाया है, मगर पटकथा लेखन में वह काफी चूक गए. इस वेब सीरीज में यॅूं तो किरदारों की भरमार है, मगर लेखक शानू बंसल, नंद और प्रियंका के अलावा अन्य किरदारों का सही चित्रण नहीं कर पाए, परिणामतः यह बेहतर वेब सीरीज न बन सकी. बेवजह भूत व झाड़फूंक के दृष्य को जोड़ा गया है, इससे दर्शक भ्रमित होता है. कहानी व पटकथा में काफी झोल है. शानू ही रसभरी भी है, पर यह कैसे इसे स्पष्ट करने में लेखक व निर्देशक दोनों असफल रहे हैं. किशोर वय के बच्चों के मुंह से कुछ गंदी गालियां अखरती हैं. किशोरवय के लड़के व लड़कियों के मुंह में द्विअर्थी संवाद ठूंसे गए हैं.

इसमें ‘हर रिश्ते में ऑनेस्टी/ईमानदारी होनी चाहिए’ तथा ‘हमारी और तुम्हारी जांघो के बीच जो आग लगी है, वही सच है.’ जैसे कुछ संवाद अच्छे बन पड़े हैं.

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निर्देशनः

बतौर निर्देशक निखिल नागेश भट्ट भी कई जगह चूक गए हैं. निर्देशक ने इस वेब सीरीज में ‘सेक्स की भावना प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया है.’ तथा ‘किशोरवय में पहुंचते ही हर लड़का, लड़की चाहता है कि स्कूल में उसके अफेयर की चर्चा हो, पर उसमें ईमानदारी होनी चाहिए.’ के माध्यम से कुछ संदेश देने का भी प्रयास किया है.

अभिनयः

बोल्ड वेब सीरीज ‘‘रसभरी’’ का टीजर व ट्रेलर देखकर अहसास हुआ था कि इसमें स्वरा भास्कर रसभरी के रूप में सेक्स सिंबल नजर आएंगी, मगर ऐसा कुछ नहीं है. शानू बंसल और रसभरी चरित्र प्रभावशाली है, जो लोगों के दिलो दिमाग में अपनी जगह बना लेते हैं. यह केंद्रीय चरित्र है, इसमें कोई संदेह नहीं है. लेकिन यह स्वरा द्वारा निभाए गए अब तक के चरित्रों से भिन्न नहीं है. रसभरी को देखकर ‘अनारकली आफ आरा’ की याद आ जाती है, जिसमें अनारकली के किरदार मे इसी तरह के लटके झटके करते हुए स्वरा भास्कर नजर आयी थी.

नंद की किशोरावस्था के विभिन्न रंगों को चित्रित करने में आयुष्मान सक्सेना सफल रहे हैं. उनके शानदार अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, कम है. वह नंद के किरदार को निभाते हुए कथानक को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

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प्रियंका के किरदार में रश्मि अडगेकर ने भी अच्छा परफार्म किया है. आयुष्मान के साथ उनकी केमिस्ट्री बहुत अच्छी जमी है. प्रदुम्न सिंह व नीलू कोहली के हिस्से करने को कुछ आया ही नहीं…इनकी प्रतिभा को तो जाया किया गया..

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