फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय की विविधता के चलते एक बेहतर मुकाम हासिल करने वाले प्रतिभाशाली अभिनेता संजीव कुमार का नाम उन फिल्मी हस्तियों में भी शुमार किया जाता है जिन्होंने शादी नहीं की. इस मामले में तो उनका नाम लता मंगेशकर, परवीन बौबी, वहीदा रहमान और नन्दा जैसे कलाकारों से भी पहले लिया जाता है. गुजरात के सूरत में गरीब पारसी परिवार में जन्मे संजीव कुमार का असली नाम हरि भाई जरीवाला था.
दूसरे कई कलाकारों की तरह एक्टिंग का शौक उन्हें भी मुंबई खींच लाया लेकिन उनकी कोई जान पहचान फिल्म इंडस्ट्री में नहीं थी. शुरुआती दौर में बतौर स्ट्रगलर उन्हें छोटे मोटे रोल ही मिले लेकिन ये रोल भी उन्होंने इतनी शिद्दत से निभाए कि जल्द ही वे नामी गिरामी निर्माता निर्देशकों की निगाह में चढ़ गए. असाधारण प्रतिभा के धनी संजीव कुमार ने हर तरह की भूमिकाएं निभाई. हास्य, गंभीर, खलनायक, रोमांटिक और चरित्र अभिनेता के रूप में वे खूब सराहे गए फिर शोले फिल्म के ठाकुर के रोल ने तो नए रिकार्ड गढ़ दिये थे.
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हालांकि फिल्म समीक्षक कभी यह तय नहीं कर पाये कि उन्होंने किस फिल्म में अच्छी एक्टिंग की थी. खिलौना में, सीता और गीता में, कोशिश में, नया दिन नई रात में, त्रिशूल में अंगूर में या फिर आंधी और मौसम में. एक्टिंग के यही शेड्स संजीव कुमार को खास बनाते थे. इसके अलावा स्टार बनने के बाद भी उन्होंने कभी नखरे या गुरूर नहीं दिखाया उल्टे लोग उनकी नम्रता का मिसाल देते थे.
फिल्में चलीं तो उनके रोमांस के चर्चे भी होने लगे कभी उनका नाम जया भादुरी से जोड़ा गया तो कभी हेमा मालिनी और रेखा से भी, लेकिन नूतन से उनके दिली लगाव के किस्से बेहद आम रहने लगे थे. संजीव कुमार की इसे खूबी कह लें या कमजोरी कि वे कभी अपने रोमांस के चर्चों पर कुछ नहीं बोलते थे और न ही इस बारे में कि वे शादी क्यों नहीं कर रहे. नूतन ने रजनीश बहल से शादी के बाद एक बार उन्हें सरे आम थप्पड़ रसीद कर दिया था क्योंकि उनसे उनके रोमांस के चर्चे उनकी शादीशुदा ज़िंदगी में कलह पैदा करने लगे थे.
संजीव कुमार की व्यक्तिगत जिंदगी में दिलचस्पी और दखल रखने वाले आखिर यह रहस्य ढूंढ ही लाये कि वे शादी क्यों नहीं कर रहे. यह रहस्य एक अजीब किस्म का अंधविश्वास था. यह अंधविश्वास भी बड़ा विचित्र था कि उनके परिवार में शादीशुदा मर्द का बेटा जब दस साल का हो जाता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है. उनके पिता, चाचा और दादा के साथ ऐसा हो चुका था इसलिए वे शादी के नाम से ही डरने लगे थे लिहाजा उन्होने कुंवारा रहने का ही फैसला ले लिया.
लेकिन इसके बाद भी उनकी मौत तभी हुई जब उनका बेटा दस साल का हो गया. दरअसल संजीव कुमार ने अपने मरहूम भाई नकुल के बेटे को गोद ले लिया था और जब वह दस साल का हुआ तो साल 1985 में 47 साल की उम्र में हार्ट अटैक से चल बसे. इस घटना की चर्चा आज भी फिल्म इंडस्ट्री में होती रहती है. कई लोग इसे वाकई अंधविश्वास मानते हैं तो कई महज इत्तफाक मानते हैं लेकिन यह बात सच के ज्यादा नजदीक लगती है कि यह कोरा अंधविश्वास ही था क्योंकि जिंदगी के आखिरी दिनों में वे शराब बहुत ज्यादा पीने लगे थे.
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हालांकि एक परिवार में लगातार ऐसा होना आनुवंशिकी विज्ञान के लिहाज से शोध का विषय है लेकिन संजीव कुमार के अविवाहित रहने का राज, राज नहीं रह गया था. जिसके चलते वे जिंदगी भर घर गृहस्थी के सुख को तरसते रहे.