सोमवार ,23 दिसंबर को अपनी फिल्म‘‘पंगा’’के ट्रेलर लौंच के मौके पर नागकिरता कानून का विरोध व हिंसा करने वालों के संदर्भ में कंगना ने कहा था- ‘‘इस मामले में मेरी राय तो इतनी लंबी-चौड़ी है कि यहां बताना शुरू करूंगी तो सुबह हो जाएगी. लेकिन इस समय उतना ही कहूंगी, जिससे मेरी फिल्म के ट्रेलर लौन्च इवेंट पर फर्क न पड़े. जब भी आप किसी भी चीज को लेकर प्रदर्शन करते हैं, तो यह ध्यान रखें कि आप हिंसा न करें. हमारे देश की जो जनसंख्या है, उसमें सिर्फ 3 से 4 प्रतिशत लोग ही टैक्स देते हैं, बाकी सबको उसी टैक्स के भरोसे रहना पड़ता है. ऐसे में यह अधिकार आपको कौन देता है कि आप बस और ट्रेन जलाकर देश का माहौल खराब करें. इस बारे में हमें ध्यान रखना होगा, एक-एक बस 90-90 लाख की होती है और यह कोई छोटा अमाउंट नहीं है. इस समय देश की जो हालत है. ऐसे में इस तरह की हिंसा की जरूरत नहीं है. लोग भुखमरी से मर रहे है. लोकतंत्र के नाम पर हम यह सब क्या कर रहे हैं.’’

कंगना ने आगे कहा था-‘‘जब हमारा देश अंग्रेजों के अधीन था, तब इस तरह की आगजनी और प्रदर्शन को कूल समझा जाता था. आज जो आपके लीडर हैं, वह जापान या इटली से तो नहीं हैं, वह आपके ही बीच के इंसान हैं, जो छोटी जगह से उठ कर अपने दम पर लीडर बनें हैं, आज 10-15 साल से वह लीडर हैं,यह उनकी खासियत है. देश के लीडर ने अपने मेनोफेस्टो में जो बात कही थी और उसके बाद उनको सत्ता मिली, वही काम तो वह पूरा कर रहे हैं... अब क्या यह डिमौक्रेसी नहीं है.’’

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