पब्लिसिटी के लिए आज निर्माता, निर्देशक से लेकर कलाकार तक सब कुछ भी कहने और करने से कतराते नहीं है. पब्लिसिटी के नये-नये तरीके हर रोज खोजे जाते हैं. इसका एक उदहारण पिछले दिनों एक धारावाहिक के प्रमोशन में कई जगह दिखाई पड़ा. प्रमोशन कि लिए सबको सफेद ड्रेस में बुलाया गया, क्योंकि बताया गया कि वो किसी के चरित्र की मृत्यु की शोक सभा थी. इतना ही नहीं, हर किसी को उस सभा में दु:खी और उदास चेहरा लिए उपस्थित होना था. वहां पर ये समझ पाना मुश्किल था कि ये सब किसलिए और क्यों किया जा रहा है.
वहीं रणबीर कपूर ने अपनी फिल्म की प्रमोशन के दौरान ये कह डाला कि अगर उन्होंने कोई मिस्टेक अपने लाइफ में की है तो वो है सड़क पर लघुशंका करना. अजीब ही सही पर उन्होंने जो कहा, उसे ही हर जगह पढ़ा और देखा गया.
इसके आगे और भी उदाहरण हैं, रितेश देशमुख अपनी फिल्म ‘बैंक चोर’ के लिए पहले तो कुछ लोगों के द्वारा ‘रोस्ट’ हुए, फिर किसी मॉल में चोरी करते देखे गए. जब इस बारें में उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये फिल्म निर्माता की मर्जी है, उनकी नहीं. वे कहते हैं कि उन्होंने फिल्म साईन की है, तो उनके हिसाब से काम भी करना पड़ेगा. ये भी तो पब्लिसिटी का ही अंग है.
पब्लिसिटी के अलग-अलग तरीके अपनाने का अर्थ है कि लोग उस फिल्म की तरफ आकर्षित हों और उनकी फिल्म दर्शकों तक पहुंच सकें. इस बारे में इरफान खान कहते हैं कि पब्लिसिटी जरुरी है, पर उसे सही तरह से ही किया जाना चाहिए, ताकि दर्शकों के मन में उस फिल्म के बारे में उत्सुकता जागृत हो और वे सिनेमाहॉल तक फिल्म देखने आयें. फिल्म की कहानी अगर अच्छी न हो तो कितनी भी पब्लिसिटी कर ली जाए, फिल्म नहीं चलती.