फिल्मी दुनिया में काम करने वाले हर शख्स का यही सपना होता है कि वह सिल्वर स्क्रीन पर बतौरअभिनेता अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करे, लेकिन कुछ विरले ही ऐसे हैं जो सोचते हैं कि सिनेमा में उन की पहचान एक खलनायक के रूप में हो. 30 से अधिक धारावाहिक और कई रिएलिटी शोज में काम कर चुके चेतन हंसराज ऐसे ही चंद लोगों में शुमार हैं, जिन्होंने फिल्मों में हमेशा ग्रे शेड को चुना, चेतन एक ऐसे खलनायक के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं कि लोग उन के ग्रे किरदार से हमेशा उन्हें याद रखें. फिल्म ‘हीरो’ और ‘बौडीगार्ड’ में उन के द्वारा निभाए गए नैगेटिव रोल को दर्शक आज भी याद करते हैं. जी टीवी के शो ‘एक था राजा एक थी रानी’ में हंसराज एक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं. पेश हैं, इसी शो के इवैंट पर उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश :
फिल्म या टीवी शो में विलेन की क्या अहमियत होती है?
मेरा मानना है कि यदि फिल्म की कहानी में कोई नैगेटिव कैरेक्टर नहीं होगा तो वह फिल्म या शो बन ही नहीं सकता, क्योंकि फिल्म में हीरोहीरोइन के नाचगाने के बाद कहानी को आगे बढ़ाने के लिए ट्विस्ट की जरूरत पड़ती है. अगर कहानी में कोई विलेन नहीं है तो कहानी आगे बढ़ेगी ही नहीं और आप को भी मजा नहीं आएगा, क्योंकि सीधीसपाट कहानी एक डौक्यूमैंट्री फिल्म की तरह लगती है. फिल्म में जितना महत्त्वपूर्ण अभिनेता होता है उतना ही महत्त्वपूर्ण खलनायक भी होता है.
इस क्षेत्र में आने का सपना कब देखा?