‘स्टूडेंट ऑफ द ईअर’ से लेकर ‘उड़ता पंजाब’ तक आलिया भट्ट ने महज चार वर्ष के अंदर काफी यात्रा कर ली है. विविधतापूर्ण किरदार निभाकर उन्होंने खुद को इतना बेहतरीन अदाकारा साबित कर दिखाया है कि शर्मिला टैगोर चाहती हैं कि यदि मंसूर अली खान पटौदी पर फिल्म बने, तो उसमें आलिया भट्ट उनका किरदार निभाएं. फिलहाल आलिया भट्ट दस मार्च को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ को लेकर उत्साहित हैं.

पिछली फिल्म उड़ता पंजाब के प्रदर्शन के बाद किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिली?

सबसे पहले तो मुझे सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का पुरस्कार मिल गया. तमाम लोगों ने मुझसे कहा कि उन्हें खुद नहीं पता था कि पंजाब में ड्रग्स को लेकर हालात इतने अधिक खराब हैं. कुछ लोगों को यह फिल्म आंख खोल देने वाली लगी. लोगों ने कहा कि उन्हें यह जानकर बड़ा धक्का लगा कि इस तरह की भी दुनिया है. लोग इस तरह का व्यवहार भी कर सकते हैं. तमाम लोगों ने महसूस किया कि यथार्थ ने उनका इस फिल्म में परिचय कराया. हकीकत यह है कि हम लोग अपने अपने घरों में कैद रहकर यह कल्पना भी नहीं कर पाते हैं कि ‘उड़ता पंजाब’ में जिस तरह का संसार दिखाया गया है, उस तरह का संसार हो सकता है. कुछ लोगों ने कहा कि वह इतना अंधकारमय संसार नहीं देख सकते. यानी कि इस फिल्म ने लोगों को भावनात्मक स्तर पर छुआ.

छोटे शहरों की लड़कियों की सोच, समझ, एटीट्यूड सब कुछ अलग होती है. इसे समझने के लिए आपने क्या किया?

जब मैं किसी किरदार को निभाना शुरू करती हूं, तो वह किरदार जिस शहर का होता है, मैं मानकर चलती हूं कि मैं उसी शहर की हूं. ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में मेरा वैदेही का किरदार कोटा जैसे शहर की लड़की है. तो कोटा शहर का अहसास मुझे तब हुआ, जब हम शूटिंग करने कोटा पहुंचे. उससे पहले निर्देशक शशांक खेतान ने जो पटकथा दी थी, उसके आधार पर हमने किरदार को लेकर अपनी तैयारी की थी. पर कोटा पहुंच कर वहां रहते हुए हमने लोंगो को ऑब्जर्व किया कि वह क्या हैं? किस तरह से बातचीत करते हैं? उनकी चालढाल क्या है?

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