गैर फिल्मी परिवार से आकर संघर्ष करते हुए बौलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना लेने वाले अभिनेता विनीत कुमार सिंह निरंतर सफलता की उंचाइयां छू रहे हैं. ‘गैंग आफ वासेपुर’’ के दानिश खान से लेकर ‘मुक्काबाज’’ के श्रवण कुमार तक विनीत हर किरदार में लोगों का दिल जीतते आए हैं. 27 सितंबर को ‘नेटफ्लिक्स’ पर आयी ‘‘बार्ड आफ ब्लड’’ में एक अफगानी कमांडों वीर सिंह के रूप में उन्होंने जबरदस्त हंगामा मचाया. अब 25 अक्टूबर को प्रदर्शित हो रही तुशार हीरानंदानी निर्देशित फिल्म‘‘सांड़ की आंख’’ में वह निशानेबाजी के कोच यशपाल की भूमिका में नजर आएंगे.

फिल्म ‘‘मुक्काबाज’ में आप हीरो बनकर आए थे. जबकि फिल्म ‘‘सांड़ की आंख’’ में आप एक बार फिर कैरेक्टर कर रहे हैं?

मैं हर तरीके का एक्सपेरीमेंट करता रहूंगा. मैं चाहता हूं कि मैं ज्यादा से ज्यादा अलग अलग तरह के किरदार शुरुआती दौर में कर सकूं. क्योंकि कहीं ना कहीं ‘मुक्काबाज’ के बाद बहुत सारी फिल्में वैसी ही आ रही हैं, जो उस किरदार के टेंपरामेंट से प्रेरित हैं. पर मैं उससे बचने का प्रयास कर रहा हूं. फर्क इतना है कि ‘मुक्काबाज’ में बौक्सर के तौर पर वह बाक्सिंग रिंग से जुड़ा हुआ था. तो दूसरी फिल्मों में किसी और चीज से जुड़ा हुआ, लेकिन टेंपरामेंट वही था. मैंने ऐसे किरदार ठुकराए. मैं चाहता हूं कि अलग रिदम के किरदार मुझे मिले. अलग मानसिक सोच रखने वाले किरदार मुझे मिले. अलग भाषा बोलने वाले किरदार मुझे मिले. अलग बौडी लैंग्वेज वाले किरदार मुझे मिले. अलग अप्रोच वाले किरदार भी मिलें. मैं हमेशा यही तलाशता रहता हूं. मेरी राय में करियर की शुरूआात में ज्यादा से ज्यादा एक्सपेरीमेंट करना जरूरी है. जिससे भविष्य में मुझे इन किरदारों से रिफरेंस प्वाइंट मिल सके. जिससे लोग कहें कि यह कलाकार इस तरह का भी काम कर सकता है. फिल्म ‘‘गोल्ड’’ में मैंने कुछ अलग किया था. अभी 27 सितंबर से ‘नेटफ्लिक्स’ पर आयी ‘बार्ड औफ ब्लड’ 190 देशों में रिलीज हुई.

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