‘‘कलर्स’’चैनल पर हर शनीवार और रवीवार प्रसारित हो रहे सीरियल‘‘कवच 2’’में अंगद की बहन शोभा के किरदार में नजर आ रही अभिनेत्री संयोगिता मायर कोई नई अदाकारा नहीं है. भोपाल निवासी संयोगिता मायर ने 2001 में मुंबई में कदम रखा था. 2001 से 2009 के बीच उन्होने‘‘कर्म अपना अपना’’सहित कई सीरियलों के अलावा तेलगू, तमिल व कन्नड़ फिल्मों में अभिनय किया. उसके बाद एकता कपूर ने उन्हें सीरियल ‘‘पवित्र रिश्ता’’ का आफर दिया था. मगर संयोगिता ने इस आफर को ठुकरा कर लंदन निवासी अंग्रेज के साथ शादी कर 2009 में लंदन चली गयी. दो बेटियों की मां बनने तथा लंदन में कुछ काम करने के बाद 2017 में वह वापस मुंबई लौट आयी. तब से वह लगातार टीवी इंडस्ट्री में कार्यरत हैं.

प्रस्तुत है संयोगिता मायर से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत, जिसमें उनके संघर्ष व बौलीवुड मे शोषण की भी कहानी निहित है.

अपनी अब तक की यात्रा को किस तरह से देखती हैं?

मेरी अब तक की यात्रा बहुत संघर्षमय रही है. हम मूलतः भोपाल के रहने वाले हैं. मेरे नाना जी किसान होने के साथ ही मशहूर लेखक हैं. मेरी मां शोभा माहेश्वरी और मेरे पिता दोनों वकील हैं. हम तीन बहने हैं. मैं दूसरे नंबर पर हूं. हमारी शिक्षा भोपाल में ही हुई. जब मैं 9 वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तभी मेरे मम्मी पापा में तलाक हो गया. हम तीनों बहनें अपनी मम्मी के साथ रहते आए हैं. घर के माहौल को देखते हुए हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्मों में काम करने के मकसद से 16 वर्ष की उम्र में मैं मुंबई चली आयी.

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इतनी छोटी उम्र में अभिनय के क्षेत्र में करियर बनाने का ख्याल कैसे आया?

सच यह है कि बचपन में मैं पुलिस अफसर बनना चाहती थी. लेकिन बचपन से ही मुझे टीवी देखने का शौक रहा है. मैं टीवी पर प्रसारित होने वाले डांस कार्यक्रम ज्यादा देखती थी. और उन्हें देखते हुए मैं खुद डांस किया करती थी. अब मैं खुद को बेहतरीन डांसर मानती हूं. पर मैंने डांस की कोई ट्रेनिंग नहीं ली. मैं कई तरह के डांस कर सकती हूं.लेकिन माता पिता के बीच हुए तलाक के बाद बहुत कुछ ऐसा घटित हुआ, जिसने मुझे अभिनय की तरफ मुड़ने के लिए प्रेरित किया. 2001 में मुंबई पहुंचकर मैंने आशा चंद्रा के एक्टिंग स्कूल से अभिनय की ट्रेनिंग ली. पर इससे कोई फायदा नही हुआ.उस वक्त टीवी चैनल ज्यादा नहीं थे. ‘जीटीवी’,‘स्टार प्लस’ और ‘सोनी टीवी’ के अलावा ‘डीडी वन’ और ‘डी डी 2’थे. जबकि मेरे दिमाग में था कि मुझे टीवी नहीं, सिर्फ फिल्में करनी हैं. फिल्मों के लिए संघर्ष शुरू किया सुधाकर बोकाड़े, सावन कुमार टाक सहित कुछ निर्माता निर्देशकों के साथ बुरे अनुभव भी रहे. कौस्टिंग कौउच का भी अनुभव हुआ. पर मैं अपने आपको बचाने में सफल रही. सुधाकर बोकाड़े मुझे हीरोइन और फरदीन खान को हीरो लेकर फिल्म बनाने वाले थे. फरदीन खान की भी यह पहली फिल्म थी. पर मैंने सुधाकर बोकाड़े की कुछ मांगे पूरी नही की, तो उन्होंने मुझे फिल्म से निकाल दिया. सावन कुमार टाक एक पाकिस्तानी कहानी पर फिल्म बना रहे थे, इसमें उन्होंने मुझे मेन लीड के सपने दिखाए और फिर वही हाल हुआ. मुझे फिल्म से बाहर होना पड़ा. बाद में उन्होंने फिल्म को बनाया था, पर फिल्म चली नहीं थी. एक तरफ मुझे फिल्में मिल नही रही थी. दूसरी तरफ मेरे पास टीवी सीरियल के औफर बहुत आ रहे थे. पर मेरे दिमाग में फिल्म हीरोइन बनने का भूत सवार था. जबकि हालात बद से बदतर होते जा रहे थे. अंततः मुझे ज्यूनियर आर्टिस्ट के रूप में अपने करियर की षुरूआत टीवी सीरियल‘‘धड़कन’’से करनी पड़ी. सोनी पर प्रसारित सीरियल ‘‘धड़कन’’ में मैंने ज्यूनियर आर्टिस्ट के रूप में आठ माह तक काम किया.

600 रूपए रूपए प्रतिदिन के हिसाब से मुझे पैसे मिलते थे. सच तो यह है कि जब मैं सीरियल ‘धड़कन’के सेट पर पहुंची और नर्स की पोशाक पहनकर तैयार हुई, तब मुझे पता चला कि मुझे यह किरदार जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर मिला है. जेब में पैसे थे नहीं, मजबूरी में मुझे काम करना पड़ा. पूरे आठ माह के दौरान मेरे सामने बौलीवुड की तमाम असलियत सामने आती रही. मुझे पता चला कि कलाकारों के साथ किस तरह भेदभाव होता है?

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किस तरह की गंदी राजनीति होती है? बहुत अच्छे अनुभव मिले. ‘धड़कन’में जयति भाटिया सहित कई दिग्गज कलाकार थे, जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. मुझे लिखने का भी शौक था.तो मैंने जी स्माइल के कौमेडी शो के लिए कुछ एपीसोड लिखे, कुछ एपीसोड में अभिनय भी किया. इसके बाद मुझे दक्षिण भारत में फिल्मों के औफर मिले. पहली तेलगू फिल्म ‘‘वीरी वीरी गुमाड़ी’’ बिना दिक्कत के मिल गयी. प्रचार भी हो गया. मैं इस फिल्म में लीड रोल में थी,पर फिर बाद में वही कौस्टिंग कौउच का मसला सामने आ गया. जिसके चलते मेरा किरदार बदलकर मेन लीड से सेकंड लीड हो गया. इसमें मैंने गांव की लड़की का किरदार निभाया था. लोगों को मेरा किरदार बहुत पसंद आया. उसके बाद मैंने करीबन 10 दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय किया. इस बीच मैं हैदराबाद में ही रहने लगी थी.दक्षिण में काम अच्छा मिल रहा था.

लेकिन कुछ समय बाद मुझे मुंबई व हिंदी फिल्मों की चाहत वापस मुझे मुंबई ले आयी. मुंबई में यह मेरी दूसरी पारी थी और मुझे फिर से शून्य से शुरूआत करनी पड़ी.

मुंबई में अभिनय की दूसरी पारी की शुरूआत कैसे हुई?

मैं एक दिन काफी डे में बैठी हुई थी. उन दिनों एकता कपूर ‘नाइन एक्स’ के लिए सीरियल ‘‘महाभारत’’ बना रही थी, जिसमें अनीता हसनदानी वगैरह थी. वहीं काफी डे में ‘बालाजी टेली फिल्मस’के क्रिएटिव डायरेक्टर मुझसे मिले. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं ‘बालाजी टेलीफिल्मस’में जाकर औडीशन दे दूं. मैंने औडीशन दिया और द्रौपदी के किरदार के लिए मेरा चयन हो गया. पर फिर किस्मत ने धोखा दे दिया. एक दिन एकता कपूर ने बताया कि वह मुझे महाभारत सीरियल के बजाए टीवी का रियालिटी शो ‘‘टिकट टू बौलीवुड’’ दे रही हैं. इसमें मुझे न्यू कमर के रूप में चेतन हंसराज के अपोजिट रखा गया था. जिसकी मैं सेकंड विनर थी. इस शो के दौरान ही शोभा कपूर ने मुझे सीरियल ‘कर्म अपना अपना’ में अभिनय करने का मौका दे दिया. इसमें मेरा किरदार नगेटिव था. इसके बाद एकता कपूर ने सीरियल ‘कितनी मोहब्बतें हैं’ में अभिनय करने का मौका दिया. इसमें मैंने करण कुंद्रा के साथ काम किया. उसके बाद मुझे एकता कपूर ने ‘‘पवित्र रिश्ता’’ में अभिनय करने का मौका दिया. एकता कपूर के अनुसार यह उनका महत्वाकांक्षी सीरियल था. लेकिन मैं मुंबई में संघर्ष करते हुए थक चुकी थी. मेरे मन में आया कि शादी करके मुझे अपना घर बसा लेना चाहिए. उन दिनों मैं शम्मी कपूर अंकल के बहुत करीब थी. हम हर रवीवार को उनके घर पर ‘फोकर’ नामक कार्ड का गेम खेलते थे. हमारा शम्मी कपूर जी, डिंपल कापड़िया, अरमान कोहली, सिंपल कापड़िया का एक ग्रुप था. हर रविवार को हम लोग शम्मी अंकल के घर जाकर यह गेम खेलते थे. शम्मी जी अपने अनुभव बताया करते थे. हमारे बीच बहुत बातें हुआ करतीं थी. वह मेरा हौसला बढ़ाते हुए कहते थे कि सभी को संघर्ष करना पड़ता है.

एक दिन मैंने शम्मी अंकल से कहा कि एकता कपूर ने सीरियल ‘‘पवित्र रिश्ता’’ का औफर दिया है. पर मैं चाहती हूं कि शादी करके सेटल हो जाउं. शम्मी अंकल व डिंपल कापड़िया ने मुझे सलाह दी कि मुझे सेटल हो जाना चाहिए और मैंने शादी कर ली. शादी करके मैं पति के साथ लंदन चली गयी. मैं दो बेटी की मां बनी..पर फिर भारत की याद और अभिनय के कीड़ा के चलते 2017 में मुंबई वापस आ गयी.

आपके पति ने दोबारा करियर शुरू करने के लिए भारत लौटने की इजाजत आसानी से दे दी?

जी हां! क्योंकि उन्हें यह पता था कि मैंने उस वक्त सारा काम छोड़कर उनके साथ शादी की थी, जब मेरा करियर उंचाई पर था. मैने शादी करने के लिए ‘‘पवित्र रिश्ता’’ जैसा बड़ा सीरियल करने का मौका छोड़ दिया था. मैं एक अभिनेत्री के साथ साथ घरेलू लड़की भी हूं. अफसोस की बात यह है कि लंदन से वापस आने के बाद उन अभिनेत्रियों ने मुझ पर ताने कसे जिनकी कभी मैंने बहुत मदद की थी.

पर मैं खुश हूं कि मैं अपनी जिंदगी में सैटल हूं. शादीशुदा हूं. दो बच्चे हैं. अब फिर से मेरे अभिनय करियर ने भी गति पकड़ ली है. अभिनय के लिए उम्र की बंदिश नहीं होती.

लंदन में रहते हुए सात साल अपने क्या किया?

सबसे पहला काम तो मैं अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने की कोशिश कर रही थी. इसके अलावा मैंने वहां पर प्रेगनेंसी के दौरान भी मौडलिंग की. कुछ ऐड किए. मैंने बीबीसी लंदन में एक अंग्रेजी सीरियल ‘साइलेंट’ में अभिनय किया. कुछ विज्ञापन किए. इसके अलावा ब्रिटिश निर्देशक सारा जोन्स के साथ बतौर सहायक काम किया. बच्चों की परवरिश, उनकी देखभाल के साथ साथ मैं कुछ न कुछ काम जरूर कर रही थी.

लंदन से मुंबई पहुंचते ही पुराने संबंधों के चलते काम आसानी से मिल गया होगा?

जी नहीं! जब मैं यहां पहुंची, तो बहुत कुछ बदल चुका था. मुंबई में जगह जगह मौल्स खड़े हो चुके थे. सड़कें बदल चुकी थीं.ढेर सारे टीवी चैनल्स आ गए थे. डिजिटल मीडियम आ गया था. मल्टीप्लैक्स खड़े हो चुके थे.फिल्में बहुत बनने लगी थीं.जिन्हें मैं जानती थी, उनकी पोजीशन बदल चुकी थी.

जब मैं एक पुराने कास्टिंग डायरेक्टर के पास पहुंची,तो उसने कहा कि आप जिस पोशाक में आयी हैं, उसमें आपको काम नहीं मिलेगा. उसने मुझे दिन भर अपने आफिस में बैठाकर दिखाया कि अब लड़कियां किस तरह की पोशाकें पहनकर औडीशन देने आती हैं. मैंने पाया कि जो लड़कियां औडीशन देने आ रही थीं, उनमें अभिनय प्रतिभा नहीं थी, लेकिन वह जिस तरह की पोशाकें पहन कर औडीशन देने आयी थीं, उससे मैं सकते में आ गयी. मैंने पाया कि अब शो बाजी हो गयी है. फिर मैंने अपना वजन कम किया. विपश्यना करने चली गयी.

लंदन से वापसी के बाद पहला सीरियल कौन सा मिला?

विपश्यना से वापस आने के बाद मुझे ‘शोभना देसाई प्रोडकशन’ के सीरियल ‘‘कुलदीपक’’ में अभिनय करने का मौका मिला, जिसमें अच्छा किरदार था. यह ‘एंड’टीवी पर प्रसारित हुआ. मैंने दोनों बेटियों और पति को मुंबई बुला लिया. दुर्भाग्यवश पांच माह बाद सीरियल बंद हो गया. मेरी पारिश्रमिक राशि भी नहीं मिली. मजबूरन मुझे अपने पति व बच्चों को वापस लंदन भेजना पड़ा. उसके बाद मेरे पास बुआ सास,चाची के ही किरदार आ रहे थे, जो कि मैं करना नहीं चाह रही थी. मैंने कुछ लोगों से कहा भी और सोचा भी यदि सिर्फ पैसा कमाना होता, तो मैं लंदन में रह कर कमा सकती थी. मैं पाउंड छोड़कर रूपए कमाने के लिए ऐरागैरा काम करने थोड़ी आयी हूं.मैं ऐसा काम करना चाहती हूं, जिसे करने का मुझे गर्व हो. मुझे लगे कि मैंने अपनी बेटियों और पारिवार के लिए जो त्याग किया है, उसके बदले मैंने बड़ा अच्छा काम किया है. पूरे डेढ़ साल के संघर्ष व इंतजार के बाद मुझे एकता कपूर निर्मित सीरियल ‘कवच 2’’में अभिनय करने  का मौका मिला. जो कि 25 मई से ‘कलर्स’ चैनल पर हर शनिवार व रवीवार को प्रसारित होता है. शूटिंग शुरू हुए अभी डेढ़ माह ही हुए हैं. जबकि अब तक छ: एपीसोड प्रसारित हुए हैं. अब लगता है जिंदगी बदल जाएगी.

सीरियल ‘‘कवच 2’’ के किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

सीरियल कवच 2 में मैंने शोभा का किरदार निभाया हैं. शोभा इसमें अंगद यानी कि नमित पाल की बहन है. दो हफ्ते बाद मेरा सीरियल में लव ट्रैक शुरू हो जाएगा. अभी तक तो 6 एपीसोड ही प्रसारित हुए हैं. मैं यह कह सकती हूं कि यह एक अच्छा सीरियल है. मुझे एक बहुत अच्छा किरदार निभाने का अवसर मिला है.

इस सीरियल से आपको कितनी उम्मीदें हैं?

यह हफ्ते में दो दिन प्रसारित होता है. इसका हर एपीसोड एक घंटे का है. इसके लिए हमें हर सप्ताह कम से कम पांच दिन शूटिंग करनी पड़ती है. सीरियल अभी शुरू हुआ है. इसलिए इसके साथ कोई दूसरा सीरियल भी नही कर सकती हूं. बीच में मौका मिलने पर एक दो विज्ञापन फिल्में की हैं. फिर हमें बताया गया है कि लव ट्रैक शुरू होने के बाद हमारे सीन और बढ़ जाएंगे.

लिखने का शौक रहा है, तो लंदन में कुछ लिखा नहीं?

लिखना तो बंद नही हुआ. अपने अनुभव लिखती रही. अनुभवों पर कहानी लिखी. मैं तो अपनी जिंदगी के संघर्ष को लेकर एक फिल्म बनाना चाहती हूं. मैंने कविताएं बहुत लिखी हैं. लंदन में हमें अपना काम खुद करना होता है. तो दो बच्चों को पालते हुए नियमित लेखन तो संभव नहीं था. पति के लिए भी समय पर खाना बनाकर देना ही पड़ता था. पर कविताएं तो मैं आज भी लिखती हूं. लेखन मुझे विरासत में मिला है. मेरे नाना मदन गोपाल चांडा की कई किताबें छप चुकी हैं. हम लोग मध्यप्रदेश के मारवाड़ी हैं. मेरे नाना जी किसान थे, फिर भी उन्होंने तमाम किताबें लिखी. कविताएं भी लिखी थी. मेरी मां शोभा माहेश्वरी भी कविताएं लिखती हैं. मेरी कविताओं वाली कुछ डायरी भोपाल में पड़ी हुई हैं. कुछ डायरीयां लंदन में पड़ी हैं. कुछ मुंबई में हैं. मेरा संघर्ष खत्म नही हुआ है कि मैं शांत दिमाग से इन कविताओं को किताब का रूप देने के बारे में सोच सकूं.

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