यारियां’ कालेज लाइफ की मस्ती पर बनी फिल्म है, जिस में ढेर सारे चुंबन दृश्य हैं, शराब के पैग पर पैग चढ़ाती तंग टौप्स और हौट पैंट पहने लड़कियां हैं, अंग प्रदर्शन है और साथ में है बेहद भद्दी कौमेडी. फिल्म में एक ऐसा कालेज दिखाया गया है जहां सारे के सारे छात्रछात्राएं इश्क के रंग में रंगे हैं, साथ ही अध्यापक और अध्यापिकाएं भी खुलेआम एकदूसरे को लिपटतेचूमते हैं.

कौमेडी का आलम तो यह है कि स्टेज पर दिखाए जा रहे देशभक्ति के प्रोग्राम में एक छात्र जबरन मां का रोल कर रही एक छात्रा के सीने लगना चाहता है और उस से कहता है, मां, लोरी सुना दो. वह छात्रा तुरंत खड़ी हो कर ‘माई नेम इज शीला... शीला की जवानी’ पर नाचने लगती है. इस तरह की फिल्में युवाओं के कैरेक्टर को लूज ही करती हैं.

फिल्म की कहानी कालेज में छात्रों की मस्ती से शुरू होती है. कालेज का पिं्रसिपल लक्ष्य (हिमांशु कोहली) स्वयं सहित अपने 4 साथियों को एक लक्ष्य के लिए चुनता है. उन सब को एक विदेशी व्यापारी से कालेज को बचाना होता है क्योंकि वह विदेशी व्यापारी कालेज की जगह पर होटल व बार बनाना चाहता है. लक्ष्य और उस के साथी बौलीवुडिया तरीके से उस विदेशी के छक्के छुड़ा देते हैं और अपने कालेज को बचा लेते हैं.

फिल्म में पढ़ाईलिखाई का मजाक उड़ाया गया है. प्यार मोहब्बत, चीटिंग को प्रमुखता से दिखाया गया है. छात्र कालेज में पढ़ाई के अलावा सबकुछ करते नजर आते हैं.

फिल्म में 2 मांएं हैं - दीप्ती नवल और स्मिता जयकर. यही कुछ गंभीर लगी हैं. बाकी सभी कलाकार नए हैं. सभी ने उछलकूद ही की है. फिल्म में आस्टे्रलिया में भारतीयों पर होने वाले हमलों को भी दिखाया गया है. फिल्म में पैसा पानी की तरह बहाया गया है. गीतसंगीत कुछ अच्छा है. एक गीत ‘आज तू है पानी पानी...’ अच्छा बन पड़ा है. आस्ट्रेलिया की लोकेशनों पर खूबसूरत फोटोग्राफी की गई है.

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