रेटिंग: पांच में से एक स्टार
निर्माताः विक्रम मल्होत्रा
लेखकः गिरवानी ध्यानी, अनु मेनन, अद्वैत काला और प्रिया वेंकटरमन
निर्देशकः अनु मेनन
कलाकारः विद्या बालन, राम कपूर, राहुल बोस, नीरज काबी, अमृता पुरी, शशांक अरोड़ा, निकी वालिया और प्राजक्ता कोली व अन्य
अवधिः दो घंटे
निर्माता विक्रम मल्होत्रा, निर्देषक अनु मेनन और अभिनेत्री विद्या बालन की तिकड़ी ‘‘शकुंतला’’ के तीन वर्षों बाद अब अगाथा क्रिस्टी शैली की रहस्य व रोमांच प्रधान फिल्म ‘‘नीयत’’ लेकर आयी है. सात जुलाई को सिनेमाघरों में पहुंची यह फिल्म काफी निराश करती है. फिल्म की कहानी के केंद्र में स्कॉटलैंड का प्राचीन ‘स्कॉटिष महल’ है और कहानी एक हत्या/आत्महत्या को सुलझाने को लेकर है. इंग्लैंड में रहने वाली निर्देषक अनु मेनन का दावा है कि इंग्लैंड में ज्यादातर प्राचीन महल भारतीयों के स्वामित्व में हैं. एक बार फिर यह फिल्म इस बात की ओर इशारा करती है कि जब फिल्मकार को उसकी फिल्म के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी मिल रही हो तो वह अच्छी फिल्म बनाने में यकीन नही करता. इस फिल्म को इंग्लैंड सरकार से सब्सिडी मिली है.
कहानीः फिल्म की कहानी स्कॉटलैंड में समुद्री किनारे पर स्थित स्कॉटिश महल के अंदर घटित होती है. जहां भारतीय किरदारों का जमावड़ा है. इस आलीशान ब्रिटिश महल के मालिक आषीष कुमार (राम कपूर) मूलतः भारतीय अरबपति हैं. उन्होने अपने जन्मदिन पर एक भव्य पार्टी का आयोजन किया है. जिसमें शामिल होने वाले सभी मेहमान भी भारतीय ही हैं. यहां का चीफ ऑफ स्टाफ तनवीर (दानिष रजवी) भारतीय है और वह गोरों की कमान संभालता है. एके की दूसरी विश्वसनीय कर्मचारी के (अमृता पुरी) हैं. ए के के मेहमानों में डॉं. संजय (नीरज काबी), उनकी पत्नी व बेटा, एके की पूर्व प्रेमिका नूर (दीपानिता शर्मा अटवाल), तांत्रिक कार्य कर ए के का उपचार करने वाली जारा (निकी अनेजा), आषीष कपूर की वर्तमान प्रेमिका लिसा (शहाना गोस्वामी), रयान कपूर की गर्ल फ्रेंड गीगी (प्राजक्ता कोली), आशीष कपूर के समलैंगिक साले जिमी मिस्त्री (राहुल बोस) हैं.
अपने जन्मदिन का केक काटने से पहले आशीष कुमार उर्फ एके यह घोषणा कर हर किसी को स्तब्ध कर देते हैं कि वह भारत सरकार, भारतीय सीबीआई अफसर के सामने आत्म समर्पण कर देगें. क्योंकि उन्हें अपने खिलाफ 20,000 करोड़ के वित्तीय धोखाधड़ी मामले में न्याय मिलने का भरोसा है. भारी वित्तीय नुकसान के अलावा, एके को उन सात निवेशकों की आत्महत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया गया है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई उनकी कंपनी को दे दी थी. बहरहाल, सीबीआई ऑफिसर मीरा राव (विद्या बालन), आशीष कपूर को भारत ले जाने के लिए आती हैं. एके और उसके
अनयंत्रित नशीली दवाओं का सेवन करने वाले बेटे रयान (शशांक अरोडा़) के बीच एक घिनौना विवाद शुरू हो जाता है, यहां तक कि रयान के पिता की नाक पर भी चोट लगती है. क्रोधित एके अपने महल से बाहर जाने से पहले अपने बेटे और अन्य मेहमानों को जोंक करार देता है. जल्द ही मेहमान आशीष कपूर को चट्टान के नीचे देखकर दंग रह जाते हैं. ए के का हस्तलिखित पत्र देखकर सभी इसे आत्महत्या बताते हैं. मगर मीरा राव का मानना है कि यह कोई आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है
बहरहाल, इंटरवल के बाद आशीष कपूर की हत्या कैसे हुई, इसकी पड़ताल ही फिल्म की धुरी बन जाती है, जिसके चारों तरफ इसके किरदार चक्कर काटने लगते हैं. मीरा राव एक एक कर गुत्थियां सुलझाने की कोशिश करती है. शक के दायरे में पार्टी का हर मेहमान है और हर मेहमान के दिल में छुपी बातें भी इस हत्या का आधार बनाने की तरफ इशारा भी करती हैं.
लेखन व निर्देषनः गिरवानी ध्यानी, अनु मेनन, अद्वैत काला और प्रिया वेंकटरमन ने संयुक्त रूप से फिल्म का लेखन करते हुए फिल्म का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. कहानी में कुछ भी नयापन नही है. इस तरह की सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. फिल्मकार ने कहानी का कैनवास तो फैला दिया, पर उसे समेटना नही आया. क्योकि किसी भी लेखक ने अपने दिमाग का उपयोग ही नहीं किया. आशीष कुमार जो कि शून्य से अरबपति बने हैं, उन्हे लोगों को ठगने व मूर्ख बनाने में महारत हासिल है, तब भी वह मीरा राव की असलियत नही समझ पाते. हर किरदार भूल जाता है कि हाथ में बंदूक लेते ही जिसके हाथ कांपने लगे, वह सीबीआई अफसर कदापि नहीं हो सकता. उपर से हास्यास्पद पहलू यह है कि इस सीबीआई अफसर को केमिस्टी यानी कि रासायनिक पदार्थों व उसके उपयोग आदि का बहुत बेहतीन ज्ञान है. मीरा राव के महल में पहुंचते ही हमारे जैसे दर्शक समझ जाते है कि यह नकली है, पर चार चार लेखक व एक निर्देशक इस बात को नहीं समझ पाती…वाह..क्या फिल्मकार हैं….कहानी व पटकथा अति लचर व अति सुस्त है. इंटरवल से पहले फिल्म धीमी गति से चलती है, पर किरदारों का परिचय जिस तरह से होता है, उससे कुछ उम्मीदे बंधती हैं. मगर इंटरवल के बाद फिल्म जिस तरह से
आगे बढ़ती है उसे देखते हुए अहसास होता हे कि लेखक व निर्देषक ने सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया. जब आप मौलिक सोच की बजाय नकल के भरोसे रहते हैं, तब ऐसा ही होता है. इस फिल्म के कई दृश्य विदेषी सीरीज व फिल्मों की भी याद दिलाते हैं. तो वहीं मेहमान भी अमीरों की धारणा पर सवाल उठाते हैं. लेखकों व निर्देषक अनु मेनन को सीबीआई के काम करने के तरीकों, उनकी चाल -सजयाल आदि की कोई समझ ही नही है. क्या संदिग्ध अमीर किरदार किसी सीबीआई अफसर के साथ मारपीट कर सकता है? ए के का साला जिम्मी मिस्त्री अपने भांजे रॉयन के मन में पिता आषीष कपूर के खिलाफ इतना जहर भर देता है कि रॉयन पार्टी में सभी के सामने अपने पिता पर घंूसा चला देता है.
आखिर फिल्मसर्जक इस दृष्य के माध्यम से युवा पी-सजय़ी को क्या संदेष देना चाहती हैं? क्या वह अपने पिता के साथ ऐसा ही व्यवहार करती रही हैं? फिल्म के सभी किरदार अमीर व सभ्य समाज का हिस्सा हैं,मगर संवाद टपोरी वाले हैं. निर्देषक अनु मेनन को समलैंगिक’ रिष्तों व गे समुदाय से कुछ ज्यादा ही प्यार हो गया है. उनके निर्देषन में बनी फिल्म ‘षकुंतला’ में शकुंतला के पति ‘गे’ थे. तो वहीं ‘नीयत’ में आषीष कपूर और जिम्मी मिस्त्री गे हैं. दोनों के बीच समलैंगिक संबंध हैं. वही विद्या बालन भी समलैंगिक हैं. मगर फिल्मसर्जक ‘गे’ किरदार या समलैंगिक संबंधों का भी चित्रण सही-सजयंग से करने में विफल रही हैं. कुल मिलाकर फिल्म ‘‘नीयत’ की कमजोर कड़ी हैं इसके लेखक व इसकी निर्देषक. कहानी व पटकथा में अनगिनत त्रुतियां हैं.
अभिनयः इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी विद्या बालन हैं, जिन्होनें सीबीआई अफसर मीरा राव का किरदार निभाया है.इस फिल्म में अपने अभिनय से विद्या बालन ने साबित कर दिया कि शादी के बाद न सिर्फ वह पत्रकारों के संग अपने रिश्तों को भूल चुकी हैं,बल्कि अभिनय की एबीसीडी भी भूल गयी हैं. हर दृष्य में वह अपने सपाट चेहरे के साथ मौजूद रहती हैं.माना कि लेखकों ने मीरा राव के किरदार का सही चित्रण नही किया है, मगर बतौर अदाकारा उन्होने क्या किया. वास्तव में अनु मेनन के निर्देषन में फिल्म ‘‘शकुंतला’’ से उनके अभिनय में ढ़लान शुरू हुआ था. उसके बाद ‘शेरनी’ व ‘जलसा’ में भी उनके अभिनय में कोई सुधार नजर नही आया था.अब ‘नीयत’ से तो लगता है कि विद्या बालन ने स्वयं ने अपनी अभिनय यात्रा पर विराम लगाना चाहती हैं.इस बार तो विद्या बालन के धुर प्रशंसक भी स्तब्ध हैं. आखिर ‘डर्टी पिक्चर’ वाली या ‘बौबी जासूस’ वाली अभिनेत्री विद्या बालन कहां गायब हो गयीं? अषीष कपूर के किरदार में राम कपूर को फिल्मकार ने विजय माल्या वाला लुक दे दिया है,पर लगता है कि उन्होने बेमन काम किया है .अन्यथा इस किरदार में उनके पास अपनी अभिनय क्षमता के नए आयाम विखेरने के अवसर थे. दीपानिता शर्मा, शशांक अरोड़ा, शहाना गोस्वामी, नीरज काबी, अमृता पुरी, प्राजक्ता कोली, निकी अनेजा वालिया की परफार्मेंस में भी कुछ खास बात नजर नहीं आती. अति सूक्ष्म किरदार में शेफाली छाया अवष्य अपनी छाप छोड़ जाती हैं.