रेटिंग : पांच में से दो स्टार

निर्माता : ज्योति देशपांडे, हेमंत भंडारी, अमित रवींद्रनाथ शर्मा और अलेया सेन

कहानी : अलेया सेन

पटकथा : कुंवरशिव सिंह और अक्षत त्रिवेदी

निर्देशक : अलेया सेन

कलाकार : जेनेलिया देशमुख, मानव कौल, गजराज राव, शक्ति कपूर, शीबा चड्ढा, स्वरूपा घोष, बरुण चंदा और जिदान ब्राज

अवधि : 2 घंटे, 5 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म : जियो सिनेमा

कई एड फिल्मों, कुछ म्यूजिक वीडियो का निर्देशन करने के बाद आलिया सेन ने वर्ष 2018 में फीचर फिल्म ‘‘दिलजंगली’ का निर्देशन किया था. अब पूरे 5 वर्ष बाद वह बतौर निर्देशक फिल्म ‘ट्रायल पीरियड’ ले कर आई हैं, जिसे 21 जुलाई, 2023 से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जियो सिनेमा’’ पर मुफ्त में देखा जा सकता है.

फिल्म ‘ट्रायल पीरियड’ की कहानी एक सिंगल मदर की तकलीफों के साथ ही ‘ट्रायल’ पर नए पापा को लाने की है. यह फिल्म इस बात को रेखांकित करती है कि खून के रिश्तों से भी ज्यादा अहमियत भावनात्मक रिश्तों की होती है.

कहानी

कहानी के केंद्र में सिंगल मदर अनामया राय चौधरी उर्फ ऐना (जेनेलिया देशमुख) और उन का 6 साल का बेटा रोमी (जिदान ब्राज) है. कामकाजी ऐना और उन बेटे का जीवन सामान्य रूप से चल रहा है. लेकिन चीजें तब बदलती हैं, जब रोमी की जिद के चलते ऐना को उस के लिए 30 दिन के ट्रायल पर ‘नए पापा’ लाना पड़ता है. लेकिन रोमी को अपने पिता की याद तब आती है, जब उस के सहपाठी उसे परेशान करते हैं.

मंच पर रोमी को अपने पिता के बारे में कुछ कहने के लिए कहा जाता है, क्योंकि वह कुछ भी कहने में असमर्थ होता है. रोमी टूट जाता है और बाद में पिता की मांग करता है.

रोमी अकसर अपने पड़ोस में मामाजी (शक्ति कपूर) और मामी (शीबा चड्ढा) के घर जाता है, जिन्हें ट्रायल के आधार पर सामान औनलाइन और्डर करते देखता है. लेकिन उस 6 साल के बच्चे के दिमाग में ट्रायल पीरियड पर औनलाइन और्डर और इनसानों के बीच अंतर समझना थोड़ा मुश्किल था. उधर प्रजापति द्विवेदी यानी पीडी (मानव कौल) उज्जैन में एक शिक्षक हैं. नौकरी छूट जाने के बाद वह अपना बोरियाबिस्तर बांध कर अपने फूफा श्रीवास्तव (गजराज राव) के पास दिल्ली आते हैं, जो कि लोगों को नौकरी दिलाने की एजेंसी चलाते हैं.

काफी जद्दोजेहद के बाद रोमी के मामा अपने मित्र श्रीवास्तव से मिल कर अपनी समस्या बताते हैं, तो श्रीवास्तव अपने भतीजे प्रजापति द्विवेदी उर्फ पीडी (मानव कौल) को समझा कर ऐना के घर 30 दिन के लिए रोमा के ‘नए पापा’ बना कर भेज देते हैं. यहीं से शुरू होती है चुनौती.

वास्तव में ऐना पीडी के सामने शर्त रखती है कि रोमी के साथ उसे ऐसे पेश आना है, ताकि उसे पिता शब्द से नफरत हो जाए.

न चाहते हुए भी अपने फूफा के दबाव में पीडी ऐना के बेटे रोमी के ‘ट्रायल पापा’ बन जाते हैं. मगर रोमी की मां ऐना और पीडी के बीच एक अलग तरह का युद्ध जारी रहता है. पीडी रोमी के अंदर के डर को खत्म कर उस के अंदर ताकत का संचार करते हैं.

लेखन व निर्देशन

फिल्मकार ने नेक इरादे से फिल्म बनाई है, मगर विषय की गंभीर समझ न होने के चलते वह मात खा गई. फिल्मकार ने पारिवारिक मूल्यों के साथ ही रिश्तों को सुचारु रूप से चित्रित किया है. कामकाजी मां और सिंगल मदर की अपनी तकलीफों पर वह ठीक से रोशनी नहीं डाल पाई. इतना ही नहीं, सिंगल मदर ऐना व उन के बेटे रोमी के बीच भावनात्मक रिश्तों को भी ठीक से चित्रित नहीं किया गया.

इस तरह के विषय पर काफी बेहतरीन व रोचक फिल्म बन सकती थी, पर अलेया सेन मात खा गईं. जब दो अजनबी विचित्र परिस्थितियों में मिलते हैं और एक बंधन बनाते हैं, तब कहानी सपाट कैसे चल सकती है?

उन्होनें एक ही दिशा में चलने वाली सपाट कहानी पेश की है. इस तरह के रिश्तों की जटिलता का भी वह चित्रण ठीक से नहीं कर पाईं. फिल्म में भावनात्मक उतारचढ़ाव की काफी कमी है. पीडी रोमी के पिता बन कर स्कूल में उस का जीवन बदलना शुरू कर देते हैं. वह छोटे लड़के को अपने डर पर काबू पाने में मदद करते हैं और एक दिन वह वही ताकत उस की मां के अंदर भी पैदा करते हैं. पर ऐना व पीडी के रिश्तों पर लेखक ने न के बराबर काम किया है.
जिस तरह से महज दो दृश्यों से दोनों के बीच प्यार के पनपने का चित्रण है, वह बड़ा अजीब सा लगता है.

रोमी के नानानानी के आने के बाद कहानी में जिस नाटकीयता की उम्मीद जगती है, वह उतनी ही जल्दी खत्म हो जाती है. फिल्म के एडीटर इस फिल्म की कमजोर कड़ी हैं. कई दृश्यों में दोहराव नजर आता है.

अभिनय

रितेश देशमुख के साथ विवाह रचाने के बाद जेनेलिया देशमुख कुछ मराठी फिल्मों में अभिनय करती नजर आईं. हिंदी फिल्मों में लंबे समय के बाद उन्होंने वापसी की है. सिंगल मदर के साथ ही दूसरे जीवनसाथी की तलाश न करने वाली मूलतः बंगाली ऐना के किरदार में वह अपनी छाप छोड़ने में सफल रही हैं.

वर्ष 2003 से अब तक कई सीरियलों और फिल्मों में अभिनय करते हुए मानव कौल ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. अब इस फिल्म में छोटे शहर उज्जैन के रहने वाले और पारिवारिक मूल्यों पर गर्व करने वाले पीडी के किरदार में मानव कौल के अभिनय का कोई सानी नहीं है. उन के अभिनय की तारीफ करने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं. मानव ने अपने किरदार में हर एक इमोशन को बखूबी ढाला है.

रोमी यानी जिदान ब्राज की मासूमियत दिल को छू जाती है. शक्ति कपूर, शीबा चड्ढा, गजराज राव और अन्य सभी कलाकारों ने ठीकठाक अभिनय किया है.

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