इस फिल्म को देखने के लिए दिमाग पर ज्यादा जोर लगाने की जरूरत नहीं है. डेविड धवन की अन्य फिल्मों की तरह इस फिल्म के हर सीन में कौमेडी है. उन्होंने 90 के दशक के मसालों को 2014 में खूबसूरती से पैक कर के दर्शकों को उल्लू बनाने की कोशिश की है.
फिल्म के लिए डेविड धवन ने बतौर हीरो अपने बेटे वरुण धवन को लिया है. ‘स्टुडैंट औफ द ईयर’ बतौर हीरो वरुण की पहली फिल्म थी. इस फिल्म में उस ने ऐक्शन, डांस, कौमेडी, रोमांस करने के साथसाथ अपने सिक्स पैक भी दिखाए हैं. उस ने सलमान खान की नकल की है तो डांस में गोविंदा को भी पछाड़ दिया है.
फिल्म की कहानी सीनू उर्फ श्रीनाथ प्रसाद (वरुण धवन) की है जो ऊटी से बेंगलुरु पढ़ने के लिए जाता है. कालेज में उस की मुलाकात सुनयना (इलियाना डिकू्रज) से होती है और वह उस पर मरमिटता है. उधर, शहर का एक गुस्सैल पुलिस इंस्पैक्टर अंगद (अरुणोदय सिंह) सुनयना पर फिदा है. वह अपने गुंडों से सीनू को मरवाने की कोशिश करता है. इस बीच सीनू कुछ ऐसी चाल चलता है कि अंगद को नौकरी से निकाल दिया जाता है. सीनू और सुनयना को अलग करने के लिए अंगद अंडरवर्ल्ड डौन विक्रांत (अनुपम खेर) से मिल जाता है. डौन की इकलौती बेटी आयशा (नरगिस फाखरी) सीनू से इकतरफा प्यार करती है. डौन के गुंडे सुनयना को किडनैप कर के बैंकौक स्थित डौन के महल में ले आते हैं. सीनू भी वहां आ धमकता है. विक्रांत गनपौइंट पर सीनू को आयशा से शादी करने को कहता है परंतु सीनू 10 दिन का टाइम लेता है. इसी दौरान अंगद भी वहां पहुंच जाता है. इन 10 दिनों में सीनू आयशा के दिल में अंगद के प्रति प्यार को जगाता है. परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि क्लाइमैक्स में आयशा अंगद पर अपने प्यार को जाहिर करती है. विक्रांत उन दोनों की शादी करा देता है, साथ ही सीनू और सुनयना को भी मिलवा देता है.
फिल्म की यह कहानी कौमिक कन्फ्यूजन से भरी है. निर्देशक ने फिल्म में कौमेडी के अलावा ऐक्शन, रोमांस, इमोशंस के साथसाथ हैप्पी एंडिंग की है.
फिल्म की पटकथा कमजोर है. इलियाना डिकू्रज के अभिनय में ‘बर्फी’ वाली बात नहीं है. नरगिस फाखरी की संवाद अदायगी कमजोर है, ऐक्टिंग तो माशाअल्लाह ही है. अनुपम खेर और सौरभ शुक्ला ने खूब हंसाया है. फिल्म का छायांकन अच्छा है.