इरफान की बहुचर्चित फिल्म ‘‘मदारी’’ देखते समय हमारे जेहन में बार बार कुछ दिन पूर्व एक खास मुलाकात में सफलतम निर्देशक आनंद एल राय के कहे हुए वाक्य याद आ रहे थे. आनंद एल राय ने कहा था-‘‘मेरा मानना है कि सीरियल, वेब सीरीज, डिजिटल सिनेमा, टेली फिल्म, फीचर फिल्में, यह सब अलग अलग माध्यम हैं. किसी भी कहानी पर टेलीफिल्म या सीरियल या फिल्म नही बन सकती. फिल्मों का कहानी कथन अलग है. वेब सीरीज का कहानी कथन अलग है.’’
पर इस बात को इरफान और उनकी पत्नी सुतपा सिकदर नही समझ पायी. कुछ वर्ष पहले मुंबई में मैट्रो रेलवे के निर्माण के दौरान अंधेरी पूर्व इलाके में मैट्रो का निर्माणाधीन पुल गिर गया था, जिसमें कुछ मौते हुई थी. इसी सिरे को पकड़कर इरफान व उनकी पत्नी सुतपा ने फिल्म ‘मदारी’ बना डाली. मगर वह इस सिरे को पकड़कर एक मनोरंजक कहानी नहीं गढ़ पायी. पूरी फिल्म देखने के बाद अहसास होता है कि यदि इस पर वह एक लघु फिल्म बनाते तो ज्यादा बेहतर होता.
फिल्म की कहानी एक आम इंसान निर्मल कुमार (इरफान) के बेटे की मौत की है, जिसकी पुल के गिरने पर उसके नीचे दबकर मौत हो जाती है. सरकार उन्हे मुआवजा देती है. पर निर्मल कुमार को लगता है कि सरकार ने उनके बेटे की मौत के साथ न्याय नहीं किया. दोषियों को सजा नहीं दी. तब वह देष के गृह मंत्री (तुषार दलवी) के बेटे रोहन को अगवा कर लेता है. अब पूरी सरकारी मशीनरी गृह मंत्री के बेटे का पता लगाने व अगवा करने वाले को पकड़कर सजा देने पर लग जाती है.