रेटिंग: तीन स्टार

निर्माताः इंडो अमेरिकन प्रोडक्शन ,वालजेन

मीडिया ओर एएमसी मीडिया

निर्देशक: सैबल मित्रा

कलाकारः नसिरूद्दीन शाह, सौमित्र

चटर्जी,कौशिक सेन,अमृता चट्टोपाध्याय,श्रमण चटर्जी

अवधि: दो घंटे 23 मिनट

कहां देखेंः नजदीकी सिनेमाघरों में 29 जुलाई से

सिनेमा समाज का दर्पण होता है. सिनेमा का काम है लोगों का मनोरंजन करते हुए सामाजिक मुद्दों को पूरी मुखरता के साथ उठाना. अफसोस इस कसौटी पर बौलीवुड का कमर्शियल सिनेमा पूरी तरह से असफल है और शायद यही वजह है कि अब धीरे धीरे बौलीवुड सिनेमा से लोग दूर भागने लगे हैं.इन दिनों देश व समाज में जिस तरह से धार्मिक कट्टरता को बल मिल रहा है,जिस तरह से अपरोक्ष रूप से ही सही पर इंसानी सोच व उसके बोलने पर बंदिशे लग रही हैं, उस दौर में लेखक व निर्देशक सैबल मित्रा बंगला भाषा में फिल्म ‘ए होली कांसीपरेंसी’ लेकर आए हैं. यह फिल्म बंगला भाषा में है, मगर इसके कुछ संवाद हिंदी व अंग्रेजी भाषा में भी हैं और फिल्म में अंग्रेजी भाषा में भी सब टाइटल्स दिए गए हैं. इस फिल्म को कलकत्ता स्थित फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने पारित किया है. फिल्म ‘‘ए होली कांसीपरेंसी’ देखते वक्त अगर दर्शक को ‘ भीमा कोरेगांव’ जैसे कई मामले बरबस याद आ जाएं, तो कुछ भी गलत नहीं होगा.

यूं तो सैबल मित्रा की फिल्म ‘‘ए होली ’’ एक अमरीकन नाटक ‘‘‘इनहेरिट द विंड’’’ और अमरीकन फिल्म ‘‘ पर आधारित है. 1925 में अमेरीका में एक -िरु39याक्षक को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था, क्योंकि वह जीवन की उत्पत्ति और क्रमिक विकास के बारे में प-सजय़ा रहा था. उसके  बाद मामला अदालत में चला था.लंबी बहस हुई थी. इसे ‘मंकी ट्रायल’ की संज्ञा दी गयी थी. लेकिन जीवन के विकास सबंधी वैज्ञानिक सिद्धांत और मान्यताओं के बीच जो बहस एक सदी से ज्यादा पुरानी हो गई, आज भी जारी है.

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