दक्षिण कोरिया की साइको थ्रिलर फिल्म ‘आई सा द डैविल’ से प्रेरित ‘एक विलेन’ एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है. निर्देशक का मानना है कि हर इंसान में एक विलेन होता है. जीवन में घटी कुछ बुरी घटनाएं इंसान को विलेन बना देती हैं और वह अपने ही इर्दगिर्द अंधेरों में घूमता रहता है. उस ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि नफरत को नफरत से नहीं, प्यार से मिटाया जा सकता है. फिल्म युवाओं के मतलब की है.
‘मर्डर-2’ और ‘आशिकी-2’ में निर्देशन देने वाले मोहित सूरी ने अपनी इस फिल्म के नायक सिद्धार्थ मल्होत्रा को ही विलेन बनाया है. सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपनी रोमांटिक इमेज से बाहर निकल कर नैगेटिव भूमिका की है. मोहित सूरी ने ज्यादातर महेश भट्ट कैंप की ही फिल्में निर्देशित की हैं, इसीलिए ‘एक विलेन’ में भी उन फिल्मों का कुछ असर दिख जाता है. लेकिन एक बात है, महेश भट्ट की फिल्मों की तरह मोहित सूरी ने अपनी इस फिल्म में सैक्स का तड़का नहीं लगाया है.
फिल्म की कहानी एक बच्चे द्वारा बचपन में अपने पिता की हत्या देख कर बड़े होने पर एक गैंगस्टर बनने की है. गुरु (सिद्धार्थ मल्होत्रा) सीजर (रैमो फर्नांडीस) के लिए काम करता है. उस की मुलाकात आयशा (श्रद्धा कपूर) से होती है, जिसे गंभीर बीमारी है. वह अपनी जिंदगी हंसीखुशी से बिताना चाहती है. वह गुरु को विलेन कह कर पुकारती है. दोनों में प्यार हो जाता है. आयशा, गुरु के दर्द को समझती है और धीरेधीरे उस के अंदर से नफरत की भावना को खत्म करती है. गुरु अपराध की दुनिया से नाता तोड़ लेता है. दोनों शादी कर लेते हैं. आयशा प्रैग्नैंट हो जाती है.
उधर शहर में एक साइको किलर राकेश (रितेश देशमुख) कई महिलाओं को अपना निशाना बना कर मार डालता है. उसे लगता है कि सब उस का उपहास उड़ाते हैं, इसीलिए वह औरतों की जान लेता फिरता है. वह आयशा को भी मार डालता है. गुरु को जब इस साइको किलर के बारे में पता चलता है तो वह उस से बदला लेने के लिए उस की जम कर पिटाई तो करता है, लेकिन उसे मरने नहीं देता ताकि वह फिर से उसे मार सके. आखिरकार वह साइको किलर मारा जाता है. उस का 8-10 वर्षीय बेटा डर के मारे घर में दुबका रहता है. गुरु के अंदर इंसानियत जागती है और वह हाथ बढ़ा कर उस बच्चे को अपना लेता है. उस वक्त उसे आयशा की प्यारभरी बातें याद आती हैं.
फिल्म में 2 कहानियां साथसाथ चलती हैं. ये कहानियां फ्लैशबैक में चलती हैं. मगर फ्लैशबैक कहींकहीं गड़बड़ा गया है. फिल्म की कहानी तो हट कर है, साथ ही प्रैजेंटेशन भी हट कर है. पटकथा में कई झोल होने के बावजूद मोहित सूरी ने दर्शकों को काफी हद तक बांधे रखा है. ‘आशिकी-2’ में अपने अभिनय से वाहवाही लूटने वाली श्रद्धा कपूर ने इस फिल्म में भी दर्शकों का मन मोह लिया है. गुरु के रोल में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने भी अच्छा काम किया है. रितेश देशमुख ने अब तक हास्य भूमिकाएं ही की हैं, मगर इस फिल्म में पहली बार उस ने नैगेटिव भूमिका की है और उस की यह भूमिका दर्शकों को पसंद भी आई है. प्राची देसाई ने एक आइटम सौंग पर परफौर्म किया है. फिल्म के ऐक्शन सीन अच्छे हैं. संवादों में भी दम है. गाने रोमांटिक हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक असरदार है. फिल्म का छायांकन भी अच्छा है.