यशराज बैनर के लिए इस फिल्म की निर्देशिका नूपुर अस्थाना ने इस से पहले इसी बैनर के लिए ‘मुझ से फ्रैंडशिप करोगे’ फिल्म बनाई थी. वह फिल्म युवाओं के मतलब की थी, मगर चल नहीं पाई थी. अब उन्होंने फिर से युवाओं के लिए ‘बेवकूफियां’ बनाई है.

इस में ‘विकी डोनर’ फिल्म में काम कर चुके आयुष्मान खुराना और सोनम कपूर जैसी युवा जोड़ी को ले कर निर्देशिका ने हलकीफुलकी बेवकूफियां ही दिखाई हैं. ये बेवकूफियां बेमतलब, बेतुकी, बेमजा और बेकार सी हैं.

फिल्म युवाओं को ध्यान में रख कर बनाई गई है. इस फिल्म का कौंसेप्ट आर्थिक मंदी और बदलती जीवनशैली है. आर्थिक मंदी का बुरा असर किस तरह युवाओं पर पड़ा कि पैसे के अभाव में उन्हें अपने प्यार तक का बलिदान करना पड़ा, इस फिल्म में यही दिखाया गया है. ‘बिना पैसे के प्यार करना बेवकूफी है’ और ‘प्यार चाहिए या पैसा चाहिए’ जैसा जुमला यह फिल्म चरितार्थ करती है. युवा अगर अपनी गर्लफ्रैंड के साथ इस फिल्म को देखने की सोच रहे हैं तो जरा ठहरिए, कहीं ऐसा न हो कि फिल्म देखने के बाद आप की गर्लफ्रैंड ब्रेकअप कर ले.

कहानी मोहित (आयुष्मान खुराना) और मायरा (सोनम कपूर) की है. दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं. दोनों नौकरी करते हैं. मायरा के पिता विनोद सहगल (ऋषि कपूर) आईएएस अफसर हैं और कड़क हैं. वे मायरा की शादी किसी पैसे वाले से करना चाहते हैं. इधर, रिसैप्शन के दौरान मोहित की नौकरी चली जाती है. मायरा इस बात को अपने पापा से छिपाती है. मोहित भी मायरा के पापा के सामने खुद को बिजी दिखाने में लग जाता है. तभी किसी बात पर मोहित और मायरा का ब्रेकअप हो जाता है. विनोद सहगल मोहित के बारे में सब पता कर लेते हैं. वे मोहित और मायरा को मिलाने का प्लान बनाते हैं. मोहित वैसे तो एमबीए है लेकिन मजबूरी में उसे एक वेटर की नौकरी करनी पड़ती है. आखिरकार, मायरा के पिता अपने प्लान में सफल होते हैं और मायरा व मोहित को आपस में मिलाते हैं.

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