‘गैंग औफ घोस्ट्स’ एक हौरर कौमेडी है, जिस में हौरर कम कौमेडी ज्यादा है. भूतों के इस गैंग में बहुत से कलाकार हैं जिन में प्रमुख हैं शरमन जोशी, अनुपम खेर, यशपाल शर्मा, माही गिल, मीरा चोपड़ा, चंकी पांडे, राजपाल यादव, असरानी आदि. ये सारे भूत एक बंगले में रहते हैं और शराब पीते हैं, डांस करते हैं, मौजमस्ती करते हैं परंतु किसी को परेशान नहीं करते. फिर भी निर्देशक ने फिल्म शुरू होने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया है. लगता है वह खुद भी भूतों पर विश्वास करता है.
‘गैंग औफ घोस्ट्स’ बंगाली फिल्म ‘भूतेर भविष्येत’ पर आधारित है. निर्देशक सतीश कौशिक ने इस फिल्म के किरदारों को आज के जमाने के अनुरूप दिखाया है. उन किरदारों के कौस्ट्यूम्स आधुनिक हैं. उन की चालढाल एकदम आधुनिक है. बस, वे किसी को दिखाई नहीं देते, जब वे खुद चाहते हैं तो दिखाई देते हैं. निर्देशक ने इन भूतों से खुल कर कौमेडी कराई है. फिल्म देख कर लगता ही नहीं कि ये भूत हैं. अच्छा होता कि निर्देशक भूतों की कल्पना न कर कुछ और सोचता, दर्शकों को अंधविश्वास की खाई में तो न धकेलता.
फिल्म के क्लाइमैक्स में बिल्डर माफिया पर व्यंग्य कर संदेश देने की कोशिश की गई है कि बिल्डर्स कंक्रीट के जंगल उगाए जा रहे हैं. शहरों में बड़ेबड़े मौल्स बना कर वे अपनी तिजोरियां भर रहे हैं जबकि गरीब लोगों के पास रहने तक की जगह नहीं होती.
फिल्म की कहानी फिल्मों की कहानियां लिखने वाले राजू (शरमन जोशी) नाम के एक स्ट्रगलर के मुंह से कहलवाई गई है. वह यह कहानी एक फिल्ममेकर को सुनाता है.
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