Abhishek Bachchan :  ‘आई वांट टू टौक’ यानी मुझे बात करनी है. इंग्लिश के टाइटल वाली इस फिल्म को शुजित सरकार ने बनाया है और इस में एक अरसे बाद अभिषेक बच्चन को अभिनय करते देख अच्छा लगता है. शुजित सरकार ने 5 बेहतरीन फिल्में बनाई हैं. अगर आप ने उन फिल्मों को मिस कर दिया है तो अरेंज कर के उन्हें देख डालिए.

 

2012 में रिलीज हुई फिल्म ‘विकी डोनर’ एक कौमेडी ड्रामा थी जिसे बौक्सऔफिस पर खासी सफलता मिली. उस फिल्म का मूल विषय बांझपन और स्पर्म डोनेशन पर आधारित था. उस फिल्म से आयुष्मान खुराना ने डैब्यू किया था. फिल्म में उस के साथ यामी गौतम थी. आजकल यह फिल्म जियो प्राइम पर देखी जा सकती है.

 

 

भारतीय राजनीतिक रहस्यों पर आधारित 2013 में आई शुजित सरकार की दूसरी फिल्म थी ‘मद्रास कैफे’. यह फिल्म नैटफ्लिक्स पर अवेलेबल है. 2015 में अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण अभिनीत ‘पीकू’ में पितापुत्री के भावनात्मक रिश्ते को दिखाया गया था. यह फिल्म सोनी लिव पर उपलब्ध है. 2018 में शुजित सरकार के निर्देशन में बनी ‘अक्तूबर’ एक और बेहतर फिल्म है. यह अमेजन प्राइम पर देखी जा सकती है. इस के अलावा 2021 में आई ‘सरदार उधम सिंह’ शुजित सरकार की एक और उम्दा फिल्म है. यह फिल्म जियो सिनेमा पर उपलब्ध है.

 

अच्छा निर्देशक वही माना जाता है जिस की फिल्म का सब्जैक्ट उस की अन्य फिल्मों से एकदम अलग हो. यहां शुजित सरकार की पांचों फिल्मों के सब्जैक्ट अलगअलग हैं.

 

‘आई वांट टू टौक’ एकदम अलग विषय पर बनी फिल्म है जिस का नायक अर्जुन सेन (Abhishek Bachchan) कैलिफोर्निया में मार्केटिंग की दुनिया में धूम मचा रहा है. एक दिन उसे पता चलता है कि उसे गले का कैंसर है और उस की जिंदगी के महज 100 दिन बाकी हैं. वह जिंदगी से हार मान कर चुप नहीं बैठता, बल्कि मौत को ठेंगा दिखा कर जीवन जीतने के युद्ध में उतर पड़ता है. वह अपनी बेटी (अहिल्या बामरू) के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाता है. इस सिलसिले में उस का एकाकीपन, नौकरी खोना, अस्पताल के लंबेलंबे बिल, सिर पर लटकती मौत की तलवार से भी जूझता है, मगर हिम्मत नहीं हारता, मौत को मात देता है और जिंदगी की जंग को जीतता है.

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