रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः मान्यता दत्त

लेखक व निर्देशकः देवा कट्टा

संगीतकारः अंकित तिवारी, फरहाद सामजी

कलाकारः संजय दत्त,जैकी श्राफ, मनिषा कोईराला,चंकी पांडे, अली फजल, सत्यजीत दुबे, अमायरा दस्तूर, इशिता राज शर्मा

अवधिः दो घंटे 41 मिनट

बौलीवुड में राजनीति पर केंद्रित कई फिल्में बन चुकी हैं. उसी ढर्रे पर हिंदी फिल्म ‘‘प्रस्थानम’’ है, जो कि 2010 की तेलगू भाषा में इसी नाम से बनी फिल्म का हिंदी रीमेक है. फिल्मकार ने प्रचारित किया था कि उनके पात्र ‘महाभारम’ से प्रेरित हैं. मगर इसी तरह के किरदारों से सजी कई फिल्में बन चुकी हैं. कहानी मानव स्वभाव का ही चित्रण करती है.

कहानीः

फिल्म की कहानी उत्तर प्रदेश में बल्लीपुर के एमएलए बलदेव प्रताप सिंह (संजय दत्त) और उनके परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. बलदेव सिंह को अपने सौतेले बेटे आयुष (अली फजल) का पूरा समर्थन हासिल है. लोग आयुष को ही बलदेव का राजनीतिक वारिस मानते हैं. यूं भी आयुष काफी परिपक्व व राजनीतिक चालें चलने में माहिर हैं. मगर आयुष के सौतेले भाई विवान (सत्यजीत दुबे) बेहद बिगड़ैल व हिंसक स्वभाव के हैं. वह बिना सोचे समझे कोई भी कदम उठा लेते हैं. विवान सत्ता व ताकत को छीनने में यकीन रखता है. इन तीनों पुरुषों की जिंदगी बलदेव सिंह की पत्नी सरोज (मनीषा कोइराला) से बंधी हुई है. मगर आयुष और विवान दोनो भाई एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. आयुष के साथ बलदेव प्रताप के विष्वस्त साथी बादशाह (जैकी श्राफ) हैं. जबकि विवान के साथ व्यवसायी खत्री (चंकी पांडे) हैं, जो कि बलदेव प्रताप से दुष्मनी रखते है. एक सीन में खत्री कहता है- ‘‘फल न मिले तो पेड़ को काट दो, पेड़ न मिले, तो जड़ ही काट दो. ’’मगर दो भाईयों की राजनीतिक विरासत को संभालने की प्रतिस्पर्धा के चलते भाई ही भाई के खून के प्यासे हो जाते है. उसके बाद पिता बलदेव जो कदम उठाते है, वह तो राजनीतिक पार्टी व घर को तहस नहस करने के लिए काफी हैं.

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