रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माताः महेंद्र विजयदान देठा व दिनेश कुमार

लेखक व निर्देशकः रोहित राज गोयल

कलाकारः तुशार पांडे,दीपिका सिंह, रघुवीर यादव,समता सागर,वीरेंद्र सक्सेना

अवधिः दो घंटे एक मिनट

दिन में सपने देखना कितना जायज? क्या सफलता के शिखर पर शॉर्ट कट रास्ता अपनाकर पहुंचा जा सकता है? क्या पत्नी की कमाई पर सिर्फ पति का हक होता है? यदि पत्नी की सरकारी नौकरी हो और पति बेरोजगार हो,तो किसे कितना झुकना चाहिए या समझौवादी होना चाहिए? शादी के बाद लड़की अपने माता पिता की जिम्मेदारी उठाए या न उठाए? सहित युवा पी-सजय़ी से जुड़े कई सामाजिक मुद्दों पर बात करने वाली फिल्म ‘‘टीटू अंबानी’’ लेकर फिल्मकार रोहित राज गोयल आए हैं.वर्तमान समय में पति पत्नी दोनों कमा रहे होते हैं.कई बार पति पत्नी में से किसी की कमाई कम होती है.जिसके चलते दोनों का अहम टकराता है और अलगाव की स्थिति पैदा होती है.यह भी इस फिल्म का हिस्सा है.मगर सुस्त लेखन और निर्देशन के चलते उतना प्रभाव छोड़ने में कामयाब नही होती,जितना होना चाहिए था.

कहानीः

यह कहानी है अजमेर में फोटो फ्रेम की दुकान चलाने वाले मध्यमवर्गीय परिवार के षुक्लाजी के छोटे बेटे टीटू की.टीटू दिन में सपने देखते हुए रातों रात अंबानी बनाजाना चाहते हैं.इसलिए वह कभी कैटरिंग का व्यापार तो कभी कोई अन्य धंधा करते हैं.उन्हे नौकरी करनी नही है.

इसके अलावा टीटू बिजली विभाग यानी कि सरकारी नौकरी करने वाली मौसमी संग प्यार की डोर भी सजा रहे हैं.टीटू कुछ कर नही रहा है,इसलिए मौसमी अपने माता पिता से टीटू संग विवाह करने की बात नही कर पा रही है.उधर टीटू का दावा है कि वह सफलता के शिखर पर पहुंचकर वह मौसमी के माता पिता के सामने जाएगा.लेकिन घटनाक्रम कुछ ऐसे बनते हैं कि टीटू ,मौसमी संग अपनी शादी के कार्ड छपवा कर बांट देता है.जिससे षुक्ला जी के घर में हंगामा होता है.फिर शुक्लाजी, मौसमी के माता पिता से मिलकर शादी के लिए रजामंदी दे देते हैं.शुक्ला जी को खुशी है कि उनकी बहू सरकारी नौकरी करती है.शादी के बाद भी टीटू दिन में सपने देखना नहीं छोड़ता. यहां तक कि वह पत्नी की कमाई पर अपना पूरा हक मानकर मौसमी की पर्स से सा-सजय़े छह हजार रूपए भी चुरा लेता है.हर तरफ से असफल टीटू को जब पता चलता है कि मौसमी आज भी अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा अपने माता पिता को देती है,तो टीटू,मौसमी के माता पिता के पास झगड़ने पहुंच जाते हैं. मौसमी के पिता टीटू को एक लाख नौ हजार की चेक दे देते हैं.बाकी बाद में देने की बात करते हैं.अब टीटू इस रकम को कए गलत कंपनी में इंवेस्ट कर अपने दोस्तो संग षराब व पार्टी करने लगता है.जब मौसमी को सारा सच पता चलता है तो वह टीटू से सवाल करती है? टीटू कहता है कि अपनी सरकारी नौकरी की धौंस दिखाने की बजाय अपने माता पिता के पास लौट जा.मौसमी मायके चली जाती है. इधर टीटू को कई ठोंकरें लगती है.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.अंततः टीट नौकरी करने लगते हैं और मौसमी को मना कर वापस ले आते हैं.

लेखन व निर्देशनः

वर्तमान समय में फिल्म ‘‘टीटू अबानी’’ जैसी कहानियां कही जानी चाहिए.क्योंकि वर्तमान समय में मध्यम वर्गीय परिवारों के नए युवा दंपतियों के बीच तलाक की वजहों पर यह फिल्म बहुत ही सरल अंदाज में बात करती है.मगर अफसोस कमजोर पटकथा व निर्देशन के चलते फिल्म का बंटाधार हो गया है.

फिल्म का विषय अच्छा है.फिल्म कई ज्वलंत सवाल भी उठाती है.इसके कुछ चुटीले संवाद लोगों को हंसाते भी है.मगर रोहित राज गोयल ने पटकथा लेखन व निर्देशन के वक्त थोड़ी मेहनत की होती, तो शायद यह फिल्म लोगों के दिलों तक पहुंच जाती. मगर वह ऐसा कुछ नहीं कर पाए.यहां तक कि वह फिल्म की नायिका दीपिका सिंह की प्रतिभा का सही उपयोग नही कर पाए, जबकि दीपिका सिंह तो उनके निजी जीवन की पत्नी हैं. दीपिका सिंह के अभिनय को लोग आज भी ‘दिया और बाती हम’ की संध्या राठी के रूप में याद करते हैं.फिल्म में रोमांटिक एंगल भी ठीक से नही उभरा. अभि-ुनवजयोक मनोहर चंदा के कुछ संवाद बहुत अच्छे बन पड़े हैं.

अभिनयः

पूरी फिल्म टीटू यानी कि अभिनेता तुशार पांडे के कंधो पर टिकी हुई है. तुशार पांडे अपने कैरियर की पहली इंटरनेशनल फिल्म ‘‘बियांड ब्लूज’’ के लिए रोम इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीत चुके हैं. बौलीवुड में उन्होने फिल्म ‘छिछोरे’ के अलावा वेब सीरीज ‘आश्रम’ में सत्ती के किरदार मंे अपनी प्रतिभा से लोगों को अवगत करा चुके हैं.इस फिल्म में भी तुशार पांडे ने टीटू के किरदार के साथ न्याय करने में अपनी तरफ से कोई कमी नही छोड़ी है.हास्य के पल हों या खुशी के क्षण अथवा गुस्सा,सब कुछ खो देने की बेबसी, हर जगह वह अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.अफसोस उनके किरदार को कागज पर ठीक से उकेरा ही नही गया. दीपिका सिंह ने टीवी पर अपने अभिनय का डंका बजाया है,मगर अपनी इस पहली फिल्म में वह अपने अभिनय से निराश करती हैं.तुशार के साथ उनकी केमिस्ट्ी ठीक से नही जमी. फिल्म में रघुवीर यादव,समता सागर व वीरेंद्र सक्सेना जैसे प्रतिभावान दिग्गज कलाकार है,इन सभी कलाकारों ने अपनी तरफ से बेहतरीन परफार्मेंस दी है.

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