फिल्म ‘तुम्बाड’ में हौरर, फैंटेसी, थ्रिल, रहस्य जैसे तत्व हैं. ये इंसानी चाह, ज़रूरत और खतरनाक लालच की कहानी है. फिल्म की टैगलाइन है – ‘आओ, अपने अंदर के डर से मिलें’.
कहानी 1920 के दौर से शुरू होती है. पुणे के एक गांव तुम्बाड में घटती है. एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार की तीन पीढ़ियों के इर्द-गिर्द. तुम्बाड में उनका प्रतिष्ठित वाड़ा (विशाल घर/जमींदारी) था. उसका मुखिया था शायद – सरकार. जो पूरी जिंदगी कोई खजाना ढूंढ़ता रहा. वो मर जाता है. उसके बाद फिर से वाड़े का कोई वारिस उसखजाने को ढूंढ़ने लौटता है और कहर बरपता है.
डायरेक्टर राजकुमार हीरानी (पीके, 3 इडियट्स, संजू, मुन्नाभाई) ने मई में जब ये फिल्म देखी तो उनका कहना था – “मैंने लंबे समय से visually इतनी हैरतअंगेज फिल्म नहीं देखी है जितनी ‘तुम्बाड’ है. इस फिल्म में कैमरावर्क, आर्ट, कॉस्ट्यूम बहुत अच्छे हैं. सोहम शाह (एक्टर) का काम बेहतरीन है.”
चार महीने पहले डायरेक्टर आनंद राय (जीरो, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स) ने भी ‘तुम्बाड’ देखी और चकित रह गए. उनका कहना था – “ये (भय से) रोएं खड़े कर देने वाली,विस्मयकारी फिल्म है जो आपको एकदम नोंक पर रखती है. ‘तुम्बाड’ ऐसा चमत्कार है जिसे चूकना नहीं चाहिए. जिस पल से मैंने ये फिल्म देखी, मैं इससे जुड़ना चाहता था.” आनंद को ये फिल्म इतनी पसंद आई कि वे ही इसे प्रस्तुत कर रहे हैं. उनकी कंपनी ‘कलर यैलो प्रोडक्शंस’ और ‘इरोस नाओ’ इसकी रिलीज अनाउंस कर चुके हैं.
आनंद गांधी भी इससे जुड़े हैं. वे ‘तुम्बाड’ के क्रिएटिव प्रोड्यूसर और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. 2013 में उनकी फिल्म ‘शिप ऑफ थीसियस’ ने लोगों को भौचक्का कर दिया था. हालांकि तब से अब तक के पांच साल में इसके कई रीशूट हुए हैं. पोस्ट-प्रोडक्शन में काफी काम हुआ है. हाल ही में बतौर प्रोड्यूसर आनंद ने चर्चित डॉक्यूमेंट्री‘एन इनसिग्निफिकेंट मैन’ भी रिलीज की थी.
फिल्म में विनायक का केंद्रीय किरदार पहले नवाजुद्दीन सिद्दीकी कर रहे थे. उन्होंने दो महीने इस कैरेक्टर की रिहर्सल में भी हिस्सा लिया. ये 2007-08 की बात है. 2012 के करीब सोहम शाह विनायक के लीड रोल में फाइनल हुए जो फिल्म के पोस्टरों और तस्वीरों में दिखने लगे थे. सोहम इस फिल्म के निर्माता भी हैं. वे सबसे पहले बतौर एक्टर ‘शिप ऑफ थीसियस’ से चर्चा में आए थे. फिर उन्होंने ‘तलवार’ और ‘सिमरन’ में भी एक्टिंग की.
‘तुम्बाड’ के डायरेक्टर हैं राही अनिल बर्वे. ये उनकी पहली फीचर फिल्म है. राही इससे पहले 41 मिनट की फिल्म ‘मांजा’ बना चुके हैं. इसे देखने के बाद डायरेक्टर डैनी बोयेल ने अपनी फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ (2008) की डीवीडी में विशेष फीचर के तौर पर रखा था. ‘मांझा’ एक गरीब लड़के की कहानी है जिसकी 6-7 साल की बहन को एक पुलिसवाला रेप कर देता है. अब वो लड़का बदला लेने को व्यग्र है, लेकिन उम्र में बहुत छोटा है.
राही बर्वे में ‘तुम्बाड’ के सृजन के बीज 90 के दशक में ही पड़ गए थे. वे छोटे थे और 1993 में अपने दोस्त के साथ महाराष्ट्र में नागजीरा के जंगल गए थे. दोस्त ने वहां रात को उनको नारायण धारप की लिखी एक डरावनी कहानी सुनाई जिसे सुनकर वो बुरी तरह डर गए थे. 2016 तक वे उस कहानी के वशीभूत रहे. बर्वे ने उस कहानी का मूल संस्करण भी ढूंढ़ा और पढ़ा. लेकिन वो पढ़ते हुए उन्हें बहुत सपाट और भूल जाने लायक लगा. दरअसल जंगल के बीच अलाव जलाकर उसके किनारे बैठकर ये उनके दोस्त का कहानी सुनाने का तरीका था जिसने उनके दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी थी. फिर उन्हें एक दूसरी कहानी सूझी. ये ‘तुम्बाड’ थी इसका पहला ड्राफ्ट और स्टोरीबोर्ड 1996-97 में उन्होंने तैयार कर लिया था. लेकिन फिर रख दिया. बरसों बाद जब उन्हें अपना लाल बैग मिला तो उसमें शुरुआती राइटिंग के साथ ये मटीरियल फिर से सामने आ गया.
अब 12 अक्टूबर को ‘तुम्बाड’ की रिलीज पक्की हो गई है. इसे हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी भाषाओं में लाया जा रहा है. इस फिल्म के बाद बर्वे दो दूसरे प्रोजेक्ट आगे बढ़ाएंगे जिन पर काम चालू हो चुका है. इन्हीं में एक है ‘रक्त ब्रम्हांड’. ये प्राचीन भारत में स्थित एक पौराणिक थ्रिलर है.
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(साभार : लल्लनटौप)