पिछले कुछ समय से ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रसारित हो रही फिल्मों, डाक्यूमेंट्री और वेब सीरीज को ‘सेंसर बोर्ड’के तहत लाने की मांग उठती रही है.इसी मांग के अनुरूप नवंबर 2020 माह में सरकार डिजिटल प्लेटफार्म,ओटीटी आदि को सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन लाने का फैसला लिया था.उधर रचनात्मक सामग्री को सेंसर करने की मांग देश का एक तबका लगातार उठाता रहा.मगर सरकार भी समझ रही थी कि सेटेलाइट चैनल हों या ओटीटी प्लेटफार्म हो या सोशल मीडिया हो, इन्हें सेंसरशिप के दायरे में लाना व्यावहारिक नही है.

यह सारे प्लेटफार्म अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संचालित होते हैं.तो वहीं बॉलीवुड से मनोज बाजपेयी,महेश भट्ट,हंसल मेहता, स्वरा भास्कर,रिचा चडढा सहित तमाम हस्तियां ‘सेंसरशिप’का लगातार विरोध करती रही. लेकिन ‘अमैजान’पर अली अब्बास जफर निर्मित तथा सैफ अली खान,मो.जीषन अयूब,अनूप सोनी व डिंपल कापड़िया के अभिनय से सजी वेब सीरीज ‘‘तांडव’’के प्रसारण के साथ ही कई हिंदू संगठनों व हिंदू नेताओं ने हिंदू धर्म व देवी देवताओं के साथ खिलवाड़ करने का मुददा उठाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया.इस हंगामें में कौन लोग थे,उस पर हम नही जाना चाहते.खैर,कुछ लोग अदालत में याचिका लेकर पहुंच गए.

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सरकार को हरकत में आना ही था.सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ‘अमेजान’ की अपर्णा पुरोहित व वेब सीरीज के निर्माताओं को तलब किया.‘तांडव’के निर्माता व कलाकारो ने ट्वीटर पर बयान जारी कर माफी माॅंगी और वेब सीरीज से कुछ दृष्यों को हटा दिया.अफसोस की बात यह है कि देष मे सर्वधर्म व सभी समान हैं की बात करने वाली सरकार या किसी भी इंसान का इसी वेब सीरीज में दलित इंसान का जो अपमान किया गया,उस तरफ नहीं गया.इस मुद्दे पर सरकार भी चुप्पी साधे रही.तो वहीं इलहाबाद हाई कोर्ट ने ‘तांडव’केखिलाफ दायर याचिका व पुलिस में दर्ज एफआरआई के ही संदर्भ में अमेजॅान की अपर्णा पुरोहित की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उन्हे जो अपराध करना था,वह तो वह कर चुके, इसलिए अब उन्हे सजा के लिए तैयार रहना चाहिए.माननीय न्यायाधीश ने इस पर अपनी लंबी चैड़ी टिप्पणी की है.

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