निर्देशक कौशिक गांगुली सत्यजीत रे की वर्ष 1955 की रिलीज मशहूर फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में अपू का किरदार निभाने वाले बाल कलाकार सुबीर बनर्जी के जीवन पर फिल्म बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं. दरअसल, सुबीर आज 69 साल के हैं और वे सिनेमा की दुनिया से पूरी तरह से कटे हैं. फिल्म में काम करने के बाद वे सरकारी दफ्तर में कर्मचारी बन गए और बाद में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. उन्हें जीवनभर अपू नाम से बुलाया जाता रहा है. पाथेर पांचाली उन की एकमात्र फिल्म थी. आश्चर्य इस बात का है कि उन्हें इस फिल्म के बारे में कुछ भी याद नहीं है.

हाल ही टीवी और फिल्मों में कई बाल कलाकारों ने दर्शकों का ध्यान खींचा है. फिल्म ‘भूतनाथ’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने वाला बाल सितारा और धारावाहिक ‘उड़ान’ की नन्ही बाल कलाकार तो स्टार रुतबा भी हासिल कर चुके हैं. पर क्या आगे चल कर ये कलाकार इतने ही चर्चित रहेंगे या फिर ये भी सुबीर कुमार की तरह बाकी जीवन अज्ञातवास में गुजारेंगे? हिंदी सिनेमा में कई ऐसे बाल कलाकार आए जिन्होंने अपनी नन्ही सी उम्र में अभिनय का लोहा मनवाया. इन की अदाकारी कई बार बड़ेबड़े सितारों पर भारी पड़ी तो कई बार इन्होंने मुख्य भूमिकाओं में अपने अभिनय से सब को चौंकाया लेकिन बाद में गायब से हो गए.

मदर इंडिया के बिरजू के बारे में तो कहा जाता है कि मदर इंडिया के बाद उन्हें हौलीवुड की फिल्मों में काम मिल गया. लेकिन हौलीवुड की किन फिल्मों में काम किया और उन का कैरियरग्राफ कैसा रहा, कोई नहीं जानता. फिल्म ‘अग्निपथ’ में आंखों में बूट पौलिश को काजल की तरह लगा कर छोटे विजय का किरदार निभाने वाले बाल कलाकार का गुस्सा ऐंग्री यंगमैन अमिताभ बच्चन से कम नहीं था. याद होगा, इसी कलाकार ने आर के नारायण के उपन्यास पर आधारित धारावाहिक ‘मालगुड़ी डेज’ में स्वामी के किरदार में कितना मार्मिक अभिनय किया था.  सरकार ने बच्चों के लिए मनोरंजक फिल्म बनाने वाली एक संस्था बनाई है पर अब तक न तो बाल कलाकारों का कुछ हुआ है न ही बाल फिल्मों का. हाल ही में दिल्ली में बाल फिल्म फैस्टिवल का आयोजन हुआ. इस दौरान बाल कलाकारों की गायब होती जमात पर कोई बात नहीं हुई.

मास्टर सत्यजीत को दर्शकों ने मनोज कुमार के साथ फिल्म ‘शोर’ में देखा था. उस फिल्म में इस बाल कलाकार ने हैंडीकैप्ड के किरदार को बड़ी सहजता से निभाया था. कुछ और फिल्मों में दिखने के बाद उन्हें फिर नहीं देखा गया. मास्टर राजू भी अपने जमाने के चर्चित बाल कलाकार थे. उन्होंने गुलजार की फिल्म ‘परिचय’ के अलावा राजेश खन्ना के साथ ‘बावर्ची’, ‘अमर प्रेम’ और ‘दाग’ जैसी फिल्मों में काम किया. जावेद अख्तर की पूर्व पत्नी हनी ईरानी भी कभी बतौर बाल कलाकार फिल्मों में काम करती थीं पर बाद में उन्होंने स्क्रिप्ट राइटिंग में कैरियर आजमाया और खासा नाम कमाया. फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में बहुत सारे बाल कलाकारों ने काम किया. उन्हीं में से एक अहमद खान भी थे. अहमद ने बड़े हो कर अभिनय के बजाय निर्देशन और कोरियोग्राफी में हाथ आजमाया. वे काफी सफल भी रहे. लता मंगेशकर भी चाइल्ड आर्टिस्ट रहीं. सत्यजीत पुरी ने ‘मेरे लाल’, ‘हरे रामा हरे कृष्णा’, ‘अनुराग’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया था. बाद में मौका न मिलने पर वे लेखन के क्षेत्र से जुड़ गए. अभिनेत्री और कमल हासन की पूर्व पत्नी सारिका भी बतौर बाल कलाकार हिंदी फिल्मों की पसंद बनी रहीं. उन्होंने ‘आशीर्वाद’, ‘सत्यकाम’, ‘छोटी बहू’ और ‘हमराज’ में बेहतरीन काम किया. बाद में अभिनेत्री के तौर पर उन्हें आंशिक सफलता हासिल हुई. परजान दस्तूर भी एक ऐसा ही नाम है जो बाल कलाकार के तौर पर सब का चहेता रहा पर बतौर अभिनेता गुमनाम ही रहा. सिनेप्रेमी परजान को ‘कुछकुछ होता है’, ‘परजानिया’ और ‘मोहब्बतें’ जैसी फिल्मों में देख चुके हैं.

कुछ बाल कलाकारों ने फिल्मों में लंबी पारी भी खेली. मसलन, सचिन पिलगांवकर. फिल्म ‘नदिया के पार’ में मुख्य भूमिका निभा कर रातोंरात स्टार हुए. सचिन बतौर बाल कलाकार भी उतने ही सफल हुए जितने मुख्य अभिनेता के तौर पर. बतौर बाल कलाकार, उन्होंने ‘बालिका वधू’, ‘मेला’, ‘ब्रह्मचारी’ और ‘ज्वैल थीफ’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया. सचिन की तरह अरुणा ईरानी का कैरियर भी काफी सफल रहा. फिल्म ‘कोई मिल गया’ और ‘जागो’ समेत कई सीरियलों में बाल कलाकार के रूप में काम कर चुकी हंसिका मोटवानी आज दक्षिण भारतीय फिल्मों में स्टार अभिनेत्री हैं. महेश भट्ट की फिल्मों में अहम किरदार निभाने वाले कुणाल खेमू को लोगों ने ‘जख्म’ फिल्म में अजय देवगन के बचपन का किरदार संजीदगी से निभाते देखा. आज वे भी सफल अभिनेता हैं.

मधुबाला और मीना कुमारी ने बाल कलाकार के रूप में काम किया था. श्रीदेवी इस मामले में सब से ज्यादा सफल रहीं. बाल कलाकार के तौर पर मात्र 4 साल की उम्र में काम करने के बाद बतौर अभिनेत्री आज भी सफल पारी खेल रही हैं. इसी क्रम में पद्मिनी कोल्हापुरे भी हैं. गौरतलब है कि रितिक रोशन, नीतू सिंह, आशा पारेख, बौबी देओल, आमिर खान, आलिया भट्ट, अभिषेक बच्चन, ऋषि कपूर जैसे कई बड़े नाम बाल कलाकार के तौर पर नजर आ चुके हैं और आज इन की गिनती बड़े स्टार्स में होती है. इस का एक पहलू कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ज्यादातर मामलों में उन्हीं बाल कलाकारों को बड़े होने पर मौका मिला जो फिल्मी परिवारों से संबंध रखते थे. जिन के परिवार के सदस्य इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं थे वे बाल कलाकार सुपरहिट होने के बावजूद कहीं गुमनामी के अंधेरे में खो गए.

फिल्म ‘ब्लैक’ में आयशा कपूर और फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में दर्शील सफारी जैसे बाल कलाकारों का अभिनय कोई नहीं भूल सकता. इसी तरह फिल्म ‘भूतनाथ’ में बिग बी के साथ काम करने वाले बंकू यानी अमन सिद्दीकी का आत्मविश्वास देखते ही बनता है. ‘आई एम कलाम’, ‘नन्हे जैसलमेर’, ‘चिल्लर पार्टी’ में बाल कलाकारों की लंबी फौज अभिनय प्रतिभा के साथ लबरेज दिख रही है. उन का आगे चल कर कैसा कैरियर होगा, यह वक्त ही बताएगा. दरअसल सही मार्गदर्शन न मिलने के चलते वे सही दिशा नहीं पकड़ पाते. इस के अलावा कुछ बाल कलाकारों को यह गुमान हो जाता है कि वे स्टार हो गए हैं. कम उम्र का यह गुमान उन्हें गुमनाम कर देता है. इस के अलावा कई बाल कलाकार फिल्मों के ढांचे में बहुत दिनों तक खुद को फिट नहीं रख पाते. लिहाजा, वे बहुत जल्दी भुला दिए जाते हैं, जैसा फिल्म ‘स्लमडौग मिलेनियर’ के बाल कलाकारों के साथ हुआ है. वरिष्ठ फिल्म समीक्षक जय प्रकाश चौकसे के मुताबिक, ऐक्ंिटग बाल कलाकार की शिक्षा में बाधा बनती है. इस के विशिष्ट होने के भाव के कारण उन का बचपन अपनी स्वाभाविकता और मासूमियत खो देता है. ख्याति जैसे बेलगाम घोड़े की सवारी में गिर जाना स्वाभाविक है. शायद, इसी वजह से वह अपने मूल अभिनय से कट कर खास से आम बन जाता है.

बाल कलाकार तब और अब

श्वेता प्रसाद : विशाल भारद्वाज की फिल्म मकड़ी के लिए बतौर बाल कलाकार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली लड़की श्वेता प्रसाद वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार की गई थी. हालांकि बाद में उसे क्लीनचिट मिल गई.

बेबी गुड्डू उर्फ शाहिदा बेगम : 80 के दशक में ‘आखिर क्यों’, ‘समंदर’ और ‘घरपरिवार’ जैसी फिल्मों में नजर आई. अब दुने की एक एअरलाइंस कंपनी में काम करती हैं.

मास्टर मंजूनाथ : ‘मालगुड़ी डेज’ धारावाहिक और फिल्म ‘अग्निपथ’ में काम किया. अब एक सौफ्टवेयर कंपनी में सेवारत हैं.

शफीक सईद : मीरा नायर की फिल्म ‘सलाम बौंबे’ में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. बाद में जूनियर आर्टिस्ट का काम किया. इन दिनों बेंगलुरु में रिकशा चलाते हैं.

मास्टर अलंकार : ‘शोले’, ‘डौन’, ‘ड्रीम गर्ल’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया. इन का यूएस में बिजनैस है.

परजान दस्तूर : फिल्म ‘कुछकुछ होता है’ के क्यूट सरदार और फिल्म ‘परजानिया’ में गंभीर भूमिका करने के बाद इन दिनों अभिनय छोड़ कर पढ़ाई में व्यस्त हैं.

अविनाश मुखर्जी : धारावाहिक ‘बालिका वधू’ से मिली पहचान. इन दिनों घर पर पढ़ाई कर रहे हैं.

सत्यजीत पुरी : बतौर बाल कलाकार फिल्म ‘मेरे लाल’, ‘हरि दर्शन’, ‘बिदाई’ के बाद युवावय में ‘अर्जुन’, ‘शोला और शबनम’ में काम के बावजूद नहीं मिली पहचान. इन दिनों निर्देशक बनने के लिए संघर्षरत.

मास्टर बिट्टू उर्फ विशाल देसाई : फिल्म ‘चुपकेचुपके’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘याराना’ में काम किया. निर्देशक बनने के लिए संघर्षरत.

सना सईद : फिल्म ‘कुछकुछ होता है’, ‘हर दिल जो प्यार करेगा’ और ‘बादल’ में काम किया. पिछले दिनों फिल्म ‘स्टूडेंट औफ द ईअर’ में भी काम किया. फिलहाल कोई काम नहीं है.

बेबी फरीदा : 60 के दशक में फिल्म ‘दोस्ती’, ‘राम और श्याम’, ‘जबजब फूल खिले’ और ‘काबुलीवाला’ में काम किया. कहते हैं उन्हें फिल्म ‘बौबी’ के लिए लीड रोल मिला था पर इनकार कर दिया. इन दिनों टीवी पर दादी के किरदार निभा रही हैं.

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट, कौमेडी शो छोटे मियां से घरघर पौपुलर हुए मोहित बघेल भी टीवी से फिल्मों में आए. सलमान खान अभिनीत फिल्म ‘रेडी’ में अमर सिंह चौधरी के किरदार ने मोहित को सलमान का चहेता बना दिया. नतीजतन, मोहित उन के साथ फिल्म ‘जय हो’ में नजर आए. साथ ही जल्द ही ‘नो एंट्री’ के सीक्वल ‘नो एंट्री में एंट्री’ में भी वे कौमेडी करते नजर आएंगे. बाल कलाकारों के अचानक लाइमलाइट में आने और फिर गुमनाम हो जाने के सवाल पर मोहित का नजरिया कुछ और है. उन के मुताबिक, एक चाइल्ड आर्टिस्ट को अपनी कामयाबी को स्थिर रखना नहीं आता. ज्यादातर बाल कलाकार सफलता के नशे में सवार हो कर यह भूल जाते हैं कि वे बड़े भी हो रहे हैं और वयस्क होते ही बाल कलाकार की छवि से बाहर आ कर अभिनय करना होगा. यही वजह है कि जैसेजैसे वे बड़े होते हैं, लोकप्रियता से दूर होने लगते हैं. इस मामले में वे खुद सबक लेते हुए कहते हैं कि बाल कलाकार हमेशा बच्चा बन कर नहीं रह सकता. मैं भी इसीलिए फिल्म ‘युवा’ से अपनी बाल कलाकार छवि से मुक्त हो कर मुख्य अभिनेता बनने के सफर पर निकल चुका हूं. उम्मीद है उन्हें बतौर बाल कलाकार ही नहीं, बल्कि वयस्क अभिनेता के तौर पर भी कामयाबी व पहचान मिलेगी.

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