वह जान चुकी थी कि संतोष उस से बेपनाह मोहब्बत करता है. इस के बाद ज्योति के दिल में भी संतोष के प्रति चाहत पैदा हो गई.
ज्योति और संतोष दोनों एकदूसरे को चाहने जरूर लगे थे, लेकिन अपनी मोहब्बत का इजहार नहीं कर पा रहे थे. एक दिन ज्योति घर से स्कूल के लिए अकेली निकली. संतोष पहले से ही गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था.
जब उस ने देखा कि ज्योति अकेली है तो उस ने पक्का मन बना लिया कि कुछ भी हो जाए, आज उस से अपने दिल की बात कह कर ही रहेगा. ज्योति उस के नजदीक पहुंची तो संतोष उस के सामने आ कर खड़ा हो गया.
ज्योति के दिल की धड़कनें भी तेज हो गईं. जब वह रिलैक्स हुई तो संतोष बोला, ‘‘ज्योति, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’
ज्योति कुछ बोले बिना साइड से निकल कर आगे बढ़ गई.
‘‘रुक जाओ ज्योति, एक बार मेरी बात सुन लो, फिर चली जाना.’’ वह बोला.
‘‘जल्दी बताओ, क्या कहना चाहते हो. किसी ने देख लिया तो जान पर बन आएगी.’’ ज्योति घबराई हुई थी.
‘‘नहीं, मैं तुम्हारी जान पर आफत नहीं आने दूंगा.’’ संतोष ने कहा.
‘‘क्या मतलब?’’ ज्योति चौंक कर बोली.
‘‘यही कि आज से इस जान पर मेरा अधिकार है.’’
‘‘होश में तो हो तुम, क्या बक रहे हो, कुछ पता भी है.’’ ज्योति ने हलके गुस्से में कहा.
‘‘मुझे पता है कि तुम पड़ोस के गांव छितौना के रामकिशोर यादव की बेटी हो,’’ संतोष कहता गया, ‘‘जानती हो, जिस दिन से मैं ने तुम्हें देखा है, अपनी सुधबुध खो बैठा हूं. न दिन में चैन मिलता है और रात को नींद आती है. बस तुम्हारा खूबसूरत चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा.’’
‘‘लेकिन मैं तो तुम से प्यार नहीं करती.’’ ज्योति ने तुरंत कहा.
‘‘ऐसा मत कहो ज्योति, वरना मैं सचमुच मर जाऊंगा.’’ संतोष गिड़गिड़ाया.
‘‘ठीक है तो मर जाओ, किस ने रोका है.’’ कहती हुई ज्योति होंठ दबा कर मुसकराती हुई स्कूल की ओर बढ़ गई. संतोष तब तक उसे निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. ज्योति की तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर न पा कर वह मायूस हो कर घर लौट आया.
ज्योति ने संतोष के मन की टोह लेने के लिए अपने मन की बात जाहिर नहीं की थी, जबकि वह संतोष से दिल की गहराई से प्रेम करने लगी थी. ज्योति का नहीं में उत्तर सुन कर संतोष को रात भर नींद नहीं आई, इसलिए अगले दिन वह फिर उसी जगह जा कर खड़ा हो गया था, जहां उस की ज्योति से मुलाकात हुई थी.
ज्योति नियत समय पर घर से निकली. उस दिन उस के साथ उस की कई सहेलियां भी थीं. जैसे ही ज्योति संतोष के करीब आई, उस ने चुपके से एक कागज गिरा दिया और आगे बढ़ गई. संतोष ने जल्दी से कागज उठा कर अपनी कमीज की जेब में रख लिया. फिर ज्योति को वह तब तक निहारता रहा, जब तक उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.
इस के बाद वह जल्दी में जेब से कागज निकाल कर पढ़ने लगा. वह प्रेमपत्र था. ज्योति का प्रेमपत्र पढ़ने के बाद संतोष ऐसे उछला, जैसे उसे दुनिया का सब से बड़ा खजाना मिल गया हो. उस दिन के बाद से संतोष की हिम्मत और बढ़ गई. स्कूल की छुट्टी के बाद अकसर दोनों रास्ते में ही मिल जाया करते थे.
उन दिनों संतोष कोई काम नहीं करता था, लेकिन उस की ख्वाहिश थी कि उसे पुलिस विभाग में नौकरी मिल जाए. इसलिए वह तैयारी में जुट गया. साथ ही ज्योति के साथ उस की प्यार की उड़ान भी जारी रही. प्यार की बातें चाहे कोई कितनी भी छिपाने की कोशिश करें, छिपती नहीं हैं. लिहाजा इन दोनों के प्रेम के चर्चे दोनों के गांवों में होने लगे. उड़ती हुई यह खबर जब ज्योति के पिता रामकिशोर यादव तक पहुंची तो वह गुस्से से उबल पड़े. उन्होंने ज्योति का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया.
इतना ही नहीं रामकिशोर ने शंभूपुर दमदियावन पहुंच कर संतोष के पिता हरिप्रसाद से शिकायत की. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपने बेटे संतोष को संभाल लें. वह मेरी बेटी का स्कूल आतेजाते पीछा करता है. याद रखो, भविष्य में अगर उस ने मेरी बेटी से मिलने की कोशिश की तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. ठीक से समझ लो, मैं अपनी मानमर्यादा और इज्जत से किसी को भी खिलवाड़ नहीं करने दूंगा.’’
हरिप्रसाद को बेटे की करतूतों के बारे में पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. उन्होंने जब संतोष से यह बात पूछी तो उस ने सब सचसच बता दिया. हरिप्रसाद ने उसे समझाया कि पहले वह अपने भविष्य को देखे, नौकरी की तैयारी करे. समय आने पर वह किसी अच्छी लड़की से उस की शादी करा देंगे.
पिता ने संतोष को ठीक से समझाया तो उस पर उन की बातों का गहरा असर हुआ. लिहाजा वह अपने भविष्य की तैयारी में जुट गया. उस की मेहनत रंग लाई और उस की नौकरी उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर लग गई.
सन 2015 में उस की चंदौली जिले के चकिया थाने में पहली पोस्टिंग हुई. ये बात उस ने सब से पहले ज्योति को बताई. यहां यह बताना जरूरी है कि रामकिशोर ने भले ही संतोष के पिता को धमकी दी थी. लेकिन संतोष और ज्योति पर इस का कोई खास असर नहीं हुआ.
वे दोनों फोन के जरिए एकदूसरे के करीब बने रहे. संतोष ने ज्योति को विश्वास दिलाया कि कुछ भी हो जाए, लेकिन वह शादी उसी से करेगा. यह सुन कर ज्योति काफी खुश थी. उस ने मां के जरिए यह बात अपने पिता और परिवार वालों तक पहुंचा दी. उस की यह कोशिश रंग लाई और उस का परिवार संतोष से उस की शादी कराने के लिए राजी हो गया.
एक तो संतोष को सरकारी नौकरी मिल चुकी थी, दूसरे दोनों एक ही जातिबिरादरी के थे. जब पूरा परिवार एकमत हो गया तो रामकिशोर बेटी का रिश्ता ले कर हरिप्रसाद के पास गए और कहा कि पुरानी बातें भूल कर नए रिश्ते जोड़ते हैं.
हरिप्रसाद रामकिशोर की धमकी को भूले नहीं थे. दूसरे संतोष भी पिता के पक्ष में आ गया था, इसलिए हरिप्रसाद ने रिश्ते से इनकार कर दिया. उस ने पिता से कह दिया कि वह उसी लड़की से शादी करेगा, जिस से वह चाहेंगे. रामकिशोर शादी का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद घर लौट गए.
संतोष 2 साल तक ज्योति का दैहिक शोषण करता रहा था, उसे धोखे में रखे रहा था. अंत में उस ने ज्योति से शादी करने से साफ मना कर दिया था. उस ने ज्योति से साफ कह दिया था कि घर वालों के दबाव में उसे कहीं और शादी करनी पड़ रही है. वह भी किसी अच्छे से लड़के से शादी कर ले.
यह बात ज्योति से बरदाश्त नहीं हुई. उस ने रोरो कर मां के सामने सारी सच्चाई खोल दी. यह बात जब रामकिशोर और उस के बेटे सर्वेश को पता चली तो गुस्से के मारे उन के तनबदन में आग सी लग गई. दोनों ने फैसला किया कि जिस ने ज्योति की जिंदगी बरबाद की है, उसे किसी और लड़की से शादी नहीं करने देंगे. उस ने जो गुनाह किया है, उसे उस की सजा जरूर मिलनी चाहिए.
इस बीच सर्वेश को सूचना मिल गई थी कि 29 दिसंबर, 2017 को संतोष का बरच्छा होने वाला है. इस कार्यक्रम में वह गांव आएगा. संतोष 28 दिसंबर को एक सप्ताह की छुट्टी ले कर घर आया.
तय कार्यक्रम के मुताबिक 29 दिसंबर की शाम को संतोष का बरच्छा का कार्यक्रम संपन्न हुआ. वह बहुत खुश था. 30 दिसंबर की सुबह संतोष दोस्तों के साथ गांव के बाहर निकला, तभी उस के फोन पर ज्योति का फोन आ गया. उस ने संतोष को फोन कर के छितौना गांव के अरहर के एक खेत में मिलने को बुलाया. वहां पहले से ही ज्योति के अलावा उस के पिता रामकिशोर, भाई सर्वेश के साथ गांव के मनोज यादव, संजय यादव और आनंद मौजूद थे.
संतोष के पहुंचते ही रामकिशोर यादव, संजय यादव और आनंद ने संतोष को दबोच लिया. ज्योति को उन लोगों ने वहां से हटा दिया. गुस्से में सर्वेश ने कुल्हाड़ी से संतोष के चेहरे और गरदन पर वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. संतोष की हत्या करने के बाद वहां से भागते समय सर्वेश ने कुल्हाड़ी एक झाड़ी में छिपा दी. सर्वेश संतोष का फोन भी अपने साथ ले गया. रास्ते में उस ने फोन से सिम निकाल कर कहीं फेंक दी.
ज्योति के गिरफ्तार होने के 15 दिनों के भीतर गांव से एकएक कर के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी आरोपियों ने अपनेअपने जुर्म कबूल कर लिए थे. सर्वेश की निशानदेही पर पुलिस ने झाड़ी से कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. कथा लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हुई थी. पुलिस ने अदालत में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित