यह आज तक पता नहीं चल पाया है कि बोझा ढोने वाले जीवों, पहियों और लोहे के औजारों के बिना इन्का सभ्यता ने कई टन वजनी पत्थरों को निर्माणस्थल तक कैसे पहुंचाया होगा? क्या कोई सभ्यता किसी लिपि और लेखन कला के बिना शीर्ष ऊंचाइयों को छू सकती है? जवाब होगा नहीं. लेकिन एक ऐसी सभ्यता भी थी जो न पहिए को जानती थी, न ही मेहराबों को. फिर भी इस सभ्यता ने निर्माण क्षेत्र में जो ऊंचाइयां हासिल कीं, वह देखने लायक तो है ही, लोग आज भी यह समझ नहीं पाते कि आखिर भवन निर्माण की मामूली जानकारी के बावजूद इस सभ्यता ने निर्माण के क्षेत्र में इतनी ऊंचाइयों को कैसे छुआ.

आज इन्काओं का बनाया हुआ शहर माचू-पिच्चू इतिहासकारों के बीच एक रहस्य बना हुआ है. इस शहर को जिन 2 पहाडि़यों के बीच में बसाया गया, वह यहां की उरुबंबा नदी के ऊपर स्थित है. यहां पर इन्काओं ने सैकड़ों विशाल घर, दालान और मंदिरों का निर्माण किया. यह सभ्यता स्पेनी लुटेरों की वजह से अचानक ही समाप्त हो गई और इस के करीब 500 साल बाद 1911 में अमेरिकी पुरातत्ववेत्ता हिराम बिंघम ने इसे खोजा.

यह आज तक पता नहीं चल पाया है कि बोझा ढोने वाले जीवों, पहियों और लोहे के औजारों के बिना इन्का सभ्यता ने कई टन वजनी पत्थरों को निर्माणस्थल तक कैसे पहुंचाया होगा? उन के पास पत्थर की बनी हथौडि़यां, तांबे की छेनी, तांबे व लकड़ी के बने सब्बल और पौधों के रेशों से बनी रस्सियों के अलावा कोई अन्य औजार नहीं था.

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यह आज भी रहस्य ही है कि इन लोगों ने विशाल ग्रेनाइट चट्टानों को कैसे काटा होगा और गहरी खाइयों से होते हुए इन्हें किस तरह पहाडि़यों तक पहुंचाया होगा. ये सभी पत्थर बिना किसी सीमेंट आदि के एकदूसरे पर इस तरह से जमाए गए हैं कि 2 पत्थरों के बीच एक सुई तक नहीं घुसाई जा सकती.

इन्का राजधानी का प्रहरी बना शाकसाहुआमान किला ऐसे पत्थरों से बना है, जो बहुआयामी हैं और हर पत्थर का वजन 300 टन से कम नहीं है. इन पत्थरों को घंटों घिसा गया, तब जा कर किनारे नोकदार से चिकने हुए हैं. ये काम किस कदर मेहनत वाला रहा होगा, कल्पना की जा सकती है.

इन्का सभ्यता ने जो कुछ भी सीखा, उसे उन सभ्यताओं से सीखा जो उन से काफी पहले यहां पर बसी थीं. यहीं पर 300 ईसवी में एक ऐसी सभ्यता ने जन्म लिया, जिस ने विशाल पिरामिडों का निर्माण किया. इन में से कुछ पिरामिड मिट्टी की 14 करोड़ ईंटों से बनाए गए हैं.

यहां पर चीनी मिट्टी से बने कई बरतन भी मिले हैं जो 1500 साल तक पुराने हैं. इन में से किसी पर भिखारी, किसी पर संभ्रांत व्यक्तियों तो किसी पर उन कैदियों के चित्र बने हैं, जिन की नाक काट दी गई थी. यहीं पर कुछ ही दूर स्थित है शहर तियाहुआनाको, जो कभी टिरिकाका झील के किनारे बसा था. समय था 600 से 1100 ईसवी. आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे शहर को समुद्र से 4300 मीटर की ऊंचाई पर बसाया गया. उस समय का सब से रईस और विशाल शहर था चिमौर. आज भी इस शहर के सुंदर अवशेष देखे जा सकते हैं.इन्काओं के पास अपनी कोई मुद्रा भी नहीं थी. व्यापार सिर्फ वस्तुओं के आदानप्रदान पर निर्भर था. सोने को सूरज का पसीना माना जाता था और इस का प्रयोग सिर्फ राजा ही करता था, वह भी धार्मिक अनुष्ठानों में.

पुरातत्त्ववेत्ता आज भी समझ नहीं पाते हैं कि इन्का सभ्यता में कला का कौशल कहां से आया. जब इस की पड़ताल की गई तो पता चला कि इस सभ्यता पर विश्व के कई स्थानों पर उभरी सभ्यता का प्रभाव पड़ा. कुछ बरतनों पर पूर्वी एशिया का प्रभाव स्पष्ट झलकता है.

अगर पेरू के लोग अटलांटिक महासागर के पार उभरी सभ्यताओं के संपर्क में थे तो ये लिखित भाषा और पहियों की पहचान रखते होंगे. ये भी समझ नहीं आता कि धुन निकालने वाली पाइपों से ये कैसे धुन निकालते थे. जैसी पाइप इन्का के पास थीं, ठीक वैसी ही पाइपें दक्षिण अमेरिका के अलावा अफ्रीका व अरब सभ्यताओं में भी मिलती हैं.

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इस जगह पर मिली नाज्का लाइंस भी बड़ा रहस्य है. पेरू के दक्षिणी इलाके में मिलने वाली इन रेखाओं को केवल हवाई जहाज से ही देखा जा सकता है. कुछ लाइनों को 1400 साल पहले बनाया गया था. इन की खोज 1939 में की जा सकी. यूएफओ यानी उड़नतश्तरियों को मानने वालों का कहना है कि ये लकीरें कभी उड़नतश्तरियों को धरती पर उतरने के लिए मार्गदर्शक का काम करती रही होंगी.

जहां तक इन्का सभ्यता के उद्भव की बात है तो वह खुद रहस्यों के घेरे में है. इन के सम्राटों का मानना था कि वे सूर्य की संतान हैं. इन्का बेहद मेहनती भी थे और अपने प्रयासों से इन्होंने विशाल साम्राज्य की स्थापना भी की. आम जनता में हर किसी को कोई विशेष काम दिया जाता था. फसल को मंदिर, राज्य व आमजन में बांटा जाता था.

राजा ही लोगों को बताता था कि कौन सी फसल बोई जाए, क्या पहना जाए. झूठ बोलना, आलस्य और परस्त्री पर नजर रखने की सजा मौत थी.

समाचार को कुछ लोग, जिन्हें चस्की कहते थे, दौड़दौड़ कर पूरे राज्य में फैलाते थे. आज भी इन्का सभ्यता पर शोध जारी है और नई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आती रहती हैं.

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