नई मंजिल से मुलाकात करने, सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगानी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां…

ख्वाजा मीर दर्द के इस शेर का हिंदी के महान लेखक राहुल सांकृत्यायन पर इतना गहरा असर पड़ा था कि उन्होंने ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ नाम की एक ऐसी किताब लिख डाली जिस में उन्होंने घुमक्कड़ प्रेमियों को घर से निकल कर अपनी मंजिल तक पहुंचने के सारे गुर समझा दिए थे.

आज के एडवैंचर ट्रिप को हम घुमक्कड़ी के दायरे में रख सकते हैं. ये ट्रिप कई तरह के हो सकते हैं, जैसे जंगल में ट्रैकिंग, माउंटेन क्लाइंबिंग, बाइकिंग, नदी में राफ्टिंग, समुद्र में सर्फिंग, बर्फ में स्कीइंग, रेत पर, ऊंट पर या जीप में सफारी और भी न जाने क्याक्या…

लेकिन आप किसी भी तरह के एडवैंचर ट्रिप पर क्यों न चले जाएं, वहां आप का साथी वह बैग होता है जिस में आप अपनी जरूरत का सामान रखते हैं. जरूरत का सामान क्यों कहा है, इस बात को भी अच्छे से समझ लेना चाहिए क्योंकि आप अपने हनीमून ट्रिप या किसी ऐसे फैमिली ट्रिप पर नहीं जा रहे हैं जहां जो मन में आया वह सामान अपने साथ लाद लिया. लेकिन बहुत से लोग ऐसी गलती कर देते हैं.

दिल्ली के रहने वाले वैटेरिनरी डाक्टर अरविंद गौतम को पहाड़ों पर जा कर ट्रैकिंग करने का नशा रहा है. वे समय मिलते ही हिमालय की बर्फ की चोटियों से रूबरू होने चल देते हैं.

बैग की अहमियत को ले कर उन्होंने अपना एक मजेदार किस्सा सुनाया कि जब कालेज के दिनों में वे एक गु्रप के साथ ऐसे ही एडवैंचर ट्रिप पर गए थे तो वहां कैंप तक पहुंचने का रास्ता ट्रैकिंग का था. सब के बैग अपनेअपने कंधे पर लदे थे, पर एक लड़के का बैग बहुत भारी था जिसे उस के दोस्तों ने थोड़ीथोड़ी दूर तक ढोया था. उन्होंने उस लड़के से पूछा भी था कि अगर कोई फालतू का सामान है तो उसे होटल में ही छोड़ दे, पर वह बोला कि सारा जरूरी सामान है.

शाम होतेहोते वे सब कैंप में पहुंचे तो उस लड़के ने अपने उस भारीभरकम बैग में से एक सिलवट पड़ा थ्रीपीस सूट निकाला और उसे पहन कर फोटो खिंचवाने लगा. यह देख कर बाकी लोगों को बहुत गुस्सा आया कि ट्रैकिंग कैंप में सूट का क्या काम.

डाक्टर अरविंद गौतम ने आगे बताया कि किसी भी एडवैंचर ट्रिप को खूबसूरती से अंजाम देने का सब से बढि़या तरीका पैदल चल कर ही उस जगह को देखना होता है.

चूंकि पहाड़ों में एडवैंचर ट्रिप अमूमन किसी बस्ती या गांव से भी दूर कैंप लगा कर किए जाते हैं इसलिए आप घर से ही यह मन बना कर चलें कि उस बस्ती या गांव तक तो आप यातायात के किसी भी साधन से पहुंच जाएंगे पर आगे के लिए आप को अपने पैरों पर ही चलना होगा और सामान भी खुद ही ढोना होगा. लेकिन यह भी जरूरी है कि आप को वहां के मौसम, खानपान और लोकल लोगों की भी थोड़ीबहुत जानकारी हो.

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बैग के बारे में डाक्टर अरविंद गौतम ने बताया-

सब से पहले तो आप का बैग मजबूत होना चाहिए. पिट्ठू बैग हो तो सब से अच्छा रहेगा. उस में सामान रखने के लिए कई सारी जेबें होनी चाहिए. इस से सामान ढूंढ़ने में आप का समय बरबाद नहीं होगा. अगर बैग में व्हील यानी पहिए लगे होंगे तो जरूरत पड़ने पर आप उसे समतल जमीन पर आसानी से ढकेल भी सकेंगे. एडवैंचर ट्रिप पर ऐसे बैग बहुत काम आते हैं.

एडवैंचर ट्रिप में लोग आमतौर पर ऐसी जगहों पर जाते हैं जहां मौसम का मिजाज बदलने में देर नहीं लगती, इसलिए बैग वाटरप्रूफ होना चाहिए. आप के बैग में मौसम के अनुकूल ही कपड़े होने चाहिए. अगर ठंड है और बारिश का मौसम भी है तो ऐसे कपड़े होने चाहिए जो आप को ठंड से तो बचाएं, साथ ही, वे भीगने पर जल्दी से सूख भी जाएं. कितने दिनों का ट्रिप है, इस लिहाज से ही कपड़े रखें. ऐसे कपड़े साथ रखें जिन से आप का शरीर पूरा ढक जाए. ऐसे कपड़े रात को मच्छरों के कहर से भी बचाते हैं.

कपड़े ऐसे हों जिन में ज्यादा से ज्यादा जेबें हों ताकि जरूरत का सारा सामान हमेशा आप के पास रहे. कपड़ों को बैग में भरते समय उन्हें पौलिथीन में रखें. नए कपड़े ले जाने से बचें. चटक रंग के कपड़े हों तो बहुत अच्छा रहता है.

बैल्ट भी मजबूत रखें. अपनी एक फोटो आइडैंटिटी भी बैग में रखें, ताकि बैग खोने पर मिलने वाले को पता चल सके कि बैग किस का है.

हलका सामान बैग में पहले रखें और भारी सामान उस के ऊपर रखें. इस से बैग को पीठ पर लादते समय बैलेंस बना रहेगा और भारी सामान नीचे की ओर नहीं जा पाएगा. बैग के स्ट्रैप बराबर रखें ताकि उठाते समय कंधों को बराबर बोझ महसूस हो.

धूप से बचने के लिए सनग्लासेज रखें और तेज किरणों से बचने के लिए सनस्क्रीन लोशन और टोपी भी आप के बैग में जरूर होनी चाहिए.

बड़े पिट्ठू बैग के अलावा आप के पास एक बैल्ट बैग भी होना चाहिए जिस में बहुत जरूरी सामान ही रखा जाए. मान लो आप का पिट्ठू बैग कहीं खो गया है तो आप एकदम से बेबस न हो जाएं. पैसों को 2-3 जगह रखें. प्लास्टिक मनी को बैल्ट बैग में रखें.

बैग में एक छोटा सी मैडिकल किट भी जरूर रखें जिस में बुखार, सिरदर्द, उलटी वगैरह से बचाव की दवाएं हों. कौटन, पट्टी, चोट लगने की दवा, बैंडेड भी जरूर होनी चाहिए. चाकू, सूईधागा, फैवीक्विक जैसी चीजें भी बैग में होनी चाहिए. आग जलाने के लिए लाइटर भी साथ रखें.

जूते स्लीपरी यानी फिसलने वाले नहीं होने चाहिए. उन का सोल मजबूत हो और वे पहनने में आरामदायक भी हों.

खाने की कुछ ऐसी चीजें जैसे पैक्ड नूडल्स, पोहा बैग में जरूर रखें. वे बनाने में आसान रहते हैं. वैसे तो ऐसी जगहों पर फ्रैश चीजों को ही खाना चाहिए. चावल के साथ दाल खानी हो तो जल्दी गलने वाली दालें ही ले जाएं. आलू का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये सब सामान वहां के कसबे या शहर की दुकान से पहले ही खरीद लें.

पानी की कम से कम 2 बोतलें जरूर रखें. उन्हें बैग के साइड की जेब में रखें. टूथब्रश, साबुन, रेजर भी ले जाएं. लड़कियों को अपने सैनेटरी पैड्स साथ जरूर ले जाने चाहिए.

अच्छी क्वालिटी की बैटरी वाला कैमरा जरूर रखें. मोबाइल फोन से फोटो खींचने हों तो अपना चार्जर ले जाएं. पर कई जगह बिजली नहीं होती तो चार्जर भी काम के नहीं रहते हैं.

जहां भी मौका मिले अपने घरवालों को अपनी जानकारी जरूर दें. अपने किसी खास का फोन नंबर अपने बैल्ट बैग और पिट्ठू बैग में जरूर रखें.

इसी तरह भारतीय अल्ट्रा रनर निश्चिंत कटोच, जिन्होंने थोड़े समय पहले ही लद्दाख के विपरीत हालात में 222  किलोमीटर की लंबी दौड़ में हिस्सा ले कर भारतीय धावकों में पहला स्थान हासिल किया था, ने बताया कि अगर आप किसी एडवैंचर ट्रिप पर हैं और वहां रात को आग का इंतजाम नहीं है तो आप के पास रोशनी के लिए ऐक्स्ट्रा बैटरी के साथ फ्लैशलाइट होनी चाहिए. आप के बैग में नैपकिन और शैंपू के छोटे पैकेट भी जरूर होने चाहिए. बारिश से बचने के लिए रेनप्रूफ जैकेट भी ले जाएं. हो सके तो स्लीपिंग बैग भी रखें.

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