आप अपने खतों के जवाब खुद ही लिखते हैं न? और घर-दफ्तर के ई-मेल्स. पक्का आप ही लिखते होंगे. दोस्तों से चैट करते वक्त भी खुद ही बातें कहते होंगे आप! है न? कई बार अपने लिखे खत में ही बाद में कमी महसूस हुई होगी. या फिर जो ई-मेल आपने भेजा, उसके बारे में आपने सोचा होगा कि कुछ कसर रह गई.

काश! कोई बता पाता कि इसे और बेहतर कैसे बनाया जा सकता था. करीबी दोस्तों से बातचीत में भी कई बार तनातनी हो जाती है. जिसके बाद लोग सोचते हैं कि काश! अपनी बात को वो और बेहतर ढंग से रख पाते तो ये बेवजह का तनाव न होता, रिश्तों में.

अगर हम आपको कहें कि इस काम में आपकी मदद के लिए ऐप बनाए जा रहे हैं, तो शायद आप यकीन न करें. मगर है ये पूरी तरह सच्ची बात. चिट्ठी लिखने में, ई-मेल लिखने में, सोशल साइट्स पर बात करने में खुद को कमतर पाने वाले लोगों को ये जानकर खुशी होगी, कि ऐसे ऐप बनाने की कोशिशें हो रही हैं जो आपकी तरफ से जवाबी ई-मेल लिखेगा.

आपके लिखे ई-मेल को बेहतर बनाने की सलाह देगा. अपनी गर्लफ्रैंड या ब्वॉयफ्रैंड से चैट करने में भी आपकी मदद करेगा.

तो क्या आप ऐसे किसी ऐप की मदद से मेल लिखना पसंद करेंगे? क्या आप किसी ऐप को ये हक देंगे कि वो आपको ये बताए कि किस दोस्त से ताल्लुक बेहतर करने की जरूरत है और किससे दूरी बनाने की? या फिर जब आप डेट पर जाएं तो ये ऐप बताए कि आप क्या बातें करें?

इमोशनल लेबर

इन्हीं सवालों के जवाब तलाशते हुए जोआन मैक्नील ने जी-मेल के साथ एक प्लगइन फीचर डेवलप कर डाला. इसका नाम है 'इमोशनल लेबर'. ये आपकी मेल चेक करता है. इसके बाद ये आपकी मेल को अपने तरीके से हेर-फेर करके, बेहतर बनाने की कोशिश करता है.

मैक्नील ने जब 'इमोशनल लेबर' ऑनलाइन बाजार में पेश किया, तो लोगों ने इसमें जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई. वो कहती हैं कि उन्हें खुद के बारे में ही लगता था कि दोस्तों को और दफ्तर के साथियों को मेल लिखने का काम उन्हें नहीं आता.

लेकिन जिस तरह लोगों ने 'इमोशनल लेबर' को हाथो-हाथ लिया, उससे पता चला कि दुनिया में बहुत से लोगों को ऐसे ऐप की जरूरत है, जो उन्हें ई-खत लिखना सिखाए. जैसे कि किसी बीमार साथी को ई-मेल लिखा जाए तो उसमें हमदर्दी का भाव साफ झलके.

मैक्नील कहती हैं कि हमदर्दी जताने के लिए गिने चुने लफ्ज ही हैं. ऐसे में 'इमोशनल लेबर' में लोगों की जबरदस्त दिलचस्पी थी. हालांकि वो मानती हैं कि अब लोग ऐसे ऐप के लिए तैयार हैं जो उनकी निजी बातचीत में दखल दे, उनकी मदद करे. ताकि वो सामने वाले से बेहतर ढंग से पेश आएं.

स्मार्टफोन के लिए 'क्राउडपायलट' नाम से एक ऐप बनाया है

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर लॉरेन मैकार्थी भी जोआन मैक्नील की ही तरह ऐसे ऐप को डेवलप कर रही हैं. उन्होंने स्मार्टफोन के लिए 'क्राउडपायलट' नाम से एक ऐप बनाया है, जो सिर्फ तजुर्बा करने के इरादे से बाजार में उतारा गया था.

'क्राउडपायलट' ऐप आपको किसी डेट पर जाने में मदद कर सकता है. डेट के दौरान क्या बात कहनी है और क्या नहीं कहनी, ये भी इस ऐप की मदद से जाना जा सकता है. असल में जब आप डेट पर गए होते हैं तो इस ऐप के जरिए कुछ लोग आपकी और आपके साथी की बातें सुन रहे होते हैं.

फिर वो इसी ऐप के जरिए आपको बताते हैं कि आपका बर्ताव कैसा है और आपको आगे क्या कहना और करना चाहिए. इस ऐप से आपके दोस्त भी जुड़े होते हैं और साथ ही कुछ ऐसे लोग भी जो आप से पूरी तरह अनजान होते हैं.

मैकार्थी कहती हैं कि तकनीक ने इंसान की जिंदगी को कई मायनों में बेहतर बनाया है. तो संवाद के मोर्चे पर ही उसका इस्तेमाल क्यों न किया जाए.

''यूएस प्लस'' नाम का ऐप भी बनाया है

मैकार्थी ने अपनी दोस्त काइल मैक्डोनाल्ड के साथ मिलकर ''यूएस प्लस'' नाम का ऐप भी बनाया है. ये वीडियो चैटिंग के दौरान आपकी मदद करता है. वो सामने वाले का चेहरा पढ़कर बताता है कि जिससे आप बात कर रहे हैं वो खुश है या दुखी.

ये ऐप आपकी बातचीत सुनकर आपको बताता है कि आप सही तरीके से बात कर रहे हैं या उसमें सुधार की जरूरत है. कहीं आप कुछ ज्यादा जोश में तो नहीं हैं. या फिर, कहीं आपकी बातों से बोरियत तो नहीं झलक रही है. अगर सामने वाला मुसीबत में है तो आप उससे सही तरीके से हमदर्दी जता पा रहे हैं या नहीं.

मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने एक वीडियो के जरिए इस ऐप के इस्तेमाल का तरीका बताया है. वो बताती हैं कि उनके ऐप को लेकर लोगों ने जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई है.

पीपलकेपीआर

मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने मिलकर एक और ऐप तैयार किया है. इसका नाम ''पीपलकेपीआर'' है. ये आपके स्मार्टफोन के जीपीएस डेटा और आपकी कलाई में बंधे वियरेबल, जैसे एपल वाच की मदद से आपके ताल्लुकात बेहतर करने में मदद करता है.

ये ऐप बताता है कि किस दोस्त से आपको अपने संबंध और बेहतर बनाने चाहिए.

ये आपके दोस्तों के बारे में सलाह देता है. ये ऐप बताता है कि किस दोस्त से आपको अपने संबंध और बेहतर बनाने चाहिए और किससे दूर ही रहें तो अच्छा. ऐसे लोगों के नंबर और ई-मेल आईडी भी ये ऐप आपके फोन से हटा देगा, जो आपको बोर करते हैं या गुस्सा दिलाते हैं.

जब मैकार्थी और मैक्डोनाल्ड ने ये ऐप ऑनलाइन उतारा तो जबरदस्त बहस छिड़ गई. कई लोगों ने इसे तकनीक का इंसान की जिंदगी में कुछ ज्यादा ही दखल बताया. तो कई लोगों को ये ऐप बहुत पसंद आया. कई कंपनियों ने इस ऐप को और बेहतर बनाने और बाजार में उतारने के लिए पैसा लगाने की बात भी कही.

वहीं युवा पीढ़ी को नई तकनीक, नए ऐप्स आजमाने में कोई हिचक नहीं आई. वो ऐसे ऐप्स इस्तेमाल करने को तैयार हैं जो ई-मेल लिखने में, डेट पर बतियाने में, दोस्तों से रिश्ते सुधारने में मदद कर सकें. इस तरह के कुछ ऐप बाजार में आ चुके हैं. जैसे- 'क्रिस्टलनोज'.

ये ऐप आपके लिंक्डइन अकाउंट को बेहतर बनाने के नुस्खे बताता है. और कारोबारी साथियों से रिश्ते बेहतर करने के तरीके भी बताता है. लेकिन मैक्नील कहती हैं कि उन्होंने किसी को भी नियमित रूप से 'क्रिस्टलनोज' ऐप इस्तेमाल करते नहीं देखा.

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