आधुनिक जीवनशैली, व्यस्त जिंदगी और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है और हमारे शरीर में टौक्सिन की मौजूदगी को बढ़ा दिया है.. आज के समय में हर कोई हैल्दी रहना चाहता है. वैसे नैक्स्ट जैनरेशन के बीच हैल्दी रहने के लिए डिटॉक्सिफिकेशन एक हौट ट्रीटमैंट है. शरीर को सेहतमंद रखने के लिए डाइट कंट्रोल, पर्याप्त पानी, आराम और शुद्ध हवा आवश्यक है. इस में फिजिकल मैंटल और इमोशनल फैक्टर काम करते हैं और इस के लिए जरूरी है डिटॉक्सिफिकेशन. यानी शरीर को चुस्तदुरुस्त और तरोताजा रखने की प्रक्रिया.

कुछ लक्षण हैं जिन पर नजर रख कर आप पहचान सकते हैं कि आप को डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत है, लेकिन इस से पहले जानें कि डिटॉक्सिफिकेशन है क्या?

इस बारे में बता रही हैं. फोर्टिस ग्रुप औफ हौस्पिटल, नई दिल्ली में वैलनैस एंड न्यूट्रीशियन कंसलटैंट डा. सिमरन सैनी.

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डिटॉक्सिफिकेशन है क्या

डिटॉक्सिफिकेशन आप को बीमारियों से बचाता है, यह शरीर के आंतरिक तंत्र को भोजन में मौजूद विषैले और दूसरे हानिकारक रसायनों से मुक्त करता है और आप के स्वास्थ्य को बनाए रखने की क्षमता को पुर्नजीवित करता है साथ ही बौडी के हीलिंग सिस्टम को बेहतर बनाता है.

डिटॉक्सिफिकेशन के लक्षण

  • पाचन तंत्र संबंधी समस्या
  • जब सिरदर्द, बदन दर्द, थकान और कमजोरी महसूस हो.
  • हार्मोन संबंधी (मूड स्विंग)
  • किसी काम में ध्यान न लगना
  • वजन नियंत्रण में समस्या होना

यह कब होता है

जब अनहेल्दी डाइट, कब्ज, तनाव, दूषित पानी पीने, वातावरण में मौजूद विषैले तत्त्व श्वास के साथ शरीर में पहुंचने और चायकौफी या अल्कोहल का अधिक सेवन करने से शरीर में विषाक्त तत्त्वों का स्तर बढ़ने लगता है. ऐसे में शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन यानी विषय दूर करना जरूरी होता है. शरीर में विषाक्त तत्त्वों का स्तर बढ़ने से शारीरिक तंत्र गड़बड़ाने लगता है. ऐसी स्थिति में डिटॉक्सिफिकेशन रक्त के शुद्धिकरण और अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से जारी करता है.

कब करें डिटॉक्स

अगर आप के शरीर में कोलेस्ट्रौल की मात्रा अधिक है, डायबिटीज या ब्लडप्रैशर है तो हर 2 महीने में डिटॉक्स करें. अगर आप डिप्रैशन में जी रहे हैं तो 15 दिन में एक बार डिटॉक्स जरूर करें.

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डिटॉक्स करने पर यह न खाएं

ऐसे खाद्य पदार्थ जिन में प्रिजर्वेटिव हो, चीनी और वसा युक्त जंक फूड का सेवन न करें, स्मोकिंग और शराब न पीएं. लंबे समय तक डिटॉक्स डाइट पर न रहें. क्योंकि इस के शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है. इस से डीहाइड्रेशन भी हो सकता है.

डिटॉक्सिफिकेशन का कार्य

यह किडनी, आंत और त्वचा से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है, रक्त संचार को शुद्ध करता है, शरीर को स्वस्थ पोषक तत्त्वों से दोबारा भर देता है. शरीर के टौक्सिन बाहर निकालने के लिए लीवर को प्रोत्साहित करता है. उपवास के दौरान शरीर के अंगों को आराम पहुंचाता है.

डिटॉक्सिफिकेशन के फायदे

  • त्वचा की रंगत में निखार, बेहतर तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र में सुधार, शारीरिक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी, मैटाबोलिज्म के फंक्शन में सुधार, शरीर के खराब और शिथिल पड़े हुए अंगों को रिकवर कर के मजबूत करता है.
  • इस सफाई प्रक्रिया के बाद शरीर के सारे अंग ठीक से काम करने लगते हैं.
  • डिटॉक्सिफिकेशन स्टेमिना को बढ़ाने का बेहतरीन तरीका है. इस से आप लाइट फ्री और स्वस्थ महसूस करेंगे.
  • डिटॉक्सिफिकेशन के दौरान सब से ज्यादा प्रभाव पाचनतंत्र पर पड़ता है, क्योंकि इसे आराम करने का पूरा समय मिलता है.
  • इस से शरीर की बाहरी त्वचा से ले कर हार्ट, लीवर, गुर्दा के साथ शरीर के सभी अंगों और शरीर के सारे अंग ठीक से काम करते हैं.
  • इस तरह शरीर के सभी रोगों के जो होने की संभावना होती है वो दूर होती है और हम सुखी और स्वस्थ रह सकते हैं.

डिटॉक्स डाइट

डा. सिमरन सैनी बता रही हैं ऐसी डिटॉक्स डाइट जिस से बौडी से विषाक्त तत्त्व दूर हो सके.

  1. सब से पहले आप 3-5 दिन की फूड डायरी बनाएं और उस में नोट करें कि आप ने दिन भर में क्याक्या खाया है और क्या खाना है.
  2. कुछ दिनों के लिए अपनी डाइट में से वो चीजें हटाएं जो आप खाते हैं जैसेः चाय, कौफी, बिस्कुट, नमकीन आदि.
  3. सफेद रंग की 3 चीजों को अपनी डाइट में से कम कर दें. चीनी, नमक और मैदा.
  4. आप फाइबरयुक्त खाना खाएं, ऐसी डाइट जो आसानी से पच सके जैसे फल, जूस, सब्जियां, हर्बल चाय, शुद्ध कार्बोहाइ्रेट्स तथा स्वास्थ्यवर्धक फैट्स का सेवन करें. जिस से शरीर का मैटाबोलिज्म तथा वजन नियंत्रित रहे. अत्यधिक शुगर युक्त भोजन से बचें.
  5. शरीर की कोशिकाओं और अंगों को सुचारू रूप से काम करने के लिए पर्याप्त पानी पीएं. यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है. साथ ही पाचनतंत्र को मजबूत करता है.
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