तेज धूप किसान की हर दिन मुसीबत बन रही थी. उस की फसल झुलस रही थी. वह बाजार जाता तो ज्यादा भाव सुन कर ही लौट आता. संगीसाथी भी कुछ अच्छी सलाह नहीं दे पाए. पर कुछ बुजुर्ग किसानों ने अपने तजुरबे साझा किए. उस के दिमाग ने भी काम करना बंद सा कर दिया. झुलसती फसल देख वह कुछ कर नहीं पा रहा था. आखिर उस किसान ने फसल को बरबाद होने से बचाने की तरकीब सोची जो कामयाब भी रही.

यह मामला कर्नाटक के हुबली कसबे का है. वहां के एक किसान वेंकटेश बी. को अपनी अनार की फसल को धूप से बचाने का यही कारगर उपाय सूझा और अपने खेत में अपनाया. तरीका था खेत को धूप से बचाने के लिए रंगीन साड़ियों से ढकना. रंगबिरंगी साड़ियों को देख आसपास के लोग भी वहां आ कर सैल्फी लेने लगे. यही सैल्फी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई और समूचे इलाके में हैरानी का विषय बन गई.
यहां तक कि कर्नाटक में मुंदरगी और गडग इलाके के बीच सफर करने वालों के लिए अनार का यह खेत सैल्फी पौइंट बन गया. लोग यहां रुक कर सैल्फी क्लिक कर रहे हैं और दूसरे लोगों को ह्वाट्सएप व फेसबुक के जरीए शेयर कर रहे हैं.

दरअसल, किसान वेंकटेश बी. ने तेज धूप से अपनी फसल को बचाने के लिए उसे रंगबिरंगी साड़ियों से ढक दिया. इस से उन का रंगबिरंगा खेत लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हो गया है. किसान वेंकटेश बी. ने अपने 10 एकड़ खेत में अनार की खेती की है. इस जमीन को उन्होंने 10 साल के लिए लीज पर लिया हुआ है.

2 बोरवैल की मदद से उन्होंने ड्रिप सिंचाई कर के 10 एकड़ में यह फसल उगाई है. अब जब तापमान ज्यादा हो गया है तो अपनी फसल को बचाने के लिए उन्होंने हर पौधे को साड़ी से और हर फल को अखबार से ढक दिया है. साड़ी व अखबार के अंदर पौधे अच्छी तरह फलफूल रहे हैं.

वेंकटेश बी. ने बताया ”मैं ने अनार के 4,500 पौधे उगाए हैं. बाजार में फसल को ढकने वाला क्लौथ नैट काफी महंगा था और एक क्लौथ नैट से महज 30-40 पौधों को ही ढका जा सकता था जबकि मेरी 10 एकड़ की फसल को ढकने के लिए क्लौथ नैट खरीदने में मुझे तकरीबन सवा लाख रुपए से ज्यादा ही खर्च करने पड़ते.

”क्लौथ नैट केवल एक फसल के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है और मैं उन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकता था. दूसरे किसानों से बात कर के मैं ने अपने पौधों को साड़ी से ढकने का फैसला किया. इस के बाद उन्होंने पुरानी साड़ियां खरीदीं. एक साड़ी के लिए महज 16 रुपए खर्च किए और कुल 4,500 साडिय़ां खरीदीं.

”मैं ने हर पौधे को ठीक तरीके से कवर करने के लिए हर साड़ी की सिलाई की वहीं फलों को बचाने के लिए उन्हें अखबार से ढका.”

इस तरह किसान वेंकटेश बी. का सपना साकार हो गया. आज वे काफी खुश हैं. उन्होंने कड़ी मेहनत करने के बाद 10-12 लाख की लागत लगा कर 10 एकड़ में यह फसल उगाई है, जिस से उन्हें 55,000 से 60,000 प्रति टन कमाई की उम्मीद है.

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