वैसे तो अंपायर अपने अलग-अलग अंदाज़ के लिए जाने जाते है. इंग्लैंड के अंपायर डेविड शेफर्ड नेल्सन नंबर पर कूदने की वजह से काफी लोकप्रिय थे. वेस्टइंडीज के अंपायर स्टीव बकनर निर्णय देने से पहले समय लेने के लिए जाने जाते थे. लेकिन स्टाइल के मामले में अगर किसी अंपायर ने क्रिकेट प्रेमियों का सबसे ज्यादा दिल जीता है तो वह हैं न्यूज़ीलैंड के अंपायर बिली बॉडन. बिली बॉडन अपनी खास अंपायरिंग शैली के लिए मशहूर हैं.

बिली की निर्णय देने की शैली ने क्रिकेट प्रेमियों के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया. अलग अंदाज के कारण दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय अंपायर बिली बॉडन को न्यूजीलैंड क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय पैनल से हटा दिया गया है. लेकिन न्यूज़ीलैंड के घरेलू मैचों में वह अंपायरिंग करते रहेंगे. बॉडन का चौके, छक्के और आउट होने जैसे क्रिकेट के फैसलों को देने का अंदाज दूसरे अंपायरों से जुदा था.

क्रिकेटर बनने की थी ख्‍वाहिश

दरअसल बिली बॉडन तेज गेंदबाज़ बनना चाहते थे लेकिन 21 साल की उम्र में रुमेटी (गठिया) बीमारी के वजह से उनके क्रिकेटर बनने का सपना खत्म हो गया. इतनी कम उम्र में इस बीमारी की वजह से बिली काफी निराश थे. उनको लग रहा था कि ज़िंदगी उनका इम्तिहान ले रही है. उनके साथ नाइंसाफी हो रही है. लेकिन बिली हार मानने वाले नहीं थे.

जब बिली बॉडन यह सोच रहे थे कि क्रिकेट और उनका रिश्ता खत्म होने जा रहा है तब किस्मत ने उनके सामने एक नया रास्ता खोल दिया था और वह था अंपायरिंग. क्रिकेटर तो नहीं बन पाए लेकिन अंपायर बनते हुए मैदान के अंदर क्रिकेटरों के मास्टर बन गए.

बीमारी ने बिली को बनाया लोकप्रिय

बिली को जब पता चला कि वह रुमेटी की बीमारी से पीड़ित हैं तो वह शर्मिंदा महसूस करने लगे. पहले इस बीमारी के बारे में वह किसी को नहीं बता रहे थे लेकिन धीरे धीरे वह समाज का सामना करने सीखे. क्रिकेट छोड़कर अंपायरिंग में अपना करियर शुरू किया.

2009 में न्यूज़ीलैंड के प्रसिद्ध अखबार को इंटरव्यू देते हुए बिली ने बताया था कि यह बीमारी उन के लिए सही साबित हुई. अगर वह इस बीमारी से पीड़ित नहीं होते और क्रिकेट खेल रहे होते तो हो सकता हैं कि आज वह इतना लोकप्रिय नहीं होते. बिली का कहना था कि इस बीमारी की वजह से पूरी दुनिया आज उनको जानती है.

बीमारी के वजह से नहीं कर पाते अंगुली सीधा

इस बीमारी के वजह से बिली बॉडन अपनी अंगुली सीधा नहीं कर पाते और टेढ़ी अंगुली में उनको आउट, छक्का या चौका का निर्णय देना पड़ता है. लेकिन इस अंदाज के कारण वह क्रिकेट प्रेमियों के बीच काफी मशहूर हैं.

1995 में अपने अंपायरिंग करियर की शुरुआत करने वाले बिली बॉडन अभी तक 200 एक दिवसीय और 84 टेस्ट मैच में अंपायरिंग कर चुके हैं. 2005 में न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टी-20 मैच के दौरान बिली बॉडन ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ ग्लेन मैग्राथ को रेड कार्ड दिखाया था. उसकी वजह से वह काफी चर्चा में रहे थे.

उन्हें 2013 में आईसीसी की एलीट पैनल से हटाया गया था लेकिन उन्होंने 2014 में वापसी की. उन्हें फिर मई 2015 में बारबाडोस में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट में अंपायरिंग के बाद हटा दिया गया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...