आज जब न्यूक्लियर फैमिली का दौर है और उसमें भी पतिपत्नी कामकाजी रिवाज में घर छोड़ने पर मजबूर हैं, तब बच्चों को कौन संभाले यह सवाल दिनोंदिन बड़ा होता जा रहा है. इतना बड़ा कि पतिपत्नी के बीच टकराव और अलगाव के हालत भी पैदा कर रहा है. इसके अलावा बच्चों की सुरक्षा भी बड़ा मसला है. उन्हें सुरक्षित माहौल देते हुए खेलकूद के लिए बाहर ले जाना. ग्रुप में शामिल करना, डेकेयर या किसी करीबी की देखरेख में छोड़ना जैसे काम भी करने पड़ते हैं. लेकिन हर मांबाप चाहते हैं कि वे कहीं भी हो पर उन पर नजर रख सकें, उनकी लोकेशन ट्रैक कर सकें. यहां कुछ ऐप्स आती हैं जो स्मार्ट पैरेंटिंग का दावा करने के साथ अपनी ऐप्स की तकनीकी दक्षता के बल पर बच्चों की सुरक्षा का वादा करती हैं. यह सही है कि आप बच्चों की फोन गतिविधि की निगरानी कर उनके लोकेशन, ट्रैक भी कर सकते हैं.
लेकिन क्या ऐप्स इतने कारगर हैं, लेट्स फाइंड आउट..
स्टडी मोनिटर- इसे छात्र, माता-पिता और शिक्षकों द्वारा अपने अपने फोन्स में डाउनलोड किया जा सकता है. प्लस पौइंट यह है कि इसे छात्र की उपस्थिति को ट्रैक करने और उनकी निगरानी करने के लिए किया जाता है ताकि वे छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें. ऐसी सिंपल ऐक्टिविटीज़ होती हैं, जो रोजाना के अनुभवों में काम आनेवाले मैथ्स और शैक्षिक स्किल को बढ़ाती हैं. चूंकि ऐप विज़ुअलाइजेशन के माध्यम से सीखने के काम भी आती है लिहाजा यह पढने-लिखने के विकल्प भी देती है. बशर्ते सतर्कता से इस के फीचर्स इस्तेमाल किये जाएं.
केसपरस्काई सेफ किड्स- अगर आपको लगता है कि बच्चे स्मार्टफोन की वजह से भटक रहे हैं तो केसपरस्काई ऑल-इन-वन ट्रैकिंग और कंट्रोल डिवाइस प्रोवाइड करती है. आप बच्चों के फोन पर ऐप इंस्टॉल करें. इसके बाद जिन ऐप्स और वेबसाइट को उनके लिए एक्सेस बंद करना चाहते हैं, कर सकते हैं. वो भी टाइम ड्यूरेशन के साथ. इतना ही नहीं अगर आपका शरारती बच्चा प्रतिबंधित या क्रॉस डिवाइस उपयोग सीमा तक पहुंचने का प्रयास करता है, तो आपको अलर्ट मिल जाएगा. लेकिन इसके लिए आपको $ 16.99 वार्षिक सदस्यता यानी 10 हजार के आसपास खर्चने होंगे. इसमें लोकेशन ट्रैकिंग, कॉल और एसएमएस लॉग, आपके ईमेल और फोन पर अलर्ट, और इंटरनेट उपयोग आदि शामिल है.
वीडिओ मोंस्टर- यह ऐप आपको उन वीडियो की एक सूची बनाने की अनुमति देता है जो आपके बच्चों के लिए सुरक्षित या शिक्षा से संबंधित हैं. इस तरह माता-पिता अपने बच्चों द्वारा अश्लील, हिंसक वीडियो देखने में समय बर्बाद करने से रोक सकते हैं. ऐप में वीडियो से जुड़ी ऐसी सेटिंग्स हैं जो हर आयु वर्ग के बच्चों के लिए ही फिल्टर मुहैया कराती है.
अलार्म डाट कौम- यह इप्स बच्चों को गहर में सेफ एनवायरमेंट देने का दावा करती है. हालांकि इस तरह का दावा करने वाली कई ईपीएस हैं पर इसकी खासियत यह है कि ऐप के माध्यम से, आप अपने सभी स्मार्ट डिवाइस से कनेक्ट कर कहीं पर बैठे हुए घर के विजुल्स देख सकते हैं. बिलकुल लाइव फीड के साथ.
आई रिवार्ड चार्ट- यह थोड़ी अलहदा एप है. इसे केवल माता-पिता के लिए बनाया गया है. इसमें पैरेंट्स बच्चों के लिए एक टेबल बना सकते हैं जिसमें वे बच्चों के होमवर्क करने के बाद सप्ताह के अंत में उनकी स्टडी परफोर्मेंस देखकर 2 घंटे के लिए टीवी देखने, 1 घंटे के लिए आउटडोर खेलने जैसे रिवार्ड दे सकते हैं. इस से उनको प्रोत्साहन मिलता है और आप को उनका प्यार.
ट्रू मोशन फैमिली सेफ ड्राविंग- इस एप की जरूरत उन्हें पड़ती हैं जिनके बच्चे ड्राइविंग को लेकर लापरवाह होते हैं. बच्चों की गैर जिम्मेदार ड्राइविंग को ट्रूमोशन की मदद से ट्रैक कर सकते हैं. इसे बच्चे के फोन पर इंस्टाल करें और यह औटोमेटिक आपके बच्चे की सभी ड्राइविंग आदतों को ट्रैक करेगा और उनके सभी को रेट भी करेगा. रियलटाइम लोकेशन के साथ आप आप सही और गलत ट्रैक का औप्शन भी देख सकते हैं. ओवर स्पीड, अचानक ब्रेक, ड्राविंग के बीच फोन का उपयोग जैसी एक्टिविटीज के सारे डाटा रिकौर्ड करती है यह ऐप्स. पैरेंट्स अपने बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट, लोकेशन, यहां तक कि ड्राइविंग के समय उनकी कितनी स्पीड थी, यह मौनिटर कर सकते हैं. हालांकि तकनीके तौर पर यह थोड़ी जटिल है लेकिन एक बार समझ गये तो इस्तमाल में आसान हो जाती है.
लाइफ 360 फैमिली लोकेटर- इसे जरिए भी बच्चे की लोकेशन ट्रैक करने के अलावा पूरे परिवार को एक प्लेटफोर्म पर जोड़ा जा सकता है. यह उनके रियम टाइम लोकेशन का रिकार्ड भी रखती है. इसमें चैट का औप्शन भी है. कुछ फीचर तो फ्री हैं लेकिन सारे औप्शन का लाभ लेने के लिए प्रीमियम वर्जन लेना पड़ता है और उसके लिए 50 डौलर खर्चने पड़ते हैं. इसमें इमरजेंसी में हेल्प मांगने का फीचर प्रभावी है.
फैमिली ट्रैकर- यह भी लाइफ 360 फैमिली लोकेटर की तर्ज पर काम करती है और दोनों में बिल्ट-इन मैसेजिंग सिस्टम लगा हुआ है जो टेक्स्ट मैसेजिंग से अलग है, ये आपको अपनी फैमली से कनेक्ट रखता है.
कितने कारगर है ये ऐप्स ?
इन सभी ऐप्स के साथ अच्छी बात यह है कि ये जो दावे करती हैं वो पूरा करती हैं लेकिन अमेरिका के पैरेंट्स तो इन ऐप्स को इफरात में यूज करते हैं पर इंडियन पैरेट्स को इनका इस्तेमाल पेंचीदा लगेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें इंस्टाल करने से लेकर इन्हें प्रीमियम पैक के भुगतान तक कई तकनीकी स्टेप्स से गुजरना पड़ता और यह काफी उलझन भरा लग सकता है इंडियन पैरेंट्स को. और केसपरस्काई सेफ किड्स लाइफ 360 फैमिली लोकेटर को छोड़कर बाकी के लिए एब ढीली करनी पड़ती है. दूसरा अडंगा यह भी है कि इन सारी ऐप्स के लिए घर में पैरेंट्स के साथ साथ बच्चों के पास भी इस तरह के ऐप्स को सपोर्ट करने वाली स्मार्ट डिवाइस विद इंटरनेट कनेक्शन के होना चाहिए. और यह हर पैरेंट्स के साथ मुनासिब नहीं है. तीसरी रुकावट यह भी है बच्चे इन ऐप्स की सेक्योरिटी सेटिंग्स में जाकर छेड़छाड़ कर सकते हैं जिसका पता कई बार पैरेंट्स नहीं लगा पाते. ये ऐप्स समय समय पर अपडेट्स भी मागती हैं. इस लिहाज से यह कारगर तो हैं लेकिन उतनी नहीं जितनी प्रचारित की जाती हैं.
आजकल के बच्चे बहुत स्मार्ट हैं. उन्हें सिर्फ इन ऐप्स के जरिये नहीं संभाला जा सकता है. एक तरफ हम बच्चों को तकनीक की लत से दूर रखना चाहते हैं वहीँ दूसरी और तकनीकी ऐप्स की मदद से उन्हें ग्रो करना चाहते हैं. यह एक दुविधाजनक हालत है. ऐसे में आप इन ऐप्स के भरोसे न बैठे बल्कि उनकी स्मार्टनेस को शार्प करने के लिए खुद कुछ समय निकालें. अपना व्यवहार वैसा रखें जिसे सीखकर बच्चे भी सजग और सौम्य बनें. वे पैरेंट्स को जैसा करते देखते हैं, वे भी वैसा ही करते हैं. यदि पैरेंट्स टेक्नो एडिक्ट होंगे, तो बच्चे भी टेक्नो एडिक्ट ही बनेंगे उन्हें किताबो और पत्रिकाओं से जोडें. जहां वे अपने समय का सदुपयोग करना भी सीखें और तार्किक जानकारी भी हासिल कर अपना भविष्य सुरक्षित करें.