उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान की एक चुनावी सभा में मतदाताओं को हनुमान की जाति की जानकारी दी तो तूफान सा उठ खड़ा हुआ. जातियों के संगठन कानूनी नोटिस भेज कर माफी की मांग कर रहे हैं. योगी पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला भी दर्ज कराया गया है. विपक्ष उन पर हमलावर हो रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अलवर जिले के मलपुरा की एक जनसभा में कहा था, ‘‘बजरंगबली हनुमान एक ऐसे लोक देवता हैं जो खुद दलित हैं, वंचित हैं, वनवासी हैं. भारतीय समुदाय को उत्तर से ले कर दक्षिण तक और पूर्व से ले कर पश्चिम तक सब को जोड़ने का काम बजरंगबली करते हैं इसलिए बजरंगबली जैसा संकल्प होना चाहिए. हमारा संकल्प होना चाहिए कि जब तक राम का काज नहीं होगा, राष्ट्र का कार्य नहीं होगा तब तक विश्राम नहीं लेंगे.’’
उन के इस बयान की मीडिया में खूब आलोचना हो रही है. मीडिया में उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है. राजस्थान सर्व ब्राह्मण महासभा ने योगी को कानूनी नोटिस भेज कर 3 दिन में माफी की मांग की है. संगठन के प्रमुख सुरेश मिश्रा ने नोटिस में कहा है कि योगी आदित्यनाथ ने कई श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. उन पर वोटों के लिए हनुमान की जाति को बीच में लाने का आरोप लगाया गया है.
योगी पर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में भी मामला दायर कराया गया है. त्रिलोकचंद्र दिवाकर नामक व्यक्ति ने उन पर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है.
उत्तरप्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और प्रदेश एससी, एसटी अध्यक्ष बलवंत प्रसाद चौधरी कहते हैं कि अगर हनुमान एससी हैं तो योगी को भाजपा के सहयोगी संगठन बजरंग दल का एससी, एसएटी संगठन में विलय कर देना चाहिए.
असल में योगी आदित्यनाथ ने गलत कहां कहा. वह ठीक ही तो कह रहे हैं कि राम के परमभक्त सेवक हनुमान दलित, वंचित जाति के थे. यानी वह सेवक थे, दास थे और वर्णव्यवस्था के अनुसार ऊंची जातियों की सेवा करने वाली शूद्र सेवक, दास जातियों का कर्तव्य अपने मालिक की सेवा करना है.
दरअसल पौराणिक नायकों के जो सेवक, दास थे, उन्हें पिछड़ी जातियों के देवता बना कर उन की पूजापाठ में निचली वंचित जातियों को झोंक दिया गया. हनुमान जैसे सेवकों के जगहजगह मंदिर बनवा दिए गए क्योंकि पिछले दशकों में पिछड़ी जातियों के पास उन की मेहनत के कारण खूब पैसा आया. इस पैसे को धर्म के धंधेबाजों ने पिछड़ों से निकलवा कर अपनी जेबों में भरने के लिए इस तरह के जतन किए.
असल में योगी शूद्र जातियों को यही तो जानकारी देना चाहते हैं. निचली दलित, पिछड़ी वंचित जातियों के मतदाताओं को याद दिलाना चाहते हैं कि तुम दास, सेवक जातियों, देखो, हम तुम्हारी जाति के सेवक हनुमान के मालिक राम का अयोध्या में भव्य मंदिर बनवाना चाह रहे हैं. हम ने तुम लोगों को राम के सेवक हनुमान के रूप में देवता दिया. उन की पूजापाठ करने का अधिकार दिया.
योगी के कहने का निहितार्थ यही है कि जिस तरह हनुमान ने अपने मालिक राम की सेवा की, उसी तरह तुम भी अपने ऊंची जाति के मालिकों के चरणों में ध्यान लगाओ. उन के हर आदेश का पालन करो. उन की सेवा करो और वोट गौ, ब्राह्मणों के कल्याण की सोचने वाली हमारी पार्टी को ही दें. इसी में तुम्हारा कल्याण होगा क्योंकि तुम्हारी जाति के हनुमान ने भी ऐसा ही किया था इसलिए तुम भी ऐसा ही करो.
धर्म के नाम पर पिछड़ों पर देवता थोप दिए गए और अब धर्म और राजनीतिक गठजोड़ मिल कर वोटों के लिए निचली जातियों के वोट हासिल करने के लिए इस हथकंडे को आजमा रहे हैं.