राजस्थान में भाजपा के तमाम बड़े केंद्रीय नेताओं द्वारा चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में पूरी ताकत झोंक देने के बावजूद मतदाताओं का गुस्सा वसुंधरा राजे के प्रति कम होता दिखाई नहीं दे रहा है. वोट मांगने जा रहे भाजपा उम्मीदवारों को कई जगहों पर खरीखोटी सुनने को मिल रही है. ऐसे में प्रदेश में एंटी इंकमबेंसी का पूरा फायदा कांग्रेस को मिलने की संभावना है.

अनुमान है कि राज्य के कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की बारीबारी से 5-5 साल शासन करने की परंपरा एक बार फिर कायम रह सकती है.

कांग्रेस भाजपा के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी फैक्टर से खासी उत्साहित है. पार्टी की ओर से मुख्य तौर पर चुनावी प्रचार में केंद्रीय संगठन महासचिव अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट उतरे हुए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी राज्य के कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार में जुटे हुए हैं. कांग्रेस की चुनावी प्रचार मीटिंगों और रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है.

इस बीच पहले दिन से ही प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरे को ले कर खासी चर्चा चल रही है. भाजपा ने कांग्रेस से पूछा कि वह राज्य में अपने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करे लेकिन कांग्रेस ने कहा कि उन के यहां मुख्यमंत्री का नाम पहले से घोषित करने की रीत नहीं है.

मतदान की तारीख ज्योंज्यों नजदीक आ रही है,अशोक गहलोत और सचिन पायलट तथा उन के समर्थकों के बीच अंदरूनी तौर पर ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ के सवाल पर जबरदस्त रस्साकशी चल रही है.

दोनों ही नेता मुख्यमंत्री के सवाल पर स्पष्ट जवाब देने से बच रहे हैं पर अपनीअपनी दावेदारी के संकेत जरूर दे रहे हैं. दोनों ही नेताओं का कहना हैं कि विधायक ही इस बात का फैसला करेंगे. हमारा काम पहले पार्टी को जिताने का है.

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