बात 6 अक्टूबर, 2018 की है. उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के थाना पाकबड़ा का एक गांव है ऊमरी सब्जीपुर. इस गांव के लोग सुबह के समय अपने खेतों की तरफ जा रहे थे. तभी उन्हें ईदगाह के पीछे नजाकत चौधरी के खेत में एक युवक की लाश पड़ी दिखी. लोग जब लाश के नजदीक पहुंचे तो पता चला, उस का गला कटा हुआ है. उस युवक को कोई भी पहचान नहीं सका. वह नीले रंग की जींस और सफेद रंग की शर्ट पहने हुए था.
जब गांव के लोगों को इस लाश की खबर मिली तो वे देखने के लिए मौके पर पहुंचे गए. कुछ ही देर में वहां काफी भीड़ जमा हो गई. सूचना पा कर पाकबड़ा के थानाप्रभारी गजेंद्र त्यागी भी घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां मौजूद लोगों से उन्होंने लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.
मृतक ब्रांडेड कपड़े और जूते पहने हुए था और किसी अच्छे परिवार का लग रहा था. जामातलाशी में उस की जेब से 4 हजार रुपए मिले. इस से यह बात स्पष्ट हो गई कि उस की हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई थी.
थानाप्रभारी ने इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी थी, कुछ ही देर में एसएसपी जे. रविंद्र गौड़, एसपी (सिटी) अंकित मित्तल व सीओ (हाइवे) राजेश कुमार भी वहां पहुंच गए. सभी ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक के हाथपैरों पर चोट के निशान थे. फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया था. घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम गृह में रखवा दी.
मृतक की शिनाख्त कराने और केस का खुलासा करने के लिए एसएसपी जे. रविंद्र गौड़ ने सीओ (हाइवे) राजेश कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में पाकबड़ा थानाप्रभारी गजेंद्र त्यागी, एसएसआई प्रदीप कुमार, एसआई अतुल कुमार त्यागी, कांस्टेबल जावेद खां, सोनू ढाका, सुनील कुमार आदि को शामिल किया गया. टीम के मार्गदर्शन की जिम्मेदारी एसपी सिटी अंकित मित्तल को सौंपी गई.
शव की हुई पहचान
पुलिस ने ऊमरी सब्जीपुर के ग्रामप्रधान शाने आलम की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. चूंकि शव की शिनाख्त नहीं हुई थी, इसलिए विभिन्न अखबारों में उस की फोटो सहित सूचना छपवाई गई. 7 अक्तूबर को थानाप्रभारी थाने में एसएसआई से इसी मसले पर चर्चा कर रहे थे, तभी कुछ लोग उन के पास पहुंचे.
उन में से एक ने बताया, ‘‘साहब, मेरा नाम नाजिम है. हम लोग बरेली जिले के कस्बा सिरौली के रहने वाले हैं. मेरा भाई फाजिल, जोकि चिकन का कारोबार करता है, 5 अक्तूबर शुक्रवार को मुर्गे खरीदने के लिए सिरौली से मुरादाबाद आया था. वह अभी तक घर नहीं लौटा. उस रात 10 बजे से उस का मोबाइल भी बंद है. अखबार पढ़ कर हम यहां आए हैं.’’
पुलिस ने एक दिन पहले जिस अज्ञात युवक की लाश बरामद की थी, थानाप्रभारी ने उस के फोटो नाजिम को दिखाए. फोटो देखते ही वह रोने लगा. बोला, ‘‘यही मेरा भाई है. मेरे भाई की यह हालत किस ने की?’’
लाश की शिनाख्त होने पर थानाप्रभारी ने राहत की सांस ली और नाजिम व उस के साथ आए लोगों को एक सिपाही के साथ पोस्टमार्टम गृह भेज दिया. वहां जब उन्हें ऊमरी सब्जी गांव के पास मिली अज्ञात युवक की लाश दिखाई गई तो नाजिम ने उस की पुष्टि अपने भाई फाजिल के रूप में की.
शव की शिनाख्त के बाद जब उस के भाई नाजिम से पूछताछ की गई तो उस ने आरोप लगाया कि मेरे भाई फाजिल की हत्या मुरादाबाद के कठघर थाना क्षेत्र की रहने वाली उस की प्रेमिका राबिया के घर वालों ने की है. राबिया के भाई दिलशाद हुसैन ने फाजिल को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया था.
थानाप्रभारी ने यह जानकारी सीओ राजेश कुमार को बता दी. उन के निर्देश पर पुलिस टीम ने राबिया के मोहल्ला रहमत नगर (करूला) स्थित घर पर दबिश दी. पता चला कि मृतक फाजिल की प्रेमिका राबिया की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो चुकी है. उस की लाश 7 अक्तूबर को ही करबला के कब्रिस्तान में दफना दी गई थी.
चूंकि नाजिम ने सीधे आरोप लगाया था, इसलिए नाजिम के घर वालों से पूछताछ करनी जरूरी थी. राबिया का भाई दिलशाद घर पर नहीं था. पता चला कि वह हैदराबाद गया हुआ है. इस पर पुलिस उस के पिता शमशाद हुसैन को पूछताछ के लिए थाने ले आई.
थाने में जब शमशाद हुसैन से एसपी (सिटी) के सामने सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि फाजिल की हत्या उस के बेटे दिलशाद ने अपने बहनोई के साथ मिल कर की थी. इस के बाद हालात ऐसे बने कि राबिया की भी हत्या करनी पड़ी.
खुल गया हत्या का रहस्य
पुलिस फाजिल की हत्या के ही मामले की जांच कर रही थी, लेकिन अब पता चला कि इन लोगों ने हत्या एक नहीं बल्कि 2 की थीं. हत्या के बाद इन लोगों ने राबिया की मौत हार्टअटैक से होने की बात प्रचारित कर दी थी.
पुलिस के लिए अब यह मामला और ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया था. दिलशाद की लोकेशन जानने के लिए पुलिस ने उस का फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इस के अलावा दिलशाद के फोन नंबर की काल डिटेल्स भी निकलवाई गई.
दिलशाद की लोकेशन दिल्ली के जामा मस्जिद इलाके की मिली. एसपी (सिटी) अंकित मित्तल ने 9 अक्तूबर को ही एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. ढूंढतेढूंढते पुलिस दिलशाद के पास पहुंच गई. दिल्ली में वह किराए का कमरा ले कर रह रहा था. उस के साथ उस का मौसेरा बहनोई उवैस भी था. दोनों को हिरासत में ले कर पुलिस थाना पाकबड़ा लौट आई.
मुरादाबाद शहर के रहमत नगर (करूला) निवासी शमशाद की बेटी राबिया इंटरमीडिएट के इम्तहान खत्म होने के बाद अपनी ननिहाल चली गई थी. उस की ननिहाल बरेली जिले के कस्बा सिरौली में थी. उस के नाना मुकद्दर व मामा मुख्तार गौहर उसे बहुत प्यार करते थे. ननिहाल में ही उस की मुलाकात सिरौली में ही रहने वाले फाजिल से हुई. फाजिल ने बताया कि उस की मीट शौप है.
राबिया तो खूबसूरत थी ही, फाजिल भी कम हैंडसम नहीं था. उस की आमदनी भी अच्छी थी, इसलिए वह खूब बनठन कर रहता था. उन दोनों में पहले दोस्ती हुई. फिर धीरेधीरे दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों चोरीछिपे मिलने लगे.
ऐसी मुलाकातों में प्रेमी जोड़े साथ जीनेमरने की कसमें खा लेते हैं. फाजिल और राबिया ने भी जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने का वादा किया. हालांकि वे चोरीछिपे मिलते थे. इस के बावजूद लोगों को उन के प्यार की भनक मिल ही गई. ननिहाल वालों को पता चला तो उन्होंने राबिया को उस के घर मुरादाबाद भेज दिया.
आखिर दोनों ने मिलने की राह बना ही ली
फाजिल मुरादाबाद के रहमत नगर मार्केट से अपनी दुकान के लिए मुर्गे खरीद कर लाता था. राबिया का घर भी रहमत नगर में ही था, इसलिए जब वह मुरादाबाद जाता तो उस की मुलाकात राबिया से हो जाती थी.
राबिया के ननिहाल वालों की फाजिल के घर वालों से अनबन थी. जब उन्हें पता चला कि फाजिल मुरादाबाद में भी राबिया का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो उन की फाजिल के घर वालों से आए दिन लड़ाई होने लगी.
राबिया की वजह से जब घर वालों की बदनामी होने लगी तो उन्होंने उसे बहुत समझाया. लेकिन वह फाजिल से ही निकाह करने की जिद करती रही. लेकिन इस के लिए न तो घर वाले तैयार थे और न ननिहाल वाले. घर वालों ने राबिया के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया. खोजबीन कर के उन्होंने राबिया का रिश्ता मुरादाबाद शहर के ही नागफनी क्षेत्र के मोहल्ला डहरिया के रहने वाले अशफाक हुसैन के बेटे आरिफ हुसैन के साथ तय कर दिया.
इस रिश्ते का राबिया ने विरोध भी किया. लेकिन घर वालों ने उस की एक नहीं सुनी. अंतत: 1 नवंबर, 2013 को उस की शादी आरिफ के साथ कर दी गई.
शादी के बाद वह आरिफ के साथ चली तो गई लेकिन उस के मन से फाजिल की यादें दूर होने का नाम नहीं ले रही थीं. रहरह कर उसे फाजिल के साथ गुजारे हुए पल याद आते थे. ससुराल में जब कभी उसे मौका मिलता, वह फाजिल से फोन पर बात कर लेती थी.
राबिया ससुराल से जब मायके आती तो उस की फाजिल से मुलाकात हो जाती थी. यानी उस की शादी आरिफ से हो जरूर गई थी लेकिन उस का अपने प्रेमी से मिलनाजुलना जारी रहा.
इसी दौरान राबिया एक बेटी की मां बन गई थी, जिस का नाम महविश रखा गया था. अब वह 3 साल की है. बेटी पैदा होने के बाद आरिफ सऊदी अरब चला गया था. इस के बाद राबिया एक तरह से बेलगाम हो गई. वह बेटी को कभी ससुराल में तो कभी मायके में छोड़ कर फाजिल के साथ कईकई दिनों के लिए गायब हो जाती थी, जिस वजह से दोनों परिवारों की काफी बदनामी हो रही थी.
यह जानकारी किसी तरह सऊदी अरब में काम कर रहे उस के पति आरिफ को मिली तो उस ने फोन पर राबिया को कई बार समझाया. मायके वालों ने भी समझाया कि वह फाजिल को भूल कर अपनी गृहस्थी चलाए, लेकिन राबिया पर किसी का कोई असर नहीं हुआ.
विदेश में भी नहीं भूली प्रेमी फाजिल को
बाद में आरिफ राबिया को अपने साथ सऊदी अरब ले गया. वह वहां एक साल तक रही. वहां भी उसे रहरह कर प्रेमी की यादें आती रहीं. आखिरकार राबिया ने पति से कह दिया कि यहां उस का मन नहीं लग रहा, वह मुरादाबाद जाना चाहती है. मजबूरी में आरिफ उसे ले कर मुरादाबाद लौट आया.
मुरादाबाद आने के बाद राबिया ने फिर से अपने प्रेमी से मिलना शुरू कर दिया. वह खुले रूप से फाजिल के साथ घूमती. इसे ले कर मोहल्ले वाले राबिया से घर वालों पर ताने कसते. आरिफ उसे सऊदी अरब से हर महीने पैसे भेजता रहता था, जिन्हें वह खुले हाथों से खर्च करती थी.
घटना से 5 दिन पहले आरिफ सऊदी अरब से वापस आया तो मोहल्ले वालों ने उस से भी राबिया की शिकायत की. आरिफ ने पत्नी को समझाया भी लेकिन राबिया नहीं मानी. दोनों के बीच फाजिल को ले कर कई बार झगड़ा भी हुआ. ऐसे में राबिया उस से तलाक देने को कहती. साथ ही यह भी कि वह फाजिल को हरगिज नहीं छोड़ सकती.
फाजिल राबिया पर शादी करने का दबाव बना रहा था. इतना ही नहीं, उस ने राबिया के परिवार वालों से फोन पर कह भी दिया था कि तुम लोग ऐसे नहीं माने तो मैं राबिया की छोटी बहन को उठवा लूंगा. फाजिल की इस धमकी पर राबिया के पिता शमशाद को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने उसी समय तय कर लिया कि वह फाजिल को सबक जरूर सिखाएंगे.
इस के बाद राबिया के परिवार वालों ने एक भयंकर योजना बनाई, जिस में राबिया के पति आरिफ को भी शामिल किया गया.
बन गई हत्या की योजना
योजना के मुताबिक राबिया के भाई दिलशाद ने राबिया से कहा, ‘‘राबिया, तुम फाजिल से बहुत प्यार करती हो. परिवार के लोगों ने फैसला किया है कि निकाह के संबंध में पहले फाजिल से बात कर ली जाए.’’
राबिया को भाई की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिए उस ने अब्बू से पूछा, ‘‘अब्बू, क्या आप मेरा निकाह फाजिल से करा रहे हैं?’’
‘‘मैं ने तुम्हारा निकाह आरिफ से करा तो दिया है. अब दूसरा निकाह क्यों कराऊंगा? फाजिल से निकाह करने की बात तो तुम भूल ही जाओ.’’
इस के बाद राबिया ने अपने भाई दिलशाद से बात की तो उस ने राबिया को विश्वास में ले कर कहा, ‘‘अब्बू अगर राजी नहीं हैं तो क्या, तेरा भाई तो है. मैं कराऊंगा तेरा निकाह. रही बात अब्बू की तो पाकबड़ा में मेरा एक जानकार तांत्रिक है. अब्बू को वश में करना उस के बाएं हाथ का काम है.’’
दिलशाद ने बहन से कहा, ‘‘अच्छा, फाजिल से मेरी बात करा. मैं भी तो जान लूं कि वह तैयार है या नहीं.’’
राबिया ने उसी समय फाजिल को फोन मिलाया और अपने भाई से उस की बात करा दी. दिलशाद ने फाजिल से कहा, ‘‘फाजिल, बात दरअसल यह है कि हम ने किसी तरह आरिफ को राबिया से तलाक लेने के लिए राजी कर लिया है. यह बताओ कि तुम उस से निकाह के लिए तैयार हो?’’
‘‘हां, मैं तैयार हूं.’’ फाजिल खुश हो कर बोला.
‘‘ठीक है, लेकिन निकाह में अब बस एक रुकावट है, वह यह कि हमारे अब्बा नहीं मान रहे हैं. पर तुम चिंता मत करो उन का इलाज भी मैं ने ढूंढ लिया है. तुम मुरादाबाद आ जाओ, यहीं पर बैठ कर बात होगी. रही बात अब्बा की तो मेरा एक जानकार तांत्रिक है. वह ताबीज देता है. उस के ताबीज से वह भी वश में आ जाएंगे.’’
फाजिल बोला, ‘‘फोन राबिया को दे दो.’’
फाजिल ने राबिया से पूछा, ‘‘तुम्हारा भाई दिलशाद जो कह रहा है, क्या वह ठीक है?’’
‘‘हां ठीक है. ऐसी कोई बात नहीं है तुम मुरादाबाद आ जाओ.’’ राबिया ने उसे विश्वास दिलाया.
यह बात 4 अक्तूबर, 2018 की है. फाजिल ने दिलशाद से कहा, ‘‘मैं आज तो आ नहीं पाऊंगा. हां, मैं कल जरूर तुम्हारे पास आ जाऊंगा.’’
फाजिल के आने के पहले सभी लोग योजना को सफल बनाने के लिए आपस में विचारविमर्श करने लगे. इस खौफनाक साजिश की राबिया को जानकारी नहीं थी. वह तो यही समझ रही थी कि उस का भाई सच में फाजिल से उस का निकाह कराने की कोशिश में है.
फाजिल फंस गया जाल में
5 अक्तूबर को फाजिल बरेली से अपनी काले रंग की पैशन मोटरसाइकिल नंबर यूपी25बी वाई3154 से मुरादाबाद पहुंचा. राबिया ने फोन कर के उसे रहमत नगर की गली नंबर-4 स्थित हाजी मार्केट में मिलने को कहा, क्योंकि वहीं पर दिलशाद उस का इंतजार कर रहा था.
फाजिल रात 8 बजे राबिया के बताए पते पर पहुंच गया. वहां पर उसे दिलशाद व उस का साथी मिले. दिलशाद ने फाजिल से बड़ी आत्मीयता और शालीनता से बात की. उस ने अपनी लच्छेदार बातों से फाजिल को फांस लिया था.
फाजिल ने उन लोगों पर विश्वास कर लिया था. उस ने दिलशाद से उस के साथ आए व्यक्ति का परिचय पूछा तो उस ने बताया, ‘‘यह हमारे मौसेरे जीजा उवैस हैं, यह कुंदरकी में रहते हैं. पाकबड़ा में जिस तांत्रिक के बारे में मैं बात कर रहा था, वह इन का ही जानकार है.
बहुत पहुंचा हुआ तांत्रिक हैं. हमारे घरपरिवार के सभी लोग तुम्हारे और राबिया के साथ हैं. बस अब्बा ही राजी नहीं हैं. तांत्रिक से ताबीज बनवाने के लिए अभी उस के पास पाकबड़ा चलते हैं. ताबीज बन जाएगा तो अब्बा भी वश में हो जाएंगे.’’
रात का समय था. फाजिल उन के साथ जाना नहीं चाहता था, इसलिए उस ने राबिया को फोन मिला कर पूछा कि वह दिलशाद और उवैस के साथ पाकबड़ा जाए या नहीं. राबिया ने भी कह दिया कि ताबीज बनवाने के लिए वह दिलशाद के साथ तांत्रिक के पास चला जाए. ताबीज बनने के बाद सब ठीक हो जाएगा.
फाजिल बाइक से दिलशाद व उवैस के साथ पाकबड़ा के लिए चल दिया. दिलशाद और उवैस मोटरसाइकिल नंबर यूपी25ए यू4223 पर थे. जब ये लोग ऊमरी सब्जीपुर गांव के पास पहुंचे, तो किसी बहाने से दिलशाद और उवैस ने अपनी मोटरसाइकिल रोक ली. उन्हें रुकते देख फाजिल भी रुक गया.
दिलशाद व उवैस बात करने के बहाने फाजिल को चाकू की नोंक पर एक खेत में ले गए. पहले तो दोनों ने उस के साथ मारपीट की फिर उसे दबोच कर उस का गला रेत दिया. कुछ ही देर में फाजिल की मौत हो गई. इस के बाद दोनों फाजिल की मोटरसाइकिल ले कर घर की तरफ चल दिए.
रास्ते में दिलशाद ने अपने अब्बा शमशाद को बता दिया कि काम हो गया. हम दोनों घर आ रहे हैं. यह बात राबिया ने सुन ली. उस समय तो वह कुछ नहीं बोली लेकिन जब दिलशाद और उस का बहनोई फाजिल की बाइक ले कर घर आए तो राबिया ने फाजिल के बारे में पूछा. दोनों कोई जवाब नहीं दे सके तो वह चिल्लाने लगी. राबिया चिल्लाचिल्ला कर कह रही थी कि तुम लोगों ने फाजिल को मार दिया है, तुम्हारे कपड़ों पर लगा खून सब बता रहा है. मैं पुलिस से तुम सब की शिकायत कर के जेल भिजवा दूंगी.
दिलशाद और उवैस ने खून सने कपडे़ उतार कर दूसरे कपड़े पहन लिए. जब वे कहीं भाग जाने को हुए तो राबिया शोर मचाने लगी. यह देख दिलशाद ने राबिया के मुंह पर कपड़ा रख कर उस का गला घोंट दिया. राबिया के प्राण निकल गए. यह बात 5-6 अक्तूबर की रात डेढ़ बजे की है.
इस के बाद दिलशाद व उवैस दोनों मुरादाबाद के रोजडवेज बसअड्डे पर पहुंचे. उन्होंने फाजिल की मोटरसाइकिल बसस्टैंड के आगे खड़ी कर दी और दिल्ली जाने वाली बस में बैठ गए. दोनों हैदराबाद भाग जाना चाहते थे पर दिल्ली पहुंच कर उन्होंने अपने एक जानकार की मार्फत जामा मस्जिद के पास किराए का कमरा ले लिया और फोन से सारी गतिविधियों का पता करते रहे.
अगले दिन राबिया के अब्बा शमशाद ने मोहल्ले में यह बात फैला दी कि हार्टअटैक से राबिया की मौत हो गई है. उसी दिन आननफानन में उस की लाश भी करबला के कब्रिस्तान में दफना दी.
आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने जिलाधिकारी से राबिया की लाश कब्र से निकलवा कर उस का पोस्टमार्टम कराने का अनुरोध किया. जिलाधिकारी राकेश कुमार के आदेश पर 11 अक्तूबर, 2018 को 10 बजे मजिस्ट्रैट की मौजूदगी में सुबह राबिया के शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
राबिया की हत्या की हकीकत आई सामने
डाक्टरों के पैनल ने राबिया के शव का पोस्टमार्टम किया तो पता चला, उस की मौत हार्टअटैक से नहीं, बल्कि गला घोंटने से हुई थी. पोस्टमार्टम के बाद शव को पुन: दफना दिया गया. शमशाद उस के बेटे दिलशाद और उवैस से पूछताछ के बाद पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर दोहरे मर्डर का राज खोला और तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर के जिला जेल भेज दिया.
पुलिस इस केस गंभीरता से जांच कर रही थी. जांच में वह किसी भी तरह की खामी नहीं छोड़ना चाहती थी. पुलिस ने दिलशाद के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की तो एक फुटेज में 6-7 अक्तूबर को मृतका राबिया का पति आरिफ भी दिखाई दिया.
आरिफ मुरादाबाद शहर के ही नागफनी थानाक्षेत्र के मोहल्ला डहरिया में रहता था. पुलिस ने आरिफ को भी पूछताछ के लिए बुलवा लिया.
प्रारंभिक पूछताछ में वह अपनी ससुराल में आने की बात नकारता रहा. चूंकि पुलिस के पास आरिफ के ससुराल में आने के पुख्ता सबूत थे, इसलिए उस से सख्ती से पूछताछ की गई. आखिर उस ने स्वीकार कर लिया कि इस मामले की साजिश में वह भी शामिल था. 14 अक्तूबर को आरिफ को भी जेल भेज दिया गया.