कभीकभी कुछ ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं समाज में घट जाती हैं कि सहसा यकीन ही नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है. तकरीबन 6 माह पहले जिस बेटी की अधजली लाश को देख कर पिता दहाड़ें मारमार कर रोने लगा था और मरा समझ कर उस का अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था, वह अचानक सामने आई तो सभी के होश फाख्ता हो गए. इतना ही नहीं पिता की तहरीर पर पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया था और ससुराल वालों को जेल में भी डाल दिया था.
अचानक लापता हो गई थी वह
यह अजीबोगरीब घटना मरका थाना के गौरी ताला गांव की है. इस गांव के रहने वाले कमलेश कुमार की शादी बहादुरपुर निवासी राजकरन यादव की बेटी सोनम से 7 मई, 2014 को हुई. नाजो में पली बिटिया की शादी पिता ने बड़ी धूमधाम से की. शादी के बाद सोनम ससुराल आ गई. पर जैसा कि हर भारतीय घर में होता है, सोनम से ससुराल वाले कुछ ज्यादा ही उम्मीद करने लगे. पिता के घर से ससुराल आई सोनम को माहौल में ढलने में कुछ वक्त लगता, इस से पहले पति कमलेश के साथ उस की लड़ाई होने लगी. इस बीच एक बेटा भी हुआ पर लड़ाई झगड़े कम नहीं हुए. गुस्साई सोनम एक दिन ससुराल छोड़ बाहर निकल गई.
ससुराल वालों ने सोचा मायके गई होगी मगर जब मायके वालों ने भी यहां न आने की बात कही तो हड़कंप मच गया. तब पति ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी, जिस में कहा गया कि उस की पत्नी बिना बताए घर छोड़ कर चली गई है.
लाश की शिनाख्त
पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के कुछ दिनों बाद 21 मई, 2018 को इसी थाना क्षेत्र के नारायनपुर गांव के पास पुलिस को एक अधजली लाश मिली. तब पुलिस ने सोनम के पिता को लाश की शिनाख्त करने के लिए बुलाया. लाश को देखते ही पिता दहाड़ें मारमार कर रोने लगा और लाश को अपनी बेटी सोनम बताया.
इस के बाद सोनम के पति कमलेश, ससुर राजकुमार के साथसाथ सास, देवर और ननद पर दहेज उत्पीडऩ और दहेज हत्या के अंतर्गत धारा 304-बी, 498-ए, 201 आईपीसी व दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 व 4 के तहत पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर दी. पुलिस ने इस पर तुरंत काररवाई करते हुए पति और ससुर को जेल भी भेज दिया.
ससुराल वालों का बुरा हाल
उधर सोनम 3 साल का मासूम बच्चा और ससुराल छोड़ कर दिल्ली भाग गई. यहां वह एक परिचित महिला के सहयोग से नौकरी करने लगी. गुस्से में घर छोड़ कर वह आ तो गई मगर यहां उसे कुछ दिनों बाद घरपरिवार और बच्चे की याद आने लगी.
उधर ससुराल वालों का बुरा हाल था. जमानत पर जेल से बाहर आए तो समाज के लोगों की तिरछी नजरों और पुलिस द्वारा बारबार परेशान करने से एक स्वयंसेवी संस्था की शरण में गए और बताया कि हमें फंसाया गया है. जो लाश मिली थी पुलिस को वह सोनम की लाश नहीं थी यानी उस के जीवित होने की उम्मीद थी. लिहाजा, पति कमलेश कुमार ने बाकियों की मदद से पत्नी सोनम को दिल्ली में ढूंढ़ लिया. इस के बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई.
किए पर पछतावा
सोनम की बरामदगी के बाद मरका थानाध्यक्ष जाकिर हुसैन ने मीडिया से बातचीत में बताया, ”अब चूंकि सोनम जीवित है और उसे अपने किए पर पछतावा है, लिहाजा ससुराल वालों पर दर्ज कराई गई रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.’’
अदालत में बयान दर्ज कराने आई सोनम ने बाद में मीडिया को बताया, ”मेरी वजह से ससुराल वालों के साथ हुई ज्यादती का मुझे दुख है. अब मैं पति और बच्चे के साथ ससुराल में ही रहना चाहती हूं.’’
क्या कानून अंधा होता है
अब सोनम वापस उसी घर में है जहां से वह मामूली लड़ाईझगड़े के बाद भाग गई थी. तब उसे न पति का चेहरा याद आया न 3 साल के मासूम बच्चे की.
उस की नादानी की वजह से 2 परिवारों में गलतफहमी की दीवार खड़ी हो गई और रिश्तेदारी दुश्मनी में बदल गई. पतिपत्नी के बीच के झगड़े में तुनक कर घर से भागने के बाद खुशहाल कोई न रह सका उलटे सब की मुसीबत ही बढ़ गई. ससुराल वालों को इस दौरान कितनी जलालत सहनी पड़ी होगी यह वही बता सकते हैं, जिसे समाज के लोग और रिश्तेदार दोनों अपराधी मान रहे थे. पर जिस कानून के हाथ लंबे होते हैं, पुलिस ने बिना गहरी तफ्तीश के कई बेगुनाहों को जेल भेज दिया. कोई अगर बोलता है कि कानून अंधा होता है, तो क्या यह गलत है?