जिंदगी में कभी भी कोई भी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकता है. सेक्सुअल असाल्ट हो या शारीरिक और मानसिक चोट, एसिड अटैक हो या रेप या. फिर एक्सीडेंट , ऐसे हादसों के बाद इंसान बहुत संवेदनशील और जज्बाती हो जाता है. अपने साथ हुए हादसे को समझने ,उसे सहने और उस से उबरने की जद्दोजहद में लगा होता है. ऐसे में आप का उसे यह विश्वास जताना बहुत जरूरी है कि आप उस के साथ हैं.
उस की तकलीफ दिल से महसूस कर रहे हैं और उसे इस ट्रोमा से निकालने में हर मुमकिन साथ देंगे.
कुछ लोग पीड़ित व्यक्ति को हौसला देने के बजाय उस के जख्मों को कुरेदने , अनर्गल बातें बोल कर उसे और भी चोट पहुंचाने का काम कर डालते हैं. ऐसा करने से बचें. आप उस का दर्द दूर नहीं कर सकते मगर उसे भावनात्मक सपोर्ट दे कर इस दर्द को सहने के काबिल बना सकते हैं.
आप का कोई प्रिय किसी हादसे का शिकार हो जाए तो कुछ बातों का ख्याल जरूर
रखें.
1. ध्यान रखे कि ट्रोमा बारबार वापस आ सकता है – कई बार हादसे की एनिवर्सरी या किसी ऐसे शख्स जो अटैक करने वाले शख्स से मिलताजुलता हो, से मुलाकात होना, हादसे का समाचार मीडिया में प्रमुखता से आना या उस घटना से मिलतीजुलती घटनाओं का बारबार होना पीड़िता के दिमाग में उस हादसे की यादें ताजा करती रहती है. ऐसे में उसे सालों बाद भी आप के सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है.
2. उस की बात सुने – पीड़िता के दिमाग से दर्द निकालने का एक अच्छा तरीका है कि उसे इस बारे में हर बात बोलने का मौका दे. उस से बारबार सवाल न पूछे लेकिन वह खुद जो भी कहना चाहती है उसे ध्यान से सुने. उसे अपना क्रोध, हताशा या पछतावा जाहिर करने दे ताकि उस के अंदर कुछ भी सिसकता हुआ न रह जाए.
3. गले लगाने से पहले पूछें – यह मानव स्वभाव है कि आप अपने प्रियजन , जो किसी हादसे से गुजरा है , को गले लगाना या बाहों में भर कर रोना चाहते हैं. मगर कई दफा यह सही नहीं होता. खास कर हादसे के तुरंत बाद व्यक्ति फिजिकल टच नहीं चाहता. उसे डेली रूटीन में वापस आने और सामान्य होने के लिए समय चाहिए होता है.
4. विक्टिम को दोष न दें – कुछ लोगों की आदत होती है कि किसी हादसे के बाद पीड़िता को ही दोष देने लगते हैं कि तूने ऐसा क्यों किया, इस तरह के कपड़े क्यों पहने, वहां गई क्यों, उस से फाइट क्यों नहीं, ऐसा होने क्यों दिया वगैरहवगैरह. ऐसा व्यवहार अनुचित है.
5. रिलैक्स होने में मदद करे- जब कोई शख्स ट्रोमा के दौर से गुजरता है और तनाव भरे पल बिता रहा होता है तो उसे फिर से रिलैक्स हो कर जीना सिखाना जरूरी है. रिलैक्स होने का जरिया अलगअलग होता है. कोई किताबें पढ़ कर कोई संगीत सुन कर तो कोई म्यूजिक कंसर्ट्स में जा कर तो कोई बच्चों के साथ खेल कर सुकून पाता है. जरिया कोई भी हो, आप के प्रियजन को जो चीज पसंद हो वह करने को प्रेरित करें.
6. सपोर्ट ग्रुप से मिलवाएं – जब हम अपने जैसे हादसे के शिकार व्यक्तियों से मिलते हैं तो एक अलग ही तरह का कनेक्शन महसूस करते हैं. समाज में बहुत से ट्रॉमा स्पेसिफिक सपोर्ट ग्रुप्स हैं जिन का मेंबर बनने के लिए कोई चार्ज नहीं देना होता. जैसे चाइल्डहुड एब्यूस और सेक्सुअल एसॉल्ट, एसिड अटैक आदि. जितना ही आप का प्रियजन इस ग्रुप के सदस्यों के साथ जुड़ेगा उतनीही जल्दी ट्रोमा के दर्द से रिकवर होता जाएगा.
7. भूलने को न कहें – हादसे की शिकार पीड़िता से बारबार सब कुछ भूलने को न कहें. वह इतनी सहजता से कुछ भी नहीं भूल सकती. उन्हें जताएं कि आप उन का दर्द समझते हैं और उन की केयर करते हैं.
8. वापस उसी स्थान पर ले जाएं जहां क्राइम हुआ था – अक्सर पीड़िताएं उस जगह पर दोबारा जाने से बचती है जहां उन के साथ हादसा हुआ था. उस स्थान और परिस्थिति के आते ही वह खौफ महसूस करने लगते हैं. मगर आप को उन के अंदर का यह पिता को अपने स्थान पर ले जाएं और कुछ मीठी और अच्छी यादें क्रिएट करें ताकि उस के दिमाग से कड़वी यादें हल्की पड़ जाए.