स्वतंत्रता के इन 69 वर्षों के दौरान भारतीय नारी ने अपने स्तर पर हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है. यों तो शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अशिक्षा का स्तर ज्यादा है और अगर शिक्षित नारी की शिक्षित पुरुष से तुलना की जाए तो वह उन से कहीं आगे है. मगर हालिया नतीजे बताते हैं कि महिलाएं अब शिक्षा के प्रति जागरुक है. अक्सर हम पत्रपत्रिकाओं और अखबारों में पढ़ते रहते हैं कि हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में छात्राओं ने बाजी मारी, आईआईटी परीक्षा परिणाम में छात्र सर्वप्रथम, आईएएस टौपर बनी दिल्ली की छात्रा आदि से मिलता रहा है.
दरअसल पढ़ाई में दिनोंदिन सफलता के कीर्तिमान बना रही महिलाओं को यह मुकाम उन की मेहनत और लगन से प्राप्त हो रहा है. अभी हाल ही में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2015 के परिणाम के नतीजे घोषित हो गए हैं. इन नतीजों में कुल 1078 कैंडीडैट्स पास हुए हैं. पर यहां भी एक महिला ने टौप कर के जता दिया कि आज की महिला वास्तव में जागरूक हो चुकी है.
महिलाओं की उपलब्धियां सिविल सेवा परीक्षा में
भोपाल में जन्मी और दिल्ली में रहने वाली टीना ढाबी ने सिविल सेवा परीक्षा में पूरे देश में पहला स्थान प्राप्त कर महिलाओं का सिर ऊंचा कर दिया है. सब से बड़ी बात टीना ने पहले ही अटेंप्ट में यह परीक्षा क्लीयर कर ली. इस अटेंप्ट के पीछे उन की जो तपस्या है वह उन की 9 सालों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है. सिर्फ 22 साल की उम्र में टौप कर के अब टीना ढाबी लड़कियों के लिए रौल मौडल बन गई हैं.
महिलाओं की उपलब्धियां
वाराणसी की अर्तिका शुक्ला ने 25 साल की उम्र में सिविल सेवा परीक्षा में सफलतापूर्वक चौथा स्थान प्राप्त किया है. अर्तिका अपनी प्रेरणा का स्रोत स्वर्गीय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को मानती हैं. उन का मानना है कि वह गरीबों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अथक प्रयास करेंगी.
वहीं 29 वर्षीय झांसी की एसपी सिटी आईपीएस गरिमा सिंह का भी चयन हुआ उन की 55वीं रैंक है. इस से पहले वह राजधानी लखनऊ में ट्रेनिंग के दौरान अलीगंज क्षेत्र की सीओ के पद पर तैनात थी. आईपीएस जौब के दौरान ही उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की. गरिमा का मानना है कि टाइम मैनेजमैंट सब से इंपौटेंट है अपनी कैपिसिटी डेवलैप करें, धैर्य रखें और योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करें.
रायबरेली निवासी वत्सला गुप्ता ने अपने तीसरे प्रयास में 173 रैंक प्राप्त किया है. वत्सला को अपने 3 साल की मेहनत के बाद औल इंडिया रैंक में 173वां स्थान प्राप्त किया है. इन का मानना है कि सफलता के लिए सब से जरूरी है हार्डवर्क और अपने कैरियर में पैशन बनाए रखना, पढ़ाई को बोझ नहीं समझा.
हौसलों की उड़ान
इतिहास गवाह है कि महिलाएं हर वो काम कर सकने में सक्षम हैं जो पुरुष कर सकते हैं महिलाओं के कदमकदम पर मानव समाज की समृद्ध में योगदान दिया है. सदियों से ही समाज में महिलाएं कई क्षेत्रों में आगे आई हैं और आज निश्चय ही आधुनिक समाज के विकास में सकारात्मक भूमिका निभाने वाली महिलाओं की तादात बढ़ रही है. एक अबला भी छिव से निकल कर एक सबला के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो चुकी है प्रगति का कोई ही शिखर बचा होगा, जहां आज की नारी न पहुंची हो. महिलाएं अपने प्रयास और प्रयत्न में पीछे नहीं हैं.