देश में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी पार्टियां जहां वोटरों को लुभाने के लिए नए-नए तरीके अपना रही हैं, वहीं चुनाव आयोग ने इस बार हाईटेक चुनाव कराने के लिए कमर कस ली है. देश में पहली बार चुनाव के समय किसी भी पार्टी के किसी भी उम्मीदवार को सभाएं करने, रैली निकालने या फिर अन्य कार्यक्रमों की अनुमति के लिए कागज लेकर दफ्तर-दफ्तर नहीं दौड़ना पड़ेगा. पार्टी या उम्मीदवार को जिस दिन कार्यक्रम करना होगा, वह उससे ठीक 48 घंटे पहले ऑनलाइन आवेदन कर अनुमति भी ऑनलाइन ही ले सकेगा.

आयोग के मुताबिक इस बार के चुनाव आइटी एप्लीकेशन ‘समाधान, सुविधा और सुगम’ एप की मदद से कराए जाएंगे. ‘सुविधा’ एप के जरिये उम्मीदवारों को चुनाव अभियान के दौरान ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम’ के माध्यम से विभिन्न प्रकार की मंजूरी हासिल करने की 24 घंटे ऑनलाइन सुविधा मिलेगी. वहीं ‘सुगम’ एप के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया में शामिल सरकारी और किराए पर लिए गए वाहनों के प्रयोग की मंजूरी लेने के अलावा इनके इस्तेमाल पर निगरानी की जा सकेगी और‘समाधान’ एप आम वोटर को परेशानी होने पर मदद करेगा.

आयोग ने चुनाव पर नजर रखने के लिए सात तरह की एप डिजाइन कराए हैं. आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की शिकायत अब कोई भी व्यक्ति ‘सी-विजिल’एप के माध्यम से फोटो या वीडियो भेजकर कर सकेगा. इन शिकायतों पर 100 मिनट के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित कर शिकायतकर्ता को कारवाई की रिपोर्ट भी दी जाएगी. शिकायतकर्ता को एक तस्वीर क्लिक कर या अधिक से अधिक दो मिनट का वीडियो रिकॉर्ड कर अपलोड करना होगा. एप में लोकेशन खुद ब खुद ट्रेस हो जाएगी.

शिकायत दर्ज होते ही शिकायतकर्ता को एक यूनीक आइडी प्राप्त होगा, जिससे वह अपने मोबाइल पर आगे की कार्रवाई को जान सकेंगे. इसमें यह भी प्रावधान है कि यदि आप शक्तिशाली आदमी के खिलाफ शिकायत कर रहे हैं, तो एप में अपना मोबाइल नंबर छिपा सकते हैं.

वहीं आयोग ने ‘सीजीएस’ सिटीजन ग्रीवेंस सर्विस एप लांच किया है. इससे ऑनलाइन शिकायतें जैसे किसी व्यक्ति की मतदाता पर्ची न निकलना या दूसरे व्यक्ति द्वारा मतदान करके चले जाना आदि शिकायतें की जा सकती हैं.

जेनासेस एप का उपयोग उम्मीदवारों के फार्म भरने के लिए किया जाएगा. जैसी ही फार्म भरेगा उनके मोबाइल पर एक एसएसएस अलर्ट आएगा. गलती होने पर दोबारा फार्म भी भरा जा सकेगा. एप से फार्म भरने से लेकर परिणाम आने तक के एसएमएस उम्मीदवार को मिलेंगे. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम एवं राजस्थान के विधानसभा चुनावों में इन सभी एप इस्तेमाल की योजना बनाई है.

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