मोबाइल यूजर्स जल्द ही एक ऐसी सुविधा मिलने जा रही है, जिससे आपको स्मार्टफोन में सिम लगाने या बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यही नहीं, मोबाइल आपरेटर बदलने पर यानी कि नंबर पोर्टेबिलिटी कराने पर भी नई सिम खरीदने या फिर बदलने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंबेडेड सिम (ई-सिम) के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. जिसके मुताबिक, सभी टेलीकौम कंपनियां ई-सिम की सुविधाएं दे सकती हैं. फिलहाल, ई-सिम की टेक्नोलौजी का इस्तेमाल रिलायंस जियो और एयरटेल एप्पल वाच में करती हैं.

क्या है ई-सिम?

ई-सिम को इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल कहा जाता है. यह तकनीक सौफ्टवेयर के जरिए काम करती है. फिलहाल, इस तकनीक का इस्तेमाल स्मार्टवौच में किया जा रहा है. लेकिन इस तकनीक को अब समार्टफोन पर रोल-आउट कर दिया जाएगा, जिससे यूजर्स केवल सौफ्टवेयर के जरिए टेलीकौम सेवाएं ले सकेंगे. इसके अलावा एक आपरेटर से दूसरे आपरेटर में स्विच करने में भी आसानी होगी. आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसा सिम कार्ड होगा, जो डिवाइस बोर्ड में लगाया जाएगा. चिप होल्ड करने वाले कार्ड की जरूरत खत्म होगी.

टेलीकौम कंपनियां दर्ज करेंगी जानकारी

नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब यूजर्स किसी भी सर्विस प्रोवाइडर टेलीकौम कंपनी से नया कनेक्शन लेता है तो उसके स्मार्टफोन में इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल यानी ई-सिम डाल दिया जाएगा. जिसके बाद ई-सिम इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की जानकारी टेलीकौम कंपनी अपने डाटाबेस में दर्ज कर लेंगी.

एक यूजर को मिलेंगे अधिकतम 18 ई-सिम

डौट ने सिर्फ मोबाइल फोन के लिए नौ सिम के साथ मशीन-टू-मशीन मिलाकर कुल 18 सिम के प्रयोग की इजाजत दी है. यानी की एक यूजर को केवल अधिकतम 18 सिम कार्ड ही इश्यू की जा सकेंगी.

सुनिश्चित करनी होगी सुरक्षा

ई-सिम की सेवाओं के तहत सभी कंपनियों को ई-सिम की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की गारंटी देनी होगी. साथ ही टेलीकौम कंपनियों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि ई-सिम के लाइसेंस की शर्तों का भी उल्लघंन ना हो. इसके अलावा कंपनियों को ई-सिम में भी नंबर पोर्टिबिलिटी की सुविधा देनी होगी. ई-सिम के लिए कंपनियों को डाटा सेंटर व सर्वर भारत में ही बनाना होगा. नियमों के मुताबिक, सेंटर भारत के बाहर नहीं होना चाहिए.

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