समय के साथ साथ पुराने रीतिरिवाज नये फैशनेबल रंग में नजर आने लगे है. मां बनना हर औरत के लिये बडी खुशी का मौका होता है. गर्भावस्था के दौरान उसमें तमाम तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते है. गर्भावस्था के हर पल की खुशियों को जीवन भर समेट कर रखना चाहती है. गर्भावस्था के 8वें माह में गोद भराई की रस्म बहुत पहले से होती है. इसमें नाते रिश्तेदार एक जगह आकर होने वाली मां को ढेर सारी खुशियां और उपहार देते है.

नये ट्रेंड में यह बदलने लगा है. अब गोद भराई की जगह ‘बेबी शावर’ पार्टी का आयोजन होने लगा है. यह पूरी तरह से गोदभराई से अलग होता है. इसमें होने वाली मां के करीबी दोस्त और रिश्तेदार एक जगह एकत्र होकर फैशनलेबल अंदाज में ‘मौम टू बी’ का स्वागत करते है. पार्टी में आये हुये लोगों के मनोरंजन के लिये तरह तरह के गेम्स खेले जाते है.

होने वाली मां सहित पार्टी में आई दूसरी मां रैंप शो भी करती है. जहां पर वह किसी प्रोफेशनल मौडल की तरह कैटवाक करती है. लखनऊ की रहने वाली नम्रता मदन ने इसी तरह की पार्टी का आयोजन इसेंस लाउंज में किया. इसमें नम्रता के साथ उनकी सहेलियों ने भी रैंप पर चल कर दिखाया. खुद नम्रता ने जिस तरह से रैंप पर कैटवाक किया उसे देखकर यह नही कहा जा सकता कि वह जल्द ही बच्चे की मां बनने वाली है.

नम्रता मदन ने बताया कि ‘बेबी शावर पार्टी’ का आयोजन अब तेजी से होने लगा है. इससे होने वाली मां को जहां बहुत सारी खुशियां मिलती है वहीं वह एक्टिव भी रहती है. वह अपने दोस्तों के बीच बच्चों वाले गेम्स खेलती है. वह अपने बचपन का अनुभव करते अपने पेट में पल रहे बच्चे की खुशी को भी अनुभव करती है. अब फैशन का ट्रेंड बदल गया है.

पहले गर्भावस्था में पहनने के लिये डिजाइनर ड्रेस नहीं होती थी. जिससे एक ही तरह की ढीली डीली पोशाक पहननी पडती थी. महिलायें अपने को छिपाकर रखने की कोशिश करती थी. अब हर तरह की फैशनेबल ड्रेस बाजार में मिलने लगी है. इनको गर्भावस्था के दौरान पहना जा सकता है.

अब ‘बेबी शावर पार्टी’ के दौरान होने वाली मां भी दूसरे लोगों की तरह खुद का दिखा सकती है. गोद भराई की रस्म की जगह ‘बेबी शावर पार्टी’ का आयोजन बडे शहरों से होते हुये छोटे शहरों तक भी पहुंच गया है. नये ट्रेड से पुरानी परंपराओं को नई उर्जा मिल रही है. नई पीढी पूरे उत्साह के साथ इस बदलाव का स्वागत कर रही है. प्रसव के दौरान महिलाओं की मानसिक और शारीरिक बदलावों को महसूस वाली डाक्टर सुनीता चन्द्रा कहती है ‘प्रसव के दौरान कई तरह के दौरान तनाव हावी हो जाते है. ऐसे आयोजन से उन तनाव को दूर करने में मदद मिलती है’  

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